रायपुर: विधानसभा के सियासी रण में मात खाने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर पहले तो ये दिखाने की कोशिश की, कि वो रमन के साथ खड़ी है, लेकिन वक्त बीतने के साथ ही रमन अकेले पड़ते गए.
हाल ही में बीजेपी की ओर से महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए जारी की गई स्टार प्रचारकों की सूची में से रमन का नाम नहीं है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस मामले पर तंज कसने में देर नहीं लगाई. उन्होंने कहा कि ' पूरा देश जान चुका है कि गरीबों का चावल किसने चुराया है, 36 हजार करोड़ का घोटाला किसने किया है, यह पूरा प्रदेश जान चुका है और इसलिए उन्हें नहीं बुलाया गया है'.
भूपेश बघेल पर किया पलटवार
वहीं जब इस बारे में रमन से बात की गई, तो कहा कि, 'इसमें दुख या खुशी होने की क्या बात है. मुझे छत्तीसगढ़ में रहना है और कौन प्रचार करने कहां जाता है, यह तो पार्टी तय करती है'. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चावल घोटाले वाले बयान पर पलटवार करते हुए रमन ने कहा कि 'छत्तीसगढ़ के चावल की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है, झूठी बाते करने से अगर वो छत्तीसगढ़ में चरित्र हत्या करना चाहते हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है'.
रविंद्र चौबे ने साधा निशाना
छत्तीसगढ़ सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे भी रमन पर चुटकी लेना नहीं भूले पहले तो उन्होंने इसे पार्टी का अंदरूनी फैसला बताया लेकिन आखिर में ये जरूर कह गए कि, रमन को अब आत्ममंथन की जरूरत है.
खुद को साबित करने की जरूरत
कभी छत्तीसगढ़ की सियासत की धुरी रहे राजनीति के इस माहिर खिलाड़ी के सामने इस मुश्किल हालात में खुद को एक बार फिर साबित करने की बडी चुनौती है. वरना वो दिन दूर नही जब बीजेपी के दूसरे बुजुर्ग नेताओं की तरह ही रमन भी गुनमानी के अंधेरे में खो जाएं.