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Veteran Armed Force Day 2023 :भूतपूर्व सैनिक दिवस का उद्देश्य और इतिहास

14 जनवरी 2023 को सातवां सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस मनाया जाएगा. यह दिवस फील्ड मार्शल केएम करियप्पा द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के सम्मान और मान्यता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. वह पहले भारतीय सेना प्रमुख थे और 14 जनवरी 1953 को सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे.यह उपाधि अंतिम ब्रिटिश सेना प्रमुख जनरल फ्रांसिस बुचर से 1949 में उन्हें हस्तांतरित की गई थी. फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा को प्यार से 'किपर' कहा जाता था. के एम करिअप्पा का जन्म 28 जनवरी 1900 को मर्कारा राज्य में हुआ था, जिसे अब कर्नाटक के नाम से जाना जाता है.

Veteran Armed Force Day 2023
भूतपूर्व सैनिक दिवस का उद्देश्य और इतिहास
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Published : Jan 13, 2023, 6:27 PM IST

रायपुर /हैदराबाद : केएम करियप्पा ने 1919 में भारतीय कैडेटों के पहले समूह के साथ किंग्स कमीशन प्राप्त किया. 1933 में स्टाफ कॉलेज क्वेटा में शामिल होने वाले पहले भारतीय अधिकारी थे. 1942 में लेफ्टिनेंट कर्नल के एम करियप्पा ने 7वीं राजपूत मशीन गन बटालियन (अब 17 राजपूत) को खड़ा किया.1946 में एक ब्रिगेडियर के रूप में वह इंपीरियल डिफेंस कॉलेज यूके में शामिल हो गए.बल पुनर्गठन समिति की सेना उप समिति के सदस्य के रूप में सेवा करने के लिए यूके से वापस बुलाए गए, विभाजन के दौरान उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सेना के विभाजन के लिए एक सौहार्दपूर्ण समझौता किया. इस दिन को परेड के रूप में मनाया जाता है. इस दिन नई दिल्ली के साथ-साथ भारतीय सेना के विभिन्न अन्य मुख्यालयों में अन्य सैन्य शो भी आयोजित किए जाते हैं.

क्या है सैनिक बोर्ड का इतिहास : भारत सरकार के आदेशानुसार वर्ष 1917 मे उत्तर प्रदेश के सचिवालय में एक ‘वॉर बोर्ड’ की स्थापना की गई. वर्ष 1919 में इस वॉर बोर्ड को प्रान्तीय सोल्जर्स बोर्ड में परिवर्तित कर दिया गया. इसकी स्थिति सचिवालय के एक विभाग के समकक्ष थी. इसका व्यय सचिवालय के बजट से ही वहन किया जाता था. प्रान्तीय सोल्जर्स बोर्ड के अध्यक्ष राज्यपाल महोदय होते थे. अप्रैल 1942 में यह कार्यालय दूसरे विश्व महायुद्ध के दौरान सचिवालय से राजभवन में कर दिया गया. 31 मार्च, 1949 तक यही स्थिति रही . अप्रैल 1949 से प्रान्तीय सोल्जर्स बोर्ड का बजट सचिवालय से अलग कर दिया गया. अगस्त, 1949 में इस परिषद के लिये पूर्णकालिक सचिव की नियुक्ति भी कर दी गई. यह स्थिति 1971 तक बनीं रही.वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय उत्पन्न हुई. स्थिति से इस परिषद के उत्तरदायित्व अधिक बढ़ा दिये गये. जिसके बाद इस संस्था के सुदृढ़ीकरण और पुनर्जीवन प्रदान करने के लिये इस संस्था का स्तर सैनिक कल्याण निदेशालय कर दिया गया. इस निदेशालय का कार्यभार एक वरिष्ठ अवकाश प्राप्त सेनाधिकारी को सौंपा गया . इसके लिये एक उपनिदेशक और 16 लिपिक कर्मचारी स्वीकृत किये गये.

