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SPECIAL: इंद्रप्रस्थ में समस्याओं का अंबार, खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे रहवासी - इंद्रप्रस्थ कॉलोनी रायपुर

राजधानी रायपुर में सैकड़ों की तादाद में लोगों ने रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के नए प्रोजेक्ट में जमीन और मकान की खरीदी की थी. लेकिन आज लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

Raipur Development Authority
इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में समस्याओं का अंबार
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Published : Aug 17, 2020, 10:39 PM IST

रायपुर: अपना आशियाना हर इंसान की जिंदगी का सपना होता है. राजधानी रायपुर में सैकड़ों की तादाद में लोगों ने रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के नए प्रोजेक्ट में जमीन और मकान की खरीदी की थी. इस नए प्रोजेक्ट को बेहद ही तामझाम के साथ सरकार ने लॉन्च किया था. इसे इंद्रप्रस्थ का नाम दिया गया. जिस तरह से 'इंद्रप्रस्थ' में सुविधाओं और मनोरंजन का खास ख्याल रखा जाता है. कुछ इसी तरह के वादे भी आरडीए ने लोगों को जमीन या मकान बेचते वक्त किए थे.

इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में समस्याओं का अंबार

इन लुभावने वादों से आकर्षित होकर बड़ी संख्या में लोगों ने यहां मकान खरीदे. लेकिन आज यही लोग आरडीए प्रबंधन की लापरवाही और हर काम में लीपापोती के चलते खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. सरोना के नजदीक कई एकड़ में बसे इस प्रोजेक्ट में ना तो सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम किया गया है और ना ही मेंटेनेंस का ख्याल रखा जाता है. ज्यादातर सड़कें खराब हो चुकी है, गार्डन आबाद होने से पहले ही बर्बाद हो चुके हैं. आलम यह है कि यहां पर असामाजिक तत्वों का बसेरा रहता है. इसके चलते यहां रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Raipur Development Authority
साफ सफाई की नहीं कोई व्यवस्था

रहवासियों का कहना है कि मकानों की क्वॉलिटी बेहद खराब है. बारिश में ज्यादातर मकानों में सीपेज आ जाता है वहीं स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण आए दिन चोरी और लूट की वारदात होती रहती है. महिलाओं का शाम के बाद घर से बाहर निकलना दुभर हो गया है.

पढ़ें- बिलासपुर: भारी विरोध के बीच 14 HIV पीड़ित बच्चियों को किया गया बाल संप्रेक्षण गृह में शिफ्ट

लोगों का कहना है आरडीए ने अपने कैटलॉग में बेहतरीन स्मार्ट टाउन का रूप देने का वादा किया था. जहां मनोरंजन के साथ ही दूसरी सुविधाएं भी स्थापित करने की बात कही थी. लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी यहां लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. जिन लोगों ने मकानों को बड़े अरमानों के साथ खरीदा था, वे आज इतने परेशान हैं कि मकान बेचने की तैयारी कर रहे हैं.

खराब कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी

इंद्रप्रस्थ के रहवासियों का कहना है कि 'यह सिर्फ नाम का ही इंद्रलोक है. यहां निर्माण कार्य बेहद ही निम्न स्तर का किया गया है. इसके चलते मकानों में सीपेज बना रहता है. ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से बदहाल हो चुका है. कम समय में ही इसकी कई खामियां उजागर होने के चलते इंद्रप्रस्थ का बहुत बड़ा इलाका खाली पड़ा हुआ है, क्योंकि लोग अब यहां अपना मकान बनाने से कतरा रहे हैं'.स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार इसकी जानकारी आरडीए को दी गई लेकिन आज तक इन समस्याओं को दूर करने के लिए कोई खास पहल नहीं की गई.

आवारा मवेशियों से लोग परेशान

स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां आवारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है. शहर के मवेशियों को यहां छोड़ दिया जाता है. सड़कों पर जगह-जगह गोबर पड़ा रहता है. जिससे लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है.

