रायपुर : विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में जमकर शराब बांटी गई थी. इस पर कांग्रेस का यह आरोप रहा कि बीजेपी मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब बांट रही है. वहीं बीजेपी का आरोप था कि कांग्रेस के पास चुनाव के लिए मुद्दा नहीं है और यही वजह है कि बीजेपी की छवि खराब करने के लिए वे इस तरह के आरोप लगा रहे हैं.
विधानसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से अवैध शराब पकड़ी गई थी, उसे लेकर लोकसभा चुनाव निर्वाचन आयोग सतर्क है. चुनाव के दौरान शराब के उपयोग को लेकर सभी के अपनी-अपनी राय है. वहीं दूसरी ओर जानकारों का मानना है कि शराब का चुनाव पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है.
'हार के डर से देश में शराब और पैसा बांटने लगती है भाजपा'
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि भाजपा की पुरानी आदत रही है की चुनाव में हार के डर देश में शराब और पैसा बांटने लगती है. उनका कहना है कि इस बार विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में पार्टी की पैनी नजर भाजपाइयों पर है. इससे वे लोकसभा चुनाव में शराब नहीं बांट सकेंगे.
'शराबबंदी कांग्रेस का सबसे बड़ा मुद्दा था'
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि कांग्रेस के लोगों के पास मुद्दे नहीं है और यही कारण है कि चुनाव के समय आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान शराबबंदी कांग्रेस का सबसे बड़ा मुद्दा था और यही कारण रहा कि महिलाओं ने उन्हें ज्यादा वोट दिया. इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में शराबबंदी नहीं की. शराबबंदी कर देते तो इस तरह के आरोप नहीं लगते. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने देश की जनता के साथ धोखा किया है.
'चुनाव परिणाम को शराब और पैसा प्रभावित नहीं कर पाते'
वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर का कहना है कि शराब की वजह से चुनाव पर थोड़ा बहुत असर जरूर पड़ता है, लेकिन चुनाव परिणाम को शराब और पैसा प्रभावित नहीं कर पाते. बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान ज्यादा मात्रा में शराब बिक्री को देखते हुए लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग सतर्क है. यही वजह है कि अब तक पूरे प्रदेश में छुटपुट मामले को छोड़ दें, तो कहीं से भी बड़ी मात्रा में अवैध शराब पकड़े जाने की जानकारी प्रकाश में नहीं आई है. अब देखने वाली बात है कि इस लोकसभा चुनाव में शराब चुनाव परिणाम को कितना प्रभावित करता है.
शराब को लेकर पिछले आंकड़े
बता दें कि विधानसभा चुनाव साल 2013 की तुलना में विधानसभा चुनाव साल 2018 में दोगुनी शराब बरामद की गई थी. साल 2013 में विधानसभा चुनाव में 44000 लीटर अवैध शराब पकड़ी गई थी, जबकि इस विधानसभा चुनाव में पुलिस व आबकारी महकमें ने करीब 8 हजार लीटर अवैध शराब बरामद की गई.