रायपुर: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि राधा अष्टमी, दुर्गा अष्टमी और दधीचि जयंती के नाम से जानी जाती है. इस शुभ दिन राधा रानी की पूजा, उपवास, व्रत, भजन गीत गायन किया जाता है. जन्माष्टमी के 15 दिन के बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. राधा रानी का जन्म विशेष पूजा पाठ, जप तप और योग बल के कारण हुआ था. राधा रानी स्नेह, प्रेम की प्रतीक मानी जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि राधा अष्टमी का व्रत करने पर भगवान कृष्ण भी प्रसन्न हो जाते हैं. राधा अष्टमी का व्रत करने पर लक्ष्मी माता प्रसन्न होती हैं. महिलाएं अपने पति की रक्षा, लंबी आयु और अपने संतान की कामना के लिए राधा अष्टमी का व्रत रखती हैं.
राधा अष्टमी का व्रत करने से घर आती हैं लक्ष्मी: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि इस व्रत को करने से माता लक्ष्मी भी बहुत प्रसन्न होती है और स्थायी रूप से भक्तों के यहां निवास करने चली आती है. इस बार राधा अष्टमी का पर्व भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को मूल नक्षत्र सौभाग्य योग और गद योग बव और बालवकरण के सुंदर संयोग में मनाया जाएगा. इस दिन धनु राशि का चंद्रमा विद्यमान रहेगा. इस दिन गुरु और राहु अपनी युति बना रहे हैं. चंद्र चक्र से दशम सूर्य और दशम मंगल कई सहयोग बना रहे हैं.
किसी भी काम के लिए अच्छा है दिन: राधा अष्टमी के शुभ दिन कोई भी काम शुरू करना अच्छा माना जाता है. इस शुभ दिन राधा रानी की विशेष पूजा करनी चाहिए. आज के दिन राधा चालीसा, राधा रानी की आरती और विभिन्न लोकगीतों जस गीतों को गाने का विधान है. भगवान कृष्ण और राधा रानी को पवित्र मन से स्मरण करने का दिन है.
पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि आस्था और श्रद्धापूर्वक भगवान कृष्ण को याद करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती है. आज के शुभ दिन भागवत गीता, वेद, रामायण बांटना भी शुभ माना जाता है. शनिवार का दिन होने के कारण शाम को हनुमान जी की आराधना करना अत्यंत शुभ है. राधा अष्टमी का व्रत, उपवास करने पर निसंतान दंपतियों को जल्द संतान होती है. ऐसे लोग जिनके दांपत्य जीवन में प्रतिकूलता हो वे भी इस व्रत को करे तो उन्हें अच्छा लाभ मिलता है.