पढ़ें-खूंटाघाट में तेज बहाव में फंसे शख्स को सेना के हेलीकॉप्टर ने किया रेस्क्यू, देखें VIDEO

स्ट्रीट लाइट की समस्या

स्ट्रीट लाइट नहीं जलने के कारण लोगों को आने जाने में असुविधा होती है. खास तौर पर महिलाएं अकेले बाहर निकलने में सोचती है, कई बार शिकायत की गई है लेकिन न आरडीए ध्यान दे रहा है ना ही नगर निगम प्रशासन.

बाउंड्रीवॉल नहीं होने से असामाजिक तत्वों का डेरा

इंद्रप्रस्थ रहवासियों ने बताया कि 'इतनी बड़ी कॉलोनी तो बना दी गई लेकिन इसका मेंटेनेंस भी नहीं किया जा रहा है. शुरुआत में यहां बाउंड्री वॉल बनाने की बात कही गई थी लेकिन इस कैंपस में बाउंड्री वॉल नहीं होने के चलते कोई भी बाहरी व्यक्ति आना-जाना करते हैं और कई असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी कॉलोनियों में लगा रहता है.

पढ़ें-SPECIAL: कोरोना संक्रमण के बीच छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र, जानिए कितना तैयार है सदन

ज्यादातर प्रोजेक्ट को लेकर उदासीन रहा है आरडीए

रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी इंद्रप्रस्थ के अलावा कमल विहार जैसे बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. लेकिन इनके काम के तरीके में कई तरह की खामियां साफ नजर आती हैं. लोगों का कहना है वह बड़े-बड़े वादे और चमकीले ब्राउजर को देखकर प्राइवेट बिल्डर के तय किए जाने वाले कीमत के तर्ज पर ही आरडीए से जमीन या मकान की खरीदी की थी. लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाओं तक के लिए तरसना पड़ रहा है.

अधिकारियों ने नहीं दिया कोई जवाब

ऐसे में लोगों को कहना है किसी प्राइवेट बिल्डर के प्रोजेक्ट पर अपना मकान खरीदते तो शायद इस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता. लेकिन जमीन और प्रॉपर्टी के मामलों में आए दिन हो रहे धोखाधड़ी से बचने के लिए इन लोगों ने सरकारी प्रोजेक्ट पर अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई को लगाना ज्यादा बेहतर समझा. अब आरडीए प्रशासन का रवैया इन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर रहा. ETV भारत ने शिकायतों को लेकर रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी से संपर्क किया लेकिन अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया.

रायपुर: अपना आशियाना हर इंसान की जिंदगी का सपना होता है. राजधानी रायपुर में सैकड़ों की तादाद में लोगों ने रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के नए प्रोजेक्ट में जमीन और मकान की खरीदी की थी. इस नए प्रोजेक्ट को बेहद ही तामझाम के साथ सरकार ने लॉन्च किया था. इसे इंद्रप्रस्थ का नाम दिया गया. जिस तरह से 'इंद्रप्रस्थ' में सुविधाओं और मनोरंजन का खास ख्याल रखा जाता है. कुछ इसी तरह के वादे भी आरडीए ने लोगों को जमीन या मकान बेचते वक्त किए थे.

इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में समस्याओं का अंबार

इन लुभावने वादों से आकर्षित होकर बड़ी संख्या में लोगों ने यहां मकान खरीदे. लेकिन आज यही लोग आरडीए प्रबंधन की लापरवाही और हर काम में लीपापोती के चलते खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. सरोना के नजदीक कई एकड़ में बसे इस प्रोजेक्ट में ना तो सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम किया गया है और ना ही मेंटेनेंस का ख्याल रखा जाता है. ज्यादातर सड़कें खराब हो चुकी है, गार्डन आबाद होने से पहले ही बर्बाद हो चुके हैं. आलम यह है कि यहां पर असामाजिक तत्वों का बसेरा रहता है. इसके चलते यहां रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Raipur Development Authority
साफ सफाई की नहीं कोई व्यवस्था

रहवासियों का कहना है कि मकानों की क्वॉलिटी बेहद खराब है. बारिश में ज्यादातर मकानों में सीपेज आ जाता है वहीं स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण आए दिन चोरी और लूट की वारदात होती रहती है. महिलाओं का शाम के बाद घर से बाहर निकलना दुभर हो गया है.

