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SPECIAL: जानिए नए खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों में क्या है खास ?

खाद्य पदार्थों में की जा रही मिलावट को लेकर अब सरकार सख्त हो गई है. अब मिठाइयों के अलावा अन्य खाद्य पदार्थों में भी मिलावट को रोकने के लिए नियमों में कड़ाई कर दी है. जानिए क्या है नया खाद्य सुरक्षा अधिनियम.

provisions of the new Food Security Act
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों में बदलाव
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Published : Dec 27, 2020, 9:31 PM IST

रायपुर: खाद्य पदार्थों में की जा रही मिलावट को लेकर अब नियमों में और ज्यादा कड़ाई की जा रही है. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India) ने अब मिठाइयों और अन्य खाद्य पदार्थों में भी मिलावट को रोकने के लिए नियमों में कड़ाई कर दी है. इसमें व्यापारियों को यह बताना जरूरी होगा कि मिठाई किस तारीख में बनी है और उसकी एक्सपायरी डेट क्या है. इस लिहाज से यह जानकारी देना जरूरी है कि यह खाद्य पदार्थ कब बना है और उसे कितने समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (fssai) ने देश के तमाम राज्यों में खाद्य सुरक्षा आयुक्तों को भेजे पत्र में भी कहा है कि जनहित और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिठाई पर एक्सपायरी डेट दर्ज करने का फैसला लिया गया है और इसका पालन करना जरूरी है.

नए खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों में क्या है खास ?

दुकानों पर भी देना होगा बेस्ट बिफोर की जानकारी

इस नियम के तहत यह भी प्रावधान बनाया गया है कि दुकानों में बनने वाली मिठाई या अन्य खाद्य पदार्थों, मिठाई दुकान में ट्रे में रखी हुई मिठाई की भी बेस्ट और बिफोर यूज की तारीख लिखना जरूरी होगा. जिससे ग्राहकों को आसानी से मिठाई की जानकारी मिल सकेगी.

नए कानून की होटल व्यापारियों ने की सराहना

खाद्य लाइसेंस और मानदंडों और खाद्य सुरक्षा अधिनियम के नए प्रावधानों को लेकर होटल व्यापारियों ने भी इस नए कानून को सराहा है. होटल व्यवसाय महासंघ के पदाधिकारी अवध नारायण शुक्ला कहते हैं कि खाद्य सुरक्षा को लेकर लोग फाइव स्टार या थ्री स्टार होटल को छोड़कर इतना ध्यान नहीं देते थे, लेकिन अब तमाम होटल और रेस्टोरेंट भी इस बात पर बराबर ध्यान दे रहे है कि जो खाद्य पदार्थ ग्राहकों को परोस रहे है, वे खाद्य मानकों के अनुसार हो. मेनू कार्ड और खाने-पीने के पार्सल पैकिंग आइटम में भी कई तरह की जानकारी देने के लिए नियमों में प्रावधान किया गया है. जागरूक नागरिक इन सब तमाम नियमों को बखूबी जानते हैं. यही वजह है कि होटल व्यापारी भी इन नियमों का पालन कर रहे हैं.

लोगों को खाने-पीने पर भी जागरूक होने की जरूरत

लंबे समय से खाने-पीने की चीजों में मिलावट को रोकने के लिए काम कर रहे राजीव ब्रिगेड के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल का भी मानना है कि खाने-पीने की चीजों में मिलावट सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है. खाद्य सुरक्षा अधिनियम के नए प्रावधानों के तहत अब लोगों को खाने-पीने की चीजों में भी एक बार देखकर सामान यूज करने की जरूरत है. इसमें कई तरह के प्रावधान किए गए हैं. जिसके तहत मिलावटखोरों पर कड़ी कार्रवाई का भी प्रावधान है. अब लोगों को भी जागरुकता की जरूरत है. जिस तरह से कोरोना काल में लोग मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग कर रहे हैं. ऐसे ही खाने-पीने के लिए भी लोग जागरूक होकर ही इनका उपयोग करें.

पढ़ें: 'स्मार्ट बाजार' कहीं छीन न ले गोल बाजार के दुकानदारों का रोजगार

ट्रांसपेरेंसी के साथ काम करने की जरूरत

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बनाए गए कई प्रावधानों में मिलावटखोरों पर कड़ी कार्रवाई का भी प्रावधान शामिल है. इसे लेकर ETV भारत ने जब बुद्धिजीवियों से संपर्क किया, तो उनका भी मानना है कि नियम कानून तो जनहित के लिए ही बनते है, लेकिन इसके इंप्लीमेंटेशन की जिम्मेदारी सरकारी एजेंसियों पर ही होती है. ऐसे में सरकारी एजेंसियों पर ही मिलावटखोरों को कार्रवाई करने और संरक्षण देने का अधिकार होता है. सरकारी एजेंसियों को भी पारदर्शिता के साथ काम करने की जरूरत है.

