रायपुर : जन्म और मृत्यु दोनों ही जीवन के सत्य हैं. जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य के जीवन में ग्रहों का प्रभाव पड़ता रहता है. जीवनकाल के दौरान ग्रह किसी भी मनुष्य के जीवन में असर डालते हैं. ग्रह ही इंसानों की तरक्की से लेकर उनकी असफलता का कारण बनते हैं. ऐसे में कुंडली के ग्रहों की दशा और दिशा किसी भी मनुष्य के लिए जरुरी हो जाती है. हमारे और आपके किसी की भी कुंडली में कुछ ग्रह तरक्की के लिए कारक होते हैं, तो कुछ ग्रह बाधक. आज हम इन्हीं बाधक ग्रहों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं.
बाधक ग्रहों से जीवन में प्रभाव : कुंडली में बाधक ग्रहों का प्रभाव बड़ा असर होता है. राजयोग देने वाले ग्रह ही बाधक हो जाते हैं. जिसके कारण जातक का भविष्य नकारात्मक बन जाता है. उसके शुभ प्रभावों में कमी हो जाती है. कुंडली में कुल 12 लग्न होते हैं. इसमें से 1, 4, 7 और 10 अर्थात मेष, कर्क, तुला, मकर यह लग्न होते हैं. इन चार लग्नों के लिए इनके एकादश भाव का स्वामी बाधक ग्रह होता है.
किस लग्न के लिए कौन से हैं बाधक ग्रह : इसी प्रकार स्थिर लग्न 2, 5, 8 और 11 यानि वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ लग्न इन चार स्थिर लग्न में नवांश में बाधक होता है. नवांश में भाग्य भाव का स्वामी भाग्य और स्वभाव यानी 3, 6, 9 और 12 में सप्तमेश बाधक ग्रह होता है. तीन और छह के स्वामी बुध, 9 और 12 के स्वामी गुरु होते हैं. तो इनका सप्तमेश मिथुन राशि के लिए गुरु, कन्या के लिए गुरु, धनु लग्न के लिए बुध और मीन लग्न के लिए बुध बाधक ग्रह के रूप में जाना जाता है.
''अनेक राज योग देने वाले ग्रह भी बाधक ग्रह हो जाते हैं, और स्वयं ही अपने फल में कमी करते हैं. विशेष कर नवम में जो भाग्य का स्वामी शुभ फल देता है, वही बाधक ग्रह बन जाता है. इस प्रकार ज्योतिषी के लिए सही भविष्य निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है. चर लग्न में लाभेश बाधक ग्रह होता है, लेकिन यह भी कहा गया है. लाभ भाव में रहने वाले सारे ग्रह शुभ फल प्रदान करते हैं, लेकिन अगर यह चर लग्न है, तो यह बाधक ग्रह हो गए." डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर,ज्योतिष एवं वास्तुविद
बाधक ग्रहों से बचने के लिए क्या करें उपाय ? : ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर के मुताबिक बाधक ग्रह के संबंध में भविष्यवाणी करना मुश्किल काम है, और यदि वह राजयोग हो जाता है, तो और भी कठिन है. इनके लिए इन ग्रहों का रत्न कभी भी धारण नहीं करना चाहिए. क्योंकि वह शक्तिशाली होकर कुंडली के अशुभ प्रभाव को ही बढ़ाएंगे. इसके लिए इनका रत्न धारण ना करके इन ग्रहों से संबंधित वृक्षों का रोपण करना फायदेमंद होता है.