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SPECIAL: प्लाज्मा थेरेपी ट्रायल की ओर रायपुर एम्स के बढ़ते कदम

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के निर्देशन में कोरोना से निपटने के लिए देशभर के मेडिकल संस्थानों में प्लाज्मा थेरेपी का क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है. रायपुर एम्स में भी प्लाज्मा थेरेपी का क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा. इसकी तैयारी चल रही है.

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प्लाज्मा थेरेपी के ट्रायल की ओर रायपुर एम्स
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Published : May 25, 2020, 10:27 AM IST

रायपुर: देश में कोरोना संक्रमित मरीज़ों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिसके बाद कोरोना संक्रमण के इलाज को लेकर शोध तेजी से जारी है. कोविड 19 महामारी के खिलाफ लगातार जंग जारी है. कई देशों में इसके टीके को लेकर रिसर्च चल रहा है. कई देश टीके के ट्रायल में भी जुटे हुए हैं. इसके इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी समेत अलग-अलग थेरेपी भी अपनाई जा रही है. रायपुर एम्स में भी प्लाज्मा थेरेपी पर काम चल रहा है. (ICMR) इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के निर्देशन में कोरोना से निपटने के लिए देशभर के चिकित्सा संस्थानों में प्लाज्मा थेरेपी का क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है. रायपुर एम्स मे भी इसकी तैयारी चल रही है.

प्लाज्मा थेरेपी पर होगा ट्रायल

कोरोना के गंभीर रोगियों में दुष्प्रभाव को रोकने के लिए रायपुर एम्स में भी प्लाज्मा थेरेपी का क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा. इसमें यह जानकारी ली जाएगी कि एंटी सार्स कोव 2 प्लाज्मा का उपचार रोगियों पर सुरक्षित है या नहीं. रायपुर एम्स के डायरेक्टर ने रिसर्च प्रोटोकॉल और प्लाज्मा डोनर को लेकर डिटेल्ड जानकारी दी है. रिसर्च प्रोटोकॉल के अनुसार इस ट्रायल में उन रोगियों को शामिल किया जाएगा जो 18 साल से अधिक के हैं. साथ ही जिनके रक्त से संबंधित डोनर का प्लाज्मा उपलब्ध है. इसमें गर्भवती और किसी अन्य ट्रायल से संबंधित रोगियों को शामिल नहीं किया जाएगा.

पढे़ें: गन्ना खरीदी में सूरजपुर बना छत्तीसगढ़ में नंबर वन

क्या होता है प्लाज्मा थेरेपी

जानकारों की मानें तो प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में प्लाज्मा फेरेसिस के नाम से जाना जाता है. प्लाज्मा थेरेपी में खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं से अलग कर किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अनहेल्दी टिश्यू मिलाया जाता है. इससे ना केवल संक्रमण का पता चलता है बल्कि उसके स्वास्थ्य में होने का अध्ययन भी किया जाता है. ठीक हो चुके एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से अन्य लोगों का भी इलाज किया जा सकता है.

ब्लड बैंक की भूमिका

प्लाज्मा थेरेपी में ब्लड बैंक की भूमिका अहम होगी. प्लाज्मा थेरेपी से ठीक हो चुके कोरोना मरीज़ यहां अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकेंगें. इसके लिए रेडक्रॉस ने भी तैयारी शुरू कर दी है. रेडक्रॉस सोसाइटी की ओर से संचालित ब्लड बैंक में प्लाज्मा कलेक्शन के लिए विशेष तैयारी चल रही है. डॉक्टरों का मानना है कि प्लाज्मा कलेक्शन के लिए लोगों को अवेयर किया जाना भी काफी जरूरी है. लिहाज़ा कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को भी प्लाज्मा डोनेट करने के लिए जागरूक होने की ज़रूरत है.

रायपुर: देश में कोरोना संक्रमित मरीज़ों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिसके बाद कोरोना संक्रमण के इलाज को लेकर शोध तेजी से जारी है. कोविड 19 महामारी के खिलाफ लगातार जंग जारी है. कई देशों में इसके टीके को लेकर रिसर्च चल रहा है. कई देश टीके के ट्रायल में भी जुटे हुए हैं. इसके इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी समेत अलग-अलग थेरेपी भी अपनाई जा रही है. रायपुर एम्स में भी प्लाज्मा थेरेपी पर काम चल रहा है. (ICMR) इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के निर्देशन में कोरोना से निपटने के लिए देशभर के चिकित्सा संस्थानों में प्लाज्मा थेरेपी का क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है. रायपुर एम्स मे भी इसकी तैयारी चल रही है.

प्लाज्मा थेरेपी पर होगा ट्रायल

कोरोना के गंभीर रोगियों में दुष्प्रभाव को रोकने के लिए रायपुर एम्स में भी प्लाज्मा थेरेपी का क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा. इसमें यह जानकारी ली जाएगी कि एंटी सार्स कोव 2 प्लाज्मा का उपचार रोगियों पर सुरक्षित है या नहीं. रायपुर एम्स के डायरेक्टर ने रिसर्च प्रोटोकॉल और प्लाज्मा डोनर को लेकर डिटेल्ड जानकारी दी है. रिसर्च प्रोटोकॉल के अनुसार इस ट्रायल में उन रोगियों को शामिल किया जाएगा जो 18 साल से अधिक के हैं. साथ ही जिनके रक्त से संबंधित डोनर का प्लाज्मा उपलब्ध है. इसमें गर्भवती और किसी अन्य ट्रायल से संबंधित रोगियों को शामिल नहीं किया जाएगा.

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क्या होता है प्लाज्मा थेरेपी

जानकारों की मानें तो प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में प्लाज्मा फेरेसिस के नाम से जाना जाता है. प्लाज्मा थेरेपी में खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं से अलग कर किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अनहेल्दी टिश्यू मिलाया जाता है. इससे ना केवल संक्रमण का पता चलता है बल्कि उसके स्वास्थ्य में होने का अध्ययन भी किया जाता है. ठीक हो चुके एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से अन्य लोगों का भी इलाज किया जा सकता है.

ब्लड बैंक की भूमिका

प्लाज्मा थेरेपी में ब्लड बैंक की भूमिका अहम होगी. प्लाज्मा थेरेपी से ठीक हो चुके कोरोना मरीज़ यहां अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकेंगें. इसके लिए रेडक्रॉस ने भी तैयारी शुरू कर दी है. रेडक्रॉस सोसाइटी की ओर से संचालित ब्लड बैंक में प्लाज्मा कलेक्शन के लिए विशेष तैयारी चल रही है. डॉक्टरों का मानना है कि प्लाज्मा कलेक्शन के लिए लोगों को अवेयर किया जाना भी काफी जरूरी है. लिहाज़ा कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को भी प्लाज्मा डोनेट करने के लिए जागरूक होने की ज़रूरत है.

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