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SPECIAL: खारून के तट पर फिर लगेगा पुन्नी मेला, कोरोना के कारण फीका रहेगा आयोजन

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Published : Nov 27, 2020, 1:21 PM IST

रायपुर में 30 नवंबर से 3 दिवसीय पुन्नी मेले का आयोजन महादेव घाट पर किया जाएगा, लेकिन इस बार कोरोना की गाइडलाइन के कारण इसकी रौनक फीकी रहेगी. वहीं छोटे दुकानदारों जिनकी कमर पहले से ही कोरोना ने तोड़ रखी है, उनमें काफी मायूसी है, क्योंकि इस बार कई दुकानों, सर्कस, जादू के खेल, मीना बाजार लगाने पर प्रतिबंध लगाया गया है.

Preparation for punni mela
पुन्नी मेले की तैयारी

रायपुर: राजधानी रायपुर में खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव घाट पर हर साल की तरह एक बार फिर पुन्नी मेले का आयोजन होगा. पुन्नी मेले का आयोजन 30 नवंबर से होगा, जो 3 दिनों तक चलेगा. हालांकि इस बार मेले की रौनक पिछले सालों की तरह नहीं रहेगी. बीते सालों की तरह यहां न रंग-बिरंगी दुकानें लगेंगी, न मौत के कुएं का रोमांच होगा, न तो जादू के खेल होंगे और न तो मीना बाजार होगा. बच्चों का मनपसंद सर्कस भी इस बार नहीं लगाया जाएगा. कोरोना महामारी ने हर त्योहार, हर मेले का रंग फीका कर दिया है. मेले में केवल स्थानीय लोग दुकानें लगाएंगे, लेकिन बाहर से आकर जो लोग दुकानें लगाते थे, वो इस बार दुकानें नहीं लगा सकेंगे.

पुन्नी मेले की तैयारी

दुकानदारों की आर्थिक स्थिति खराब

महादेव घाट में स्थायी तौर पर लगभग 50 दुकानें लगती हैं. यहां के दुकानदारों का कहना है कि कोरोना के कारण उनका धंधा पहले से ही चौपट है. उन्हें उम्मीद थी कि पुन्नी मेले में उनकी अच्छी कमाई होगी, लेकिन मीना बाजार, सर्कस, जादू के खेल समेत अन्य मनोरंजन के साधनों पर प्रतिबंध लग जाने से उनकी बिक्री काफी हद तक प्रभावित होगी.

Shop outside Hatkeshwar Mahadev Temple
हटकेश्वर महादेव मंदिर के बाहर दुकान

इन दुकानदारों को पुन्नी मेले का काफी समय से इंतजार रहता है कि कब मेला लगेगा और कब इनकी बिक्री अच्छे से होगी, लेकिन इस बार इनकी यह उम्मीद केवल उम्मीद बनकर रह जाएगी.

Shop outside Hatkeshwar Mahadev Temple
हटकेश्वर महादेव मंदिर के बाहर दुकान

VIDEO: डिलीवरी से पहले गर्भवती और महिला डॉक्टर का टेंशन रिलीज करने वाला डांस

साल 1428 से हो रहा है पुन्नी मेले का आयोजन

कार्तिक पूर्णिमा मेले का आयोजन सन् 1428 से हो रहा है, जहां पर आसपास के सैकड़ों गांवों से हजारों लोग मेला घूमने आते हैं. वे यहां पवित्र नदी में स्नान करने के साथ ही हटकेश्वर नाथ के मंदिर में दर्शन भी करते हैं. हालांकि इस साल कोरोना के कारण यहां आने वाले भक्तों की संख्या कम रहने कीस संभावना है. वहीं सरकार की गाइडलाइन का पालन करना भी अनिवार्य रहेगा. संक्रमण के डर के कारण कई लोग इस बार मेले में आने से बचेंगे.

Hatkeshwar Mahadev Temple
हटकेश्वर महादेव मंदिर

महादेव घाट पर स्थायी रूप से कई तरह की दुकानें पिछले कई सालों से लगाई जा रही हैं, जिसमें बच्चों के खिलौने, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, भगवान की मूर्तियां और फैंसी सामानों की दुकानें लगेंगी, लेकिन बाहर से जो दुकानें मेले में सजती थीं, इस बार उन्हें लगाने की अनुमति नहीं रहेगी. जिसके कारण इस बार का पुन्नी मेले का रंग फीका सा नजर आएगा.

