रायपुर: कोविड-19 महामारी दुनिया को हर रोज कुछ न कुछ नया दिखा और सिखा रही है. इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन और अब अनलॉक ने लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव किया है. बाजार, व्यापार बंद होने की वजह से कई लोगों का या तो रोजगार छिन गया या फिर कई रोजगार बदलने को मजबूर हो गए. रायपुर में रेस्टोरेंट संचालक, गाड़ी बनाने वाले मैकेनिक अपना मूल पेशा छोड़कर सब्जी बेचने वाले बन गए हैं.
कोरोना से बदला व्यवसाय
लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ है. बड़ी औद्योगिक इकाईयों के साथ ही छोटे और मध्यम व्यापार करने वालों की स्थिति भी बदल चुकी है. इसके साथ ही उनके जीवन में भी काफी बदलाव आया है. ऐसी ही एक रेस्टोरेंट संचालक हैं योगेश बहरवाला. जो ढाई महीने पहले तक रेस्टोरेंट के संचालक थे, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन ने इन्हें रेस्टोरेंट संचालक से सब्जी वाला बना दिया है.
सब्जी बेचकर निकाल रहे खर्च
शहर के ओसीएम चौक में इनका बैंबूजा रेस्टोरेंट था, जहां इंडियन, चाइनीज और फास्ट फूड मिलता था. उनका रेस्टोरेंट सब्जी दुकान में बदल गया है. रेस्टोरेंट में जिन टेबल्स पर बैठकर दोस्त खाने-पीने के साथ गपशप किया करते थे, उन टेबल्स पर अब सब्जियों की टोकरी रखी हुई है. लॉकडाउन के दौरान योगेश का रेस्टोरेंट बंद हो गया जो दोबारा न खुल सका. इस वजह से अब जिंदगी का गुजारा चलाने के लिए उन्होंने सब्जियां बेचनी शुरू कर दी और अपना खर्च निकाल रहे हैं.
ETV भारत से बताया दर्द
योगेश बहरवाला ने ETV भारत से बताया कि लॉकडाउन में उनका रेस्टोरेंट बंद हो गया है, जिससे अपना खर्च निकालने के लिए अब वो सब्जी बेच रहे हैं. लेकिन सब्जी बेचने में भी उतना फायदा नहीं मिल पा रहा है. क्योंकि लोगों के कम आने से काफी सब्जियां भी खराब हो रही हैं. काम नहीं है इसलिए ये व्यवसाय शुरू करना पड़ा. रेस्टोरेंट संचालक का कहना है कि कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है. इसी वजह से उन्होंने पार्सल की सुविधा भी बंद कर दी है.
गाड़ी मैकेनिक भी बना सब्जी वाला
गाड़ी मैकेनिक शत्रुघ्न साहू भी अब सब्जी बेच रहे हैं. लॉकडाउन से पहले इनका मैकेनिक का काम अच्छा चल रहा था, लेकिन अब अनलॉक के बाद भी गाड़ियां रिपेयरिंग के लिए नहीं आ पा रही हैं और काम पूरी तरह से ठप हो गया है. यही वजह है कि उन्होंने गाड़ी रिपेयरिंग के आगे सब्जी की दुकान सजा दी. जिससे उनके घर का खर्च निकल सके. हालांकि इससे भी ज्यादा मदद नहींं हो पा रही है और खर्च नहीं निकल पा रहा है.