रायपुर: राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर छत्तीसगढ़ में बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने है. कांग्रेस विधायक और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय का कहना है कि राम मंदिर की नींव कांग्रेस ने ही रखी है. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति स्थापित की थी. उसके बाद राजीव गांधी ने इस मंदिर के पट खोले थे. यह सारे काम कांग्रेस ने किए हैं.
विधायक ने कहा कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है. यहीं वजह है कि इस प्रदेश का भगवान राम के साथ एक अलग ही रिश्ता है. यहां की जनता राम मंदिर निर्माण को लेकर काफी उत्साहित हैं. उपाध्याय ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि भगवान राम का ननिहाल होने के बावजूद भाजपा सरकार ने पिछले 15 सालों में कौशल्या मंदिर या फिर भगवान राम से संबंधित चीजों का जीर्णोद्धार नहीं किया. उसे विकसित करने के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई, जबकि अब भूपेश बघेल की सरकार भगवान राम से जुड़ी सभी यादों को तीर्थ और पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित कर रही है.
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उन्होंने कहा कि बीजेपी भगवान राम के नाम पर राजनीति करती आई है. जबकि यह मंदिर निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हो रहा है. बावजूद इसके बीजेपी का यह दावा कि हमारे द्वारा इसका निर्माण कराया जा रहा है, गलत है.
बीजेपी का पलटवार
भाजपा ने सभी आरोप को दरकिनार करते हुए कांग्रेस पर ही राम के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि राम मंदिर के निर्माण को लेकर कांग्रेस कभी आगे नहीं आई. कांग्रेस चाहती ही नहीं थी कि वहां पर राम मंदिर बने. कांग्रेस का स्पष्ट मत था कि वहां पर अस्पताल बना दिया जाए या फिर अन्य कोई चीज का निर्माण किया जाए. यहां तक कि जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया तो उस दौरान कांग्रेस सरकार ने भाजपा शासित 4 राज्यों की सरकारों को भंग कर दिया था. ऐसे में कांग्रेस का यह कहना कि मंदिर के लिए उनके द्वारा पहल की गई और कांग्रेस का सपना था कि वहां मंदिर बने, सरासर गलत है.
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'उत्सव मनाने की नौटंकी'
राम मंदिर निर्माण आयोजन में राम के ननिहाल के लोगों को न बुलाए जाने पर उपासने ने कहा कि कोरोना संक्रमण के चलते सीमित लोगों को निमंत्रण दिया गया है. यदि कोई अयोध्या जाना चाहता है तो उसे किसने रोका है. यह निर्माण कार्य लगातार जारी रहेगा. जो चाहे वहां जा सकता है. उपासने का यह भी कहना है कि कांग्रेस उत्सव मनाने की नौटंकी कर रही है. अगर रायपुर छोड़ दिया जाए तो प्रदेश के दूसरे शहरों और गांवों में कांग्रेस की ओर से कोई जश्न नहीं मनाया जा रहा है.