Shop outside Hatkeshwar Mahadev Temple
हटकेश्वर महादेव मंदिर के बाहर दुकान

माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए की थी कठिन तपस्या

खारून नदी के तट पर स्थित महादेव घाट के हटकेश्वरनाथ मंदिर के पुजारी सुरेश गोस्वामी ने बताया कि पुन्नी मेले का आयोजन सन 1428 से किया जा रहा है. यहां पर दूर-दूर के जिलों के लोग इस मेले में आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते मेले में भीड़ कम देखने को मिलेगी. पुन्नी मेले के महत्व के बारे में उन्होंने बताया कि कार्तिक मास में माता गौरी ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कार्तिक मास में एक महीने तक स्नान किया था, जिसके कारण भी कार्तिक महीने में नदियों में स्नान करने का महत्व है.

Hatkeshwar Mahadev Temple
हटकेश्वर महादेव मंदिर

आस्था या अंधविश्वास: महिलाओं को लिटाकर उनके ऊपर चलते हैं बैगा, जानिए क्यों

हटकेश्वर नाथ मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता

हटकेश्वर नाथ महादेव मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि 600 साल पहले राजा ब्रह्मदेव ने हटकेश्वर नाथ महादेव से संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी. मन्नत पूरी होने पर 1428 में खारून नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ने अपनी प्रजा को भोज के लिए आमंत्रित किया. हवन-पूजन, यज्ञ के बाद ग्रामीणों ने खेल-तमाशे का आनंद लेते हुए भोजन ग्रहण किया था. इसके बाद से हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ग्रामीणों को आमंत्रित करते थे. कालांतर में यह परंपरा मेले के रूप में परिवर्तित हो गई, जिसे पुन्नी मेले के नाम से जाना जाता है.

Mahadev Ghat, Raipur
महादेव घाट, रायपुर

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए गाइडलाइन

कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार हटकेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालु और भक्तों को मेन गेट से एंट्री की अनुमति नहीं होगी. इसके लिए नदी के तरफ पीछे वाले गेट से भक्तों को आने-जाने की अनुमति मिलेगी. इसमें भी नियम और शर्तों के तहत 10-10 के ग्रुप में भक्तों को भगवान का दर्शन कराया जाएगा. इस दौरान कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन भी किया जाएगा और भक्त आसानी से भगवान हटकेश्वर नाथ के दर्शन भी कर सकेंगे.

Preparation for punni mela
पुन्नी मेले की तैयारी
Preparation for punni mela
पुन्नी मेले की तैयारी

रायपुर: राजधानी रायपुर में खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव घाट पर हर साल की तरह एक बार फिर पुन्नी मेले का आयोजन होगा. पुन्नी मेले का आयोजन 30 नवंबर से होगा, जो 3 दिनों तक चलेगा. हालांकि इस बार मेले की रौनक पिछले सालों की तरह नहीं रहेगी. बीते सालों की तरह यहां न रंग-बिरंगी दुकानें लगेंगी, न मौत के कुएं का रोमांच होगा, न तो जादू के खेल होंगे और न तो मीना बाजार होगा. बच्चों का मनपसंद सर्कस भी इस बार नहीं लगाया जाएगा. कोरोना महामारी ने हर त्योहार, हर मेले का रंग फीका कर दिया है. मेले में केवल स्थानीय लोग दुकानें लगाएंगे, लेकिन बाहर से आकर जो लोग दुकानें लगाते थे, वो इस बार दुकानें नहीं लगा सकेंगे.

पुन्नी मेले की तैयारी

दुकानदारों की आर्थिक स्थिति खराब

महादेव घाट में स्थायी तौर पर लगभग 50 दुकानें लगती हैं. यहां के दुकानदारों का कहना है कि कोरोना के कारण उनका धंधा पहले से ही चौपट है. उन्हें उम्मीद थी कि पुन्नी मेले में उनकी अच्छी कमाई होगी, लेकिन मीना बाजार, सर्कस, जादू के खेल समेत अन्य मनोरंजन के साधनों पर प्रतिबंध लग जाने से उनकी बिक्री काफी हद तक प्रभावित होगी.

