रायपुर : छत्तीसगढ़ में पीएससी परीक्षा को लेकर संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते दिनों भाजयुमो ने पीएससी घोटाले का आरोप लगाते हुए प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया. बीजेपी ने नेताओं ने ये दावा किया कि प्रदेश की पीएससी परीक्षा में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. पीएससी में कांग्रेस के नेताओं और अफसरों के परिचितों का चयन हुआ है, जिसके विरोध में भाजयुमो ने सीएम हाउस का घेराव किया.
बीजेपी ने सीएम के आवास के घेराव की कोशिश की : इस घेराव कार्यक्रम में प्रदेश के नेतृत्व के साथ भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या भी मौजूद रहे. सप्रे स्कूल के पास आयोजित सभा के मंच से तेजस्वी सूर्या ने 2023 में बीजेपी सरकार बनने पर पीएससी भर्ती की सीबीआई जांच कराने की बात भी कही. बीजेपी के नेताओं का आरोप है कि प्रदेश के प्रमुख अधिकारियों के बेटे, बेटियों, नेताओं के बेटी- दामाद का चयन भी मेरिट सूची में हुआ है, जो संदेह की स्थिति पैदा कर रहा है. भर्ती परीक्षा में न्याय के लिए राज्य के सभी विद्यार्थियों ने बिलासपुर हाईकोर्ट में अपील की है.
सीएम भूपेश ने आरोपों को नकारा : बीजेपी के आरोपों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जवाब दिया है. सीएम भूपेश बघेल के मुताबिक "पीएससी में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. पहले उम्मीदवार शिकायत करते थे. अब बीजेपी वाले कर रहे है. युवा नेता के चक्कर में न पड़ें. पढ़ें और नौकरी लें. कोई शिकायत है तो दें, हम जांच को तैयार हैं. हम बेरोजगारी भत्ता दे रहे हैं, ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. परीक्षा शुक्ल भी माफ की तो 3 गुना उम्मीदवार हो गए है. ऐसे में घोटाले का आरोप लगाना सरासर गलत है.''
छत्तीसगढ़ में पीएससी घोटाला : 2021 में पीएससी ने 20 सेवाओं के लिए 171 पदों पर नोटिफिकेशन जारी किया गया था. अधिसूचना 26 नवंबर 2021 को जारी की थी और आवेदन प्रक्रिया 20 दिसंबर तक चली थी. प्रारंभिक परीक्षा 13 फरवरी 2022 को आयोजित की गई, जिसके लिए 1 लाख से अधिक युवाओं ने परीक्षा दिया. नतीजे 9 मार्च 2022 को घोषित किए गए. मुख्य परीक्षा के लिए केवल 2565 युवाओं का चयन हुआ. इसके बाद 2022 में 26 मई से 29 मई के बीच मुख्य परीक्षा हुई. इसमें 509 युवाओं को इंटरव्यू के लिए चयन किया गया था. 20 सितंबर 2022 से 30 सितंबर 2022 के बीच इंटरव्यू के लिए चयनित छात्रों का इंटरव्यू हुआ. लिखित परीक्षा और इंटरव्यू में प्राप्त अंकों के कुल योग से मेरिट का चयन किया गया है. रिजल्ट जारी हुए तो रायपुर की प्रज्ञा ने पूरे प्रदेश में टॉप किया.
सीजीपीएससी की इसी परीक्षा की मेरिट सूची में प्रदेश के अफसर के बेटे का चयन हुआ. यही नहीं आरोप लगे कि अफसर के बेटे के दोस्त का भी चयन पीएससी में हुआ, जिसके बाद पीएससी की पारदर्शिता पर बीजेपी की ओर से सवाल उठाए जाने लगे हैं.