जांच कराने से दूर हो रहे लोग

अधिवक्ता दुर्गा शंकर सिंह कहते हैं कि नियमों को कड़ाई से पालन कराने के लिए सरकारी एजेंसियों को भी आम लोगों के प्रति जिम्मेदार होने की जरूरत है. नए प्रावधानों में जिस तरह से खाद्य पदार्थ की जांच कराने के लिए नियम भी कड़े कर दिए गए हैं, इससे आम लोग भी अब शिकायत से दूर हो जाएंगे. पहले नाम मात्र के मूल्य पर खाद्य पदार्थो की जांच हो जाती थी, लेकिन अब 5 हजार रुपए की राशि जमा करने पर जांच करने का प्रावधान शामिल कर दिया गया है.

सरसों तेल में भी नहीं कर सकेंगे मिलावट

घरों में इस्तेमाल होने वाले सरसों तेल में खाद्य पदार्थों की मिलावट की जा रही है. इसे रोकने के लिए भी सख्त प्रावधान बनाया गया है. इसके तहत ऐसे खाद्य तेल बनाने वाले जिनके पास सरसों के तेल और वनस्पति तेल बनाने का लाइसेंस है, उन्हें दोनों को अलग-अलग बनाने का निर्देश दिया गया है. ताकि सरसों के तेल में मिलावट न की जा सके.

आम लोगों में जागरूकता जरूरी

जिस तरह से शुरू से ही मेडिकल से जुड़े तमाम दवाइयों और अन्य सामग्रियों में मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट लिखना जरूरी रहा है, उसी तर्ज पर खाद्य पदार्थों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है. इसमें खाने-पीने की जुड़ी सामग्रियां हैं. साथ ही दूध और आटे से बने बहुत से खाद्य पदार्थों पर भी बेस्ट बिफोर का उल्लेख करना जरूरी कर दिया गया है. ऐसे में आम लोगों को भी जागरूक होना बेहद जरूरी है. लोगों को भी चाहिए कि वे किसी भी तरह के खाद्य पदार्थों को लेने के पहले उसके उपयोग की समय सीमा की जानकारी जरूर लें.

रायपुर: खाद्य पदार्थों में की जा रही मिलावट को लेकर अब नियमों में और ज्यादा कड़ाई की जा रही है. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India) ने अब मिठाइयों और अन्य खाद्य पदार्थों में भी मिलावट को रोकने के लिए नियमों में कड़ाई कर दी है. इसमें व्यापारियों को यह बताना जरूरी होगा कि मिठाई किस तारीख में बनी है और उसकी एक्सपायरी डेट क्या है. इस लिहाज से यह जानकारी देना जरूरी है कि यह खाद्य पदार्थ कब बना है और उसे कितने समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (fssai) ने देश के तमाम राज्यों में खाद्य सुरक्षा आयुक्तों को भेजे पत्र में भी कहा है कि जनहित और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिठाई पर एक्सपायरी डेट दर्ज करने का फैसला लिया गया है और इसका पालन करना जरूरी है.

नए खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों में क्या है खास ?

दुकानों पर भी देना होगा बेस्ट बिफोर की जानकारी

इस नियम के तहत यह भी प्रावधान बनाया गया है कि दुकानों में बनने वाली मिठाई या अन्य खाद्य पदार्थों, मिठाई दुकान में ट्रे में रखी हुई मिठाई की भी बेस्ट और बिफोर यूज की तारीख लिखना जरूरी होगा. जिससे ग्राहकों को आसानी से मिठाई की जानकारी मिल सकेगी.

