रायपुर: इस बार 3 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा. जैसे-जैसे त्यौहार पास आते हैं, बाजार में चाइनीज सामानों का पिटारा भी सज जाता है. हाल ही में भारत और चीन के बीच हुई झड़प से दोनों देशों की दूरियां बढ़ गई है. लोग भारत में चाइनीज सामानों का लगातार बहिष्कार कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में राखी के लिए बाजारों में चाइनीज राखियां देखने को मिलती हैं, जो ज्यादातर लोगों की पहली पसंद होती है. लेकिन अब लोग देस में बनी राखियों का रुख करने लगे हैं. इन सब को देखते हुए राजधानी रायपुर में रहने वाली ऋतिका चावड़ा ने हैंडमेड राखी बनाने का फैसला लिया और वह रंग-बिरंगी राखियां तैयार कर रही हैं.
ऋतिका कहती हैं कि लद्दाख में जो हुआ उसके बाद से लगातार चीन और भारत के बीच टेंशन की स्थिति बनी हुई है. इस बार हम चीन के सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं और अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने में यह उनका छोटा सा योगदान है. ऋतिका का कहना है कि इस रक्षाबंधन हमें होममेड राखियों का इस्तेमाल करना चाहिए और इन्हें खरीदना चाहिए. ऋतिका भी 'लोकल के लिए वोकल' पर काम कर रहीं हैं.
'छोटी कोशिशों से देश को फायदा पहुंचाने की कोशिश'
ऋतिका B.Com फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट हैं. वह पढ़ाई के साथ ही कई एक्स्ट्रा एक्टिविटी में भी एक्टिव रहती हैं. ऋतिका कहती हैं कि चीन के सामानों का बहिष्कार हम तभी कर सकते हैं, जब हम छोटी-छोटी चीजें अपने आस-पास के लोगों से लोकली लेना शुरू करें. उनका कहना है कि छोटी कोशिशों से ही हम देश के लिए बड़ा योगदान दे सकते हैं, इससे देश का पैसा देश में ही रहेगा.
40 से लेकर 150 रुपए तक की राखियां
ऋतिका ने बताया कि जो राखियां वे बना रहीं हैं, उनमें सागौन की लकड़ियों के टुकड़े, कॉटन के रंग-बिरंगे धागे, मोतियों और चमकीले स्टोन का इस्तेमाल किया गया है. वे बताती हैं कि एक राखी को बनाने में करीब 30 से 40 मिनट का समय लग जाता है. ऋतिका ने बताया कि इन हैंडमेड राखियों की कीमत 40 रुपए से लेकर 150 रुपए तक है.
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ऋतिका ने बताया कि उन्होंने पिछले साल भी अपने रिश्तेदारों के लिए राखियां बनाई थी. इस बार लॉकडाउन में उन्हें कलाकारी करने का ज्यादा समय मिल गया, तो ज्यादा राखियां डिजाइन की और उसे सोशल मीडिया के माध्यम से भी सेल कर रहीं हैं. वह बताती हैं कि इन हैंडमेड राखियों की डिमांड काफी है और वह लगातार राखियां बना रहीं हैं. लोग उनको लगातार राखियों के लिए ऑर्डर दे रहें हैं. ऋतिका का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा लोकल में बनी चीजों को प्रमोट कर हम चीन के सामनों का बॉयकॉट कर सकते हैं.