रायपुर: हिट एंड रन एक्ट को लेकर पूरे देश में जमकर विरोध हुआ.आखिरकार प्रशासन और विरोध कर रहे एसोसिएशन के बीच सहमति के बाद हड़ताल वापस ले ली गई.लेकिन अब इस मामले में राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी शुरु हो गई है. कांग्रेस इस मामले में केंद्र सरकार को घेर रही है. कांग्रेस की माने तो एक तुगलकी फरमान के कारण इस तरह की स्थिति बनी है.
तुगलकी फरमान का खामियाजा देश भुगत रहा : कांग्रेस नेता शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि इस मामले को केंद्र सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए और इसे लेकर उचित कदम उठाने चाहिए. जिससे लगातार बढ़ रही महंगाई पर अंकुश लगाया जा सके. साथ ही इससे हो रही परेशानी से जनता को निजात मिल सके. इसलिए मोदी सरकार को तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए. मोदी सरकार की फैसले के कारण पूरे देश के वाहन चालक हड़ताल पर चले गए. इसका परिणाम आवश्यक वस्तुओं के अभाव के रूप में देश को भुगतना पड़ रहा है.
''सड़क दुर्घटना को कम करने पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. हर जान कीमती है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए.ये कानून मोदी सरकार का तुगलकी कानून है.'' शैलेश नितिन त्रिवेदी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग, कांग्रेस
नागरिकों की सुरक्षा के लिए कानून : वहीं बीजेपी ने इस कानून को राहगीरों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया है. प्रदेश प्रवक्ता केदार गुप्ता का कहना है कि नए भारत में भारत के नागरिकों और राहगीरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाया गया है. जिसमें यदि चालक से कोई एक्सीडेंट होता है, तो उसे राहगीर को अस्पताल ले जाना चाहिए. ताकि उसका जीवन सुरक्षित हो.
माहौल बिगाड़ने की हो रही कोशिश : बीजेपी की माने तो ट्रक चालकों को लोग भड़का रहे हैं .आंदोलन करवा रहे हैं. ट्रक चालक को भी समझना चाहिए कि वो भी कहीं ना कहीं राहगीर हैं. आपका परिवार, आपके बच्चे मां-बाप भी कहीं ना कहीं राहगीर हैं.
''कभी ऐसा ना हो कि उनका एक्सीडेंट हो जाए और चालक छोड़कर भाग जाए. उन्हें अस्पताल नहीं ले गया तो क्या विपरीत परिस्थितियों निर्मित हो सकती है. इसलिए इस कानून का सम्मान करें और लोगों के बहकावे ना आए.''- केदार गुप्ता,प्रवक्ता बीजेपी
हड़ताल खत्म लेकिन राजनीति शुरु : भले ही मौजूदा समय में ट्रक ड्राइवर्स और बस ड्राइवर एसोसिएशन की हड़ताल खत्म हो गई हो,लेकिन इस मामले में राजनीति तेज हो चुकी है.विपक्ष जहां इसे वाहन चालकों पर थोपा गया कानून बता रहा है,वहीं सत्ता पक्ष का मानना है कि राहगीरों की सुरक्षा के लिए ये कानून जरुरी है.