ये भी पढ़ें- जानिए क्यों मनाया जाता है थल सेना दिवस

भूतपूर्व सैनिक दिवस मनाने का उद्देश्य : भारतीय सेना दिवस मनाने का उद्देश्य हमारे बहादुर सैनिकों को सलाम करना है, जो हमारी रक्षा के लिए अपना बलिदान देने को तैयार रहते हैं. इस वर्ष 15 जनवरी 2023 में भारत अपना 7 वां भारतीय सेना दिवस मना रहा है. खास बात यह है कि इतिहास में पहली बार दिल्ली से बाहर 15 जनवरी 2023 को बेंगलुरु में सेना दिवस परेड आयोजित की जा रही है.

रायपुर /हैदराबाद : केएम करियप्पा ने 1919 में भारतीय कैडेटों के पहले समूह के साथ किंग्स कमीशन प्राप्त किया. 1933 में स्टाफ कॉलेज क्वेटा में शामिल होने वाले पहले भारतीय अधिकारी थे. 1942 में लेफ्टिनेंट कर्नल के एम करियप्पा ने 7वीं राजपूत मशीन गन बटालियन (अब 17 राजपूत) को खड़ा किया.1946 में एक ब्रिगेडियर के रूप में वह इंपीरियल डिफेंस कॉलेज यूके में शामिल हो गए.बल पुनर्गठन समिति की सेना उप समिति के सदस्य के रूप में सेवा करने के लिए यूके से वापस बुलाए गए, विभाजन के दौरान उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सेना के विभाजन के लिए एक सौहार्दपूर्ण समझौता किया. इस दिन को परेड के रूप में मनाया जाता है. इस दिन नई दिल्ली के साथ-साथ भारतीय सेना के विभिन्न अन्य मुख्यालयों में अन्य सैन्य शो भी आयोजित किए जाते हैं.

क्या है सैनिक बोर्ड का इतिहास : भारत सरकार के आदेशानुसार वर्ष 1917 मे उत्तर प्रदेश के सचिवालय में एक ‘वॉर बोर्ड’ की स्थापना की गई. वर्ष 1919 में इस वॉर बोर्ड को प्रान्तीय सोल्जर्स बोर्ड में परिवर्तित कर दिया गया. इसकी स्थिति सचिवालय के एक विभाग के समकक्ष थी. इसका व्यय सचिवालय के बजट से ही वहन किया जाता था. प्रान्तीय सोल्जर्स बोर्ड के अध्यक्ष राज्यपाल महोदय होते थे. अप्रैल 1942 में यह कार्यालय दूसरे विश्व महायुद्ध के दौरान सचिवालय से राजभवन में कर दिया गया. 31 मार्च, 1949 तक यही स्थिति रही . अप्रैल 1949 से प्रान्तीय सोल्जर्स बोर्ड का बजट सचिवालय से अलग कर दिया गया. अगस्त, 1949 में इस परिषद के लिये पूर्णकालिक सचिव की नियुक्ति भी कर दी गई. यह स्थिति 1971 तक बनीं रही.वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय उत्पन्न हुई. स्थिति से इस परिषद के उत्तरदायित्व अधिक बढ़ा दिये गये. जिसके बाद इस संस्था के सुदृढ़ीकरण और पुनर्जीवन प्रदान करने के लिये इस संस्था का स्तर सैनिक कल्याण निदेशालय कर दिया गया. इस निदेशालय का कार्यभार एक वरिष्ठ अवकाश प्राप्त सेनाधिकारी को सौंपा गया . इसके लिये एक उपनिदेशक और 16 लिपिक कर्मचारी स्वीकृत किये गये.

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भूतपूर्व सैनिक दिवस मनाने का उद्देश्य : भारतीय सेना दिवस मनाने का उद्देश्य हमारे बहादुर सैनिकों को सलाम करना है, जो हमारी रक्षा के लिए अपना बलिदान देने को तैयार रहते हैं. इस वर्ष 15 जनवरी 2023 में भारत अपना 7 वां भारतीय सेना दिवस मना रहा है. खास बात यह है कि इतिहास में पहली बार दिल्ली से बाहर 15 जनवरी 2023 को बेंगलुरु में सेना दिवस परेड आयोजित की जा रही है.

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