Shop outside Hatkeshwar Mahadev Temple
हटकेश्वर महादेव मंदिर के बाहर दुकान

इन दुकानदारों को पुन्नी मेले का काफी समय से इंतजार रहता है कि कब मेला लगेगा और कब इनकी बिक्री अच्छे से होगी, लेकिन इस बार इनकी यह उम्मीद केवल उम्मीद बनकर रह जाएगी.

Shop outside Hatkeshwar Mahadev Temple
हटकेश्वर महादेव मंदिर के बाहर दुकान

VIDEO: डिलीवरी से पहले गर्भवती और महिला डॉक्टर का टेंशन रिलीज करने वाला डांस

साल 1428 से हो रहा है पुन्नी मेले का आयोजन

कार्तिक पूर्णिमा मेले का आयोजन सन् 1428 से हो रहा है, जहां पर आसपास के सैकड़ों गांवों से हजारों लोग मेला घूमने आते हैं. वे यहां पवित्र नदी में स्नान करने के साथ ही हटकेश्वर नाथ के मंदिर में दर्शन भी करते हैं. हालांकि इस साल कोरोना के कारण यहां आने वाले भक्तों की संख्या कम रहने कीस संभावना है. वहीं सरकार की गाइडलाइन का पालन करना भी अनिवार्य रहेगा. संक्रमण के डर के कारण कई लोग इस बार मेले में आने से बचेंगे.

Hatkeshwar Mahadev Temple
हटकेश्वर महादेव मंदिर

महादेव घाट पर स्थायी रूप से कई तरह की दुकानें पिछले कई सालों से लगाई जा रही हैं, जिसमें बच्चों के खिलौने, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, भगवान की मूर्तियां और फैंसी सामानों की दुकानें लगेंगी, लेकिन बाहर से जो दुकानें मेले में सजती थीं, इस बार उन्हें लगाने की अनुमति नहीं रहेगी. जिसके कारण इस बार का पुन्नी मेले का रंग फीका सा नजर आएगा.

Shop outside Hatkeshwar Mahadev Temple
हटकेश्वर महादेव मंदिर के बाहर दुकान

माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए की थी कठिन तपस्या

खारून नदी के तट पर स्थित महादेव घाट के हटकेश्वरनाथ मंदिर के पुजारी सुरेश गोस्वामी ने बताया कि पुन्नी मेले का आयोजन सन 1428 से किया जा रहा है. यहां पर दूर-दूर के जिलों के लोग इस मेले में आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते मेले में भीड़ कम देखने को मिलेगी. पुन्नी मेले के महत्व के बारे में उन्होंने बताया कि कार्तिक मास में माता गौरी ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कार्तिक मास में एक महीने तक स्नान किया था, जिसके कारण भी कार्तिक महीने में नदियों में स्नान करने का महत्व है.

Hatkeshwar Mahadev Temple
हटकेश्वर महादेव मंदिर

आस्था या अंधविश्वास: महिलाओं को लिटाकर उनके ऊपर चलते हैं बैगा, जानिए क्यों

हटकेश्वर नाथ मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता

हटकेश्वर नाथ महादेव मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि 600 साल पहले राजा ब्रह्मदेव ने हटकेश्वर नाथ महादेव से संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी. मन्नत पूरी होने पर 1428 में खारून नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ने अपनी प्रजा को भोज के लिए आमंत्रित किया. हवन-पूजन, यज्ञ के बाद ग्रामीणों ने खेल-तमाशे का आनंद लेते हुए भोजन ग्रहण किया था. इसके बाद से हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ग्रामीणों को आमंत्रित करते थे. कालांतर में यह परंपरा मेले के रूप में परिवर्तित हो गई, जिसे पुन्नी मेले के नाम से जाना जाता है.

Mahadev Ghat, Raipur
महादेव घाट, रायपुर

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए गाइडलाइन

कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार हटकेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालु और भक्तों को मेन गेट से एंट्री की अनुमति नहीं होगी. इसके लिए नदी के तरफ पीछे वाले गेट से भक्तों को आने-जाने की अनुमति मिलेगी. इसमें भी नियम और शर्तों के तहत 10-10 के ग्रुप में भक्तों को भगवान का दर्शन कराया जाएगा. इस दौरान कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन भी किया जाएगा और भक्त आसानी से भगवान हटकेश्वर नाथ के दर्शन भी कर सकेंगे.

Preparation for punni mela
पुन्नी मेले की तैयारी
Preparation for punni mela
पुन्नी मेले की तैयारी
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