रायपुर: रायपुर में छत्तीसगढ़ सरपंच संघ ने विरोध प्रदर्शन किया. 11 सूत्रीय मांगों को लेकर सरपंच संघ विरोध प्रदर्शन कर रहा (protest of chhattisgarh sarpanch union in raipur) है. सरपंच संघ के कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर सीएम भूपेश बघेल से मिलने उनके निवास स्थान की ओर जा रहे थे. इस दौरान रायपुर पुलिस ने आंदोलनकारी सरपंच संघ को रास्ते में रोक दिया. पुलिस ने बैरिकेडिंग कर सरपंच को (chhattisgarh sarpanch sangh) रोका. इस दौरान काफी देर तक वहां पर झूमाझटकी भी हुई. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल को भी तैनात किया गया था. मौके पर रायपुर के एसएसपी प्रशांत अग्रवाल पहुंचे थे. छत्तीसगढ़ सरपंच संघ के प्रदर्शन की वजह से काफी देर तक यातायात व्यवस्था बाधित रही.
सरकार मांगें नहीं मानी तो होगा उग्र प्रदर्शन: छत्तीसगढ़ सरपंच संघ के प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं ने ऐलान किया कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह 22 अगस्त से उग्र आंदोलन करेंगे. सरपंच संघ काम बंद और कलम बंद कर सभी शासकीय कार्यों का बहिष्कार करेंगे.
काम नहीं होने पर गांव वाले होते हैं नाराज: छत्तीसगढ़ सरपंच संघ के प्रदेश सचिव मोती पटेल का कहना है कि "आवास देने की योजना जो पहले सरकार देती थी वह योजना पूरी तरह से बंद हो चुकी है और लोग आवास की मांग कर रहे हैं. गांव की जनता ने हमे सरपंच चुना है और गांव के लोग सरपंच को गाली दे रहे हैं. सरकार मनरेगा सहित अन्य सरकारी कामों को पंचायत में करवा रही है. जिसमें सरपंच के द्वारा 15 से 20 लाख रुपए का बिल भी लगा दिया गया है. लेकिन शासन के द्वारा आज तक उसका भुगतान नहीं किया गया है. हर ग्राम पंचायत का सरपंच आज कर्ज से लद गया है. आखिर कब तक सरपंच कर्ज लेता रहेगा"
कब बढ़ेगा सरपंचों का मानदेय: छत्तीसगढ़ सरपंच संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रामनिवास ने बताया कि "ग्राम पंचायत के सरपंच बनने के बाद गांव की जनता की सेवा जरूर कर रहे हैं. लेकिन मानदेय के रूप में सरकार हर महीना 2000 रुपए दे रही है. यह सरपंच का अपमान है. घर परिवार भी चलाना अब मुश्किल हो गया है और आखिर गांव का सरपंच कब तक कर्ज लेकर सरकार की योजनाओं को अमलीजामा पहनाता रहेगा. सरपंच अपनी खेत बेचकर कर्ज के तले डूब गया है. जबकि सांसद और विधायकों का मानदेय एक बार में बढ़ा दिया जाता है. लेकिन सरपंचों को सरकार अनदेखा कर देती है"
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सरपंचों को लेना पड़ रहा है कर्ज: छत्तीसगढ़ सरपंच संघ के प्रदेश प्रवक्ता लक्ष्मी जयसवाल का कहना है कि सरपंच अपनी पंचायत के अंतिम छोर तक का विकास कार्यों को पूरा करवाते हैं. चाहे वह राज्य सरकार की योजना हो या फिर केंद्र सरकार की योजना हो. उसे पूरा कराने में सरपंच की अहम भूमिका रहती है. बावजूद इसके सरकार सरपंचों की अनदेखी कर रही है. पंचायत के सरपंच की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है और उसे दबाव में काम करना पड़ रहा है. अगर सरकार सरपंचों की मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो आगामी 22 अगस्त से सरपंच संघ काम बंद और कलम बंद आंदोलन करेगा"
सरपंच संघ की क्या हैं मांगें
- सरपंचों की मानदेय राशि 20 हजार रुपए और पंचों की मानदेय राशि 5 हजार रुपये की गई
- सरपंचों को आजीवन 10 हजार रुपये पेंशन दिया जाएगा
- 50 लाख की राशि तक के सभी कार्य में एजेंसी ग्राम पंचायत को ही बनाया जाए
- सरपंच निधि के रूप में राज्य सरकार के द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत को प्रतिवर्ष 10 लाख रुपए दिया जाना चाहिए
- नक्सलियों द्वारा सरपंच की हत्या पर 20 लाख रुपए का मुआवजा राशि और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जानी चाहिए
- 15वें वित्त आयोग की अनुदान राशि केवल उसी ग्राम पंचायत के लिए होनी चाहिए
- 15वें वित्त आयोग की राशि को अन्य योजनाओं के निर्माण कार्य में नहीं लगाया जाना चाहिए
- मनरेगा के सामान की राशि हर 3 महीने के अंदर भुगतान की जानी चाहिए
- मनरेगा निर्माण कार्य प्रारंभ करने के लिए 40% अग्रिम राशि सरकार के द्वारा प्रदान की जानी चाहिए
- कोरोना महामारी के कारण सरपंचों के कार्यकाल में 2 वर्ष की वृद्धि की जानी चाहिए
- प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना अंतर्गत आवास की राशि की महंगाई दर को देखते हुए इसमें 2 लाख रुपए की वृद्धि की जानी चाहिए .