नए कानून की होटल व्यापारियों ने की सराहना

खाद्य लाइसेंस और मानदंडों और खाद्य सुरक्षा अधिनियम के नए प्रावधानों को लेकर होटल व्यापारियों ने भी इस नए कानून को सराहा है. होटल व्यवसाय महासंघ के पदाधिकारी अवध नारायण शुक्ला कहते हैं कि खाद्य सुरक्षा को लेकर लोग फाइव स्टार या थ्री स्टार होटल को छोड़कर इतना ध्यान नहीं देते थे, लेकिन अब तमाम होटल और रेस्टोरेंट भी इस बात पर बराबर ध्यान दे रहे है कि जो खाद्य पदार्थ ग्राहकों को परोस रहे है, वे खाद्य मानकों के अनुसार हो. मेनू कार्ड और खाने-पीने के पार्सल पैकिंग आइटम में भी कई तरह की जानकारी देने के लिए नियमों में प्रावधान किया गया है. जागरूक नागरिक इन सब तमाम नियमों को बखूबी जानते हैं. यही वजह है कि होटल व्यापारी भी इन नियमों का पालन कर रहे हैं.

लोगों को खाने-पीने पर भी जागरूक होने की जरूरत

लंबे समय से खाने-पीने की चीजों में मिलावट को रोकने के लिए काम कर रहे राजीव ब्रिगेड के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल का भी मानना है कि खाने-पीने की चीजों में मिलावट सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है. खाद्य सुरक्षा अधिनियम के नए प्रावधानों के तहत अब लोगों को खाने-पीने की चीजों में भी एक बार देखकर सामान यूज करने की जरूरत है. इसमें कई तरह के प्रावधान किए गए हैं. जिसके तहत मिलावटखोरों पर कड़ी कार्रवाई का भी प्रावधान है. अब लोगों को भी जागरुकता की जरूरत है. जिस तरह से कोरोना काल में लोग मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग कर रहे हैं. ऐसे ही खाने-पीने के लिए भी लोग जागरूक होकर ही इनका उपयोग करें.

पढ़ें: 'स्मार्ट बाजार' कहीं छीन न ले गोल बाजार के दुकानदारों का रोजगार

ट्रांसपेरेंसी के साथ काम करने की जरूरत

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बनाए गए कई प्रावधानों में मिलावटखोरों पर कड़ी कार्रवाई का भी प्रावधान शामिल है. इसे लेकर ETV भारत ने जब बुद्धिजीवियों से संपर्क किया, तो उनका भी मानना है कि नियम कानून तो जनहित के लिए ही बनते है, लेकिन इसके इंप्लीमेंटेशन की जिम्मेदारी सरकारी एजेंसियों पर ही होती है. ऐसे में सरकारी एजेंसियों पर ही मिलावटखोरों को कार्रवाई करने और संरक्षण देने का अधिकार होता है. सरकारी एजेंसियों को भी पारदर्शिता के साथ काम करने की जरूरत है.

जांच कराने से दूर हो रहे लोग

अधिवक्ता दुर्गा शंकर सिंह कहते हैं कि नियमों को कड़ाई से पालन कराने के लिए सरकारी एजेंसियों को भी आम लोगों के प्रति जिम्मेदार होने की जरूरत है. नए प्रावधानों में जिस तरह से खाद्य पदार्थ की जांच कराने के लिए नियम भी कड़े कर दिए गए हैं, इससे आम लोग भी अब शिकायत से दूर हो जाएंगे. पहले नाम मात्र के मूल्य पर खाद्य पदार्थो की जांच हो जाती थी, लेकिन अब 5 हजार रुपए की राशि जमा करने पर जांच करने का प्रावधान शामिल कर दिया गया है.

सरसों तेल में भी नहीं कर सकेंगे मिलावट

घरों में इस्तेमाल होने वाले सरसों तेल में खाद्य पदार्थों की मिलावट की जा रही है. इसे रोकने के लिए भी सख्त प्रावधान बनाया गया है. इसके तहत ऐसे खाद्य तेल बनाने वाले जिनके पास सरसों के तेल और वनस्पति तेल बनाने का लाइसेंस है, उन्हें दोनों को अलग-अलग बनाने का निर्देश दिया गया है. ताकि सरसों के तेल में मिलावट न की जा सके.

आम लोगों में जागरूकता जरूरी

जिस तरह से शुरू से ही मेडिकल से जुड़े तमाम दवाइयों और अन्य सामग्रियों में मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट लिखना जरूरी रहा है, उसी तर्ज पर खाद्य पदार्थों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है. इसमें खाने-पीने की जुड़ी सामग्रियां हैं. साथ ही दूध और आटे से बने बहुत से खाद्य पदार्थों पर भी बेस्ट बिफोर का उल्लेख करना जरूरी कर दिया गया है. ऐसे में आम लोगों को भी जागरूक होना बेहद जरूरी है. लोगों को भी चाहिए कि वे किसी भी तरह के खाद्य पदार्थों को लेने के पहले उसके उपयोग की समय सीमा की जानकारी जरूर लें.

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