पढ़ें- बिलासपुर: भारी विरोध के बीच 14 HIV पीड़ित बच्चियों को किया गया बाल संप्रेक्षण गृह में शिफ्ट

लोगों का कहना है आरडीए ने अपने कैटलॉग में बेहतरीन स्मार्ट टाउन का रूप देने का वादा किया था. जहां मनोरंजन के साथ ही दूसरी सुविधाएं भी स्थापित करने की बात कही थी. लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी यहां लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. जिन लोगों ने मकानों को बड़े अरमानों के साथ खरीदा था, वे आज इतने परेशान हैं कि मकान बेचने की तैयारी कर रहे हैं.

खराब कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी

इंद्रप्रस्थ के रहवासियों का कहना है कि 'यह सिर्फ नाम का ही इंद्रलोक है. यहां निर्माण कार्य बेहद ही निम्न स्तर का किया गया है. इसके चलते मकानों में सीपेज बना रहता है. ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से बदहाल हो चुका है. कम समय में ही इसकी कई खामियां उजागर होने के चलते इंद्रप्रस्थ का बहुत बड़ा इलाका खाली पड़ा हुआ है, क्योंकि लोग अब यहां अपना मकान बनाने से कतरा रहे हैं'.स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार इसकी जानकारी आरडीए को दी गई लेकिन आज तक इन समस्याओं को दूर करने के लिए कोई खास पहल नहीं की गई.

आवारा मवेशियों से लोग परेशान

स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां आवारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है. शहर के मवेशियों को यहां छोड़ दिया जाता है. सड़कों पर जगह-जगह गोबर पड़ा रहता है. जिससे लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है.

पढ़ें-खूंटाघाट में तेज बहाव में फंसे शख्स को सेना के हेलीकॉप्टर ने किया रेस्क्यू, देखें VIDEO

स्ट्रीट लाइट की समस्या

स्ट्रीट लाइट नहीं जलने के कारण लोगों को आने जाने में असुविधा होती है. खास तौर पर महिलाएं अकेले बाहर निकलने में सोचती है, कई बार शिकायत की गई है लेकिन न आरडीए ध्यान दे रहा है ना ही नगर निगम प्रशासन.

बाउंड्रीवॉल नहीं होने से असामाजिक तत्वों का डेरा

इंद्रप्रस्थ रहवासियों ने बताया कि 'इतनी बड़ी कॉलोनी तो बना दी गई लेकिन इसका मेंटेनेंस भी नहीं किया जा रहा है. शुरुआत में यहां बाउंड्री वॉल बनाने की बात कही गई थी लेकिन इस कैंपस में बाउंड्री वॉल नहीं होने के चलते कोई भी बाहरी व्यक्ति आना-जाना करते हैं और कई असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी कॉलोनियों में लगा रहता है.

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ज्यादातर प्रोजेक्ट को लेकर उदासीन रहा है आरडीए

रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी इंद्रप्रस्थ के अलावा कमल विहार जैसे बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. लेकिन इनके काम के तरीके में कई तरह की खामियां साफ नजर आती हैं. लोगों का कहना है वह बड़े-बड़े वादे और चमकीले ब्राउजर को देखकर प्राइवेट बिल्डर के तय किए जाने वाले कीमत के तर्ज पर ही आरडीए से जमीन या मकान की खरीदी की थी. लेकिन उन्हें मूलभूत सुविधाओं तक के लिए तरसना पड़ रहा है.

अधिकारियों ने नहीं दिया कोई जवाब

ऐसे में लोगों को कहना है किसी प्राइवेट बिल्डर के प्रोजेक्ट पर अपना मकान खरीदते तो शायद इस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता. लेकिन जमीन और प्रॉपर्टी के मामलों में आए दिन हो रहे धोखाधड़ी से बचने के लिए इन लोगों ने सरकारी प्रोजेक्ट पर अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई को लगाना ज्यादा बेहतर समझा. अब आरडीए प्रशासन का रवैया इन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर रहा. ETV भारत ने शिकायतों को लेकर रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी से संपर्क किया लेकिन अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया.

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