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चित्रकोट उपचुनाव: नेताओं के वादों के बीच, क्या है जनता का मन - मुख्यमंत्री रमन सिंह

चित्रकोट विधानसभा उपचुनाव के लिए दोनों पार्टियां जोर-शोर से प्रचार कर रहीं है. सभी जनता को लुभाने में लगे हुए हैं. लेकिन जनता के मन में क्या चल रहा है, जनता किसे चित्रकोट का विधायक बनाएगी इसका फैसला आगामी चुनाव के बाद हो जाएगा.

चुनावी सभा में शामिल होने आए ग्रामीण
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Published : Oct 18, 2019, 5:02 PM IST

Updated : Oct 18, 2019, 7:26 PM IST

जगदलपुर: चित्रकोट विधानसभा चुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होने हैं. इसको लेकर दोनों ही राजनीतिक दलों के नेता चुनावी प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं. पार्टी के सभी बड़े पदाधिकारी बचे हुए इन 2 दिनों में एक-एक मतदाता तक पहुंचने में लगे हुए हैं. इस चुनाव में पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं लेकिन चुनाव में स्थानीय मुद्दे गायब हैं. क्षेत्र के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं.

चुनावी सभा में शामिल होने पहुंचे ग्रमीण

लोगों में स्थानीय विधायक के खिलाफ नाराजगी
चार विकासखंडों के इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा संख्या आदिवासियों की है और यहां के आदिवासी खेती-बाड़ी के भरोसे हैं. कांग्रेस के दीपक बैज विधायक रहे. जिसके बाद वे सांसद बने. लोगों में उनके खिलाफ नाराजगी साफ देखने को मिल रही है. दरअसल ग्रामीणों का कहना है कि हर बार चुनाव के दौरान नेता वादे तो बहुत करते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर एक भी काम नहीं हो पाते. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में न तो सड़क है न ही बिजली.

मुलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे ग्रामीण
ग्रामीण महिलाओं से जब ETV भारत ने बात की तब ग्रामीणों ने कई समस्याएं गिनाई. ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें ना तो पेंशन मिलती है और ना ही उज्जवला गैस योजना का फायदा मिलता है. इसके साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि राशन में चना, नमक और शक्कर भी नहीं मिलता है. हर बार शिकायत करने पर आश्वासन तो जरूर मिलता है लेकिन वादे पूरे नहीं होते. ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि आज भी वो लोग बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं.

जगदलपुर: चित्रकोट विधानसभा चुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होने हैं. इसको लेकर दोनों ही राजनीतिक दलों के नेता चुनावी प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं. पार्टी के सभी बड़े पदाधिकारी बचे हुए इन 2 दिनों में एक-एक मतदाता तक पहुंचने में लगे हुए हैं. इस चुनाव में पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं लेकिन चुनाव में स्थानीय मुद्दे गायब हैं. क्षेत्र के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं.

चुनावी सभा में शामिल होने पहुंचे ग्रमीण

लोगों में स्थानीय विधायक के खिलाफ नाराजगी
चार विकासखंडों के इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा संख्या आदिवासियों की है और यहां के आदिवासी खेती-बाड़ी के भरोसे हैं. कांग्रेस के दीपक बैज विधायक रहे. जिसके बाद वे सांसद बने. लोगों में उनके खिलाफ नाराजगी साफ देखने को मिल रही है. दरअसल ग्रामीणों का कहना है कि हर बार चुनाव के दौरान नेता वादे तो बहुत करते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर एक भी काम नहीं हो पाते. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में न तो सड़क है न ही बिजली.

मुलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे ग्रामीण
ग्रामीण महिलाओं से जब ETV भारत ने बात की तब ग्रामीणों ने कई समस्याएं गिनाई. ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें ना तो पेंशन मिलती है और ना ही उज्जवला गैस योजना का फायदा मिलता है. इसके साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि राशन में चना, नमक और शक्कर भी नहीं मिलता है. हर बार शिकायत करने पर आश्वासन तो जरूर मिलता है लेकिन वादे पूरे नहीं होते. ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि आज भी वो लोग बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं.

Intro:जगदलपुर । चित्रकोट विधानसभा चुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होने हैं । और इसको लेकर दोनों ही राजनीतिक दलों के नेता चुनावी प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं। पार्टी के सभी बड़े पदाधिकारी चुनाव प्रचार के लिए बचे इन 2 दिनों में एक एक मतदाता तक पहुंचने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं । और इस चुनाव में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी भी चरम पर है। लेकिन चुनाव में स्थानीय मुद्दे गायब हैं और आज भी क्षेत्र के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं।


Body:चार विकास खंडों के इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक संख्या आदिवासियों की है और यहां के आदिवासी अपने खेती-बाड़ी मैं आश्रित हैं। बात करें तो यहां पिछले दो बीते 5 सालों से कांग्रेस के दीपक बैज विधायक रहे । जिसके बाद वे सांसद बने। लेकिन आज भी उनके खिलाफ नाराजगी लोगों में साफ देखने को मिल रही है। दरअसल ग्रामीणों का कहना है कि हर बार चुनाव के दौरान नेता वायदे तो बहुत बड़े बड़े करते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर एक भी काम नहीं हो पाते। और आज भी यहां की जनता जरूरी अपने मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं गांव में सड़क है ना बिजली है।


Conclusion:ग्रामीण महिलाओं से जब हमने बात की तो उनका कहना है कि ना तो उन्हें पेंशन मिलता है और ना ही उन्हें उज्जवला गैस योजना का लाभ मिला है। और ना ही राशन में चना नमक और शक्कर मिलता है। हर बार शिकायत करने पर आश्वासन तो जरूर मिलता है लेकिन वायदे पूरे नहीं होते। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि आज भी वह पेयजल, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओ के लिए जूझ रहे हैं। नेताओं को जब इसकी मांग की जाती है तो हमेशा की तरह आश्वासन ही मिलता है। वहीं कुछ महिलाओं ने कहा कि आज भी प्रदेश के मुख्यमंत्री रमन सिंह हैं क्योंकि वे यहां पर चावल वाले बाबा के नाम से जाने जाते हैं। और उन्हें चावल देते है। हालांकि इन सब नाराजगियो के बीच ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि वह वोट देने जरूर जाएंगे क्योंकि वोट देना जरूरी है । और वे चाहते हैं ऐसा प्रत्याशी इस चुनाव में जीत कर आए जो उनका और उनके क्षेत्र का विकास करें।

वन टू वन -ग्रामीण महिलाएं
Last Updated : Oct 18, 2019, 7:26 PM IST
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