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राज्यपाल को समस्याओं का ज्ञापन सौंपने जा रहे नक्सल पीड़ितों को पुलिस ने रोका

अपनी समस्याओं के समाधान को लेकर राज्यपाल से मिलने राजभवन जा रहे नक्सल पीड़ित परिवारों को रायपुर में पुलिस ने रास्ते में ही रोक लिया. इसको लेकर नक्सल पीड़ित परिवारों में आक्रोश और मायूसी है. उन लोगों का कहना है कि पुलिस विभाग में डीजीपी और प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री को भी कई बार ज्ञापन सौंप चुके हैं. बावजूद इसके उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.

naxal victims protest
नक्सल पीड़ितों का प्रदर्शन
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Published : Aug 11, 2021, 8:36 PM IST

रायपुर: राज्यपाल को अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपने जा रहे नक्सल पीड़ित परिवारों को रायपुर में पुलिस ने रोक लिया. बता दें कि नक्सल पीड़ित परिवार रैली निकालकर प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल को अपनी समस्याओं का ज्ञापन सौंपने के लिए राजभवन जा रहा था. लेकिन पुलिस ने नक्सल पीड़ित परिवारों को राजधानी के स्मार्ट सिटी ऑफिस के पास ही रोक दिया. इसको लेकर नक्सल पीड़ित परिवारों में आक्रोश और मायूसी है. नक्सल पीड़ित परिवार अपनी समस्याओं को लेकर पुलिस विभाग में डीजीपी और प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री को भी कई बार ज्ञापन सौंप चुके हैं. बावजूद इसके उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.

नक्सल पीड़ितों को पुलिस ने रोका

राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर बुधवार को प्रदेश के कई जिलों से आये नक्सल पीड़ित परिवारों ने प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारे भी लगाए. एक अनुमान के मुताबिक पूरे प्रदेश में लगभग नक्सल पीड़ित परिवार की संख्या 5000 तक है. नक्सल पीड़ित परिवार रैली निकालकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने जा रहे थे. इसी दौरान पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक दिया. नक्सल पीड़ित परिवारों ने वहीं पर सरकार के खिलाफ नारा लगाकर अपना विरोध जताया. उनलोगों का कहना था कि अपनी समस्याओं को लेकर इसके पहले भी राजधानी में कई बार प्रदर्शन करने के साथ रैली भी निकाल चुके हैं. बावजूद इसके नक्सल पीड़ित परिवारों की समस्याओं के समाधान के लिए कोई भी सामने नहीं आया है.

ये हैं नक्सल पीड़ित परिवारों की मांगें--

  • नक्सल पीड़ित परिवार को योजना के तहत शासकीय नौकरी देने का प्रावधान है, पीड़ित परिवार को योग्यता अनुसार शासकीय नौकरी दी जाए. कलेक्टर दर पर दी गई नौकरी को नियमित किया जाए.
  • संशोधन आदेश के अनुसार आर्थिक सहायता राशि दी जाए. केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि सभी पीड़ित परिवारों को दी जाए.
  • जिला मुख्यालय में आवास के लिए नजूल जमीन और मकान निर्माण के लिए प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत राशि प्रदान की जाए.
  • नक्सल पीड़ित परिवारों को बीपीएल राशन कार्ड प्रदान किया जाए, जिससे वे सस्ती दर पर राशन दुकान से चावल खरीद सकें.
  • नक्सल पीड़ित परिवारों को बसों में यात्रा करने के लिए बस पास दिया जाए.
  • योजना के तहत नक्सल पीड़ित परिवार के दो बच्चों को कक्षा पहली से 12वीं तक छात्रवृत्ति देने का प्रावधान है, तो ऐसे बच्चों को शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाए.
  • नक्सल पीड़ित परिवारों को जमीन के बदले जमीन दी जाए.
  • नक्सल पीड़ित परिवारों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाए, कि ये नक्सल पीड़ित परिवार के सदस्य हैं.
  • शहीद एसपीओ (विशेष सुरक्षा अधिकारी) और गोपनीय सैनिक परिवार के सदस्य को अन्य विभाग में नौकरी दी गई है, जिसे बदलकर पुलिस विभाग में आरक्षक की नौकरी दी जाए.
  • एसपीओ गोपनीय सैनिक और सहायक आरक्षक को पुलिस विभाग में आरक्षक का नौकरी दी जाए और उन्हें नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना का लाभ भी प्रदान किया जाए.
  • आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली को पुलिस विभाग में नौकरी दी जाए और नक्सल पुनर्वास योजना का संपूर्ण लाभ प्रदान किया जाए.

रायपुर: राज्यपाल को अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपने जा रहे नक्सल पीड़ित परिवारों को रायपुर में पुलिस ने रोक लिया. बता दें कि नक्सल पीड़ित परिवार रैली निकालकर प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल को अपनी समस्याओं का ज्ञापन सौंपने के लिए राजभवन जा रहा था. लेकिन पुलिस ने नक्सल पीड़ित परिवारों को राजधानी के स्मार्ट सिटी ऑफिस के पास ही रोक दिया. इसको लेकर नक्सल पीड़ित परिवारों में आक्रोश और मायूसी है. नक्सल पीड़ित परिवार अपनी समस्याओं को लेकर पुलिस विभाग में डीजीपी और प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री को भी कई बार ज्ञापन सौंप चुके हैं. बावजूद इसके उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.

नक्सल पीड़ितों को पुलिस ने रोका

राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर बुधवार को प्रदेश के कई जिलों से आये नक्सल पीड़ित परिवारों ने प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारे भी लगाए. एक अनुमान के मुताबिक पूरे प्रदेश में लगभग नक्सल पीड़ित परिवार की संख्या 5000 तक है. नक्सल पीड़ित परिवार रैली निकालकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने जा रहे थे. इसी दौरान पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक दिया. नक्सल पीड़ित परिवारों ने वहीं पर सरकार के खिलाफ नारा लगाकर अपना विरोध जताया. उनलोगों का कहना था कि अपनी समस्याओं को लेकर इसके पहले भी राजधानी में कई बार प्रदर्शन करने के साथ रैली भी निकाल चुके हैं. बावजूद इसके नक्सल पीड़ित परिवारों की समस्याओं के समाधान के लिए कोई भी सामने नहीं आया है.

ये हैं नक्सल पीड़ित परिवारों की मांगें--

  • नक्सल पीड़ित परिवार को योजना के तहत शासकीय नौकरी देने का प्रावधान है, पीड़ित परिवार को योग्यता अनुसार शासकीय नौकरी दी जाए. कलेक्टर दर पर दी गई नौकरी को नियमित किया जाए.
  • संशोधन आदेश के अनुसार आर्थिक सहायता राशि दी जाए. केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि सभी पीड़ित परिवारों को दी जाए.
  • जिला मुख्यालय में आवास के लिए नजूल जमीन और मकान निर्माण के लिए प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत राशि प्रदान की जाए.
  • नक्सल पीड़ित परिवारों को बीपीएल राशन कार्ड प्रदान किया जाए, जिससे वे सस्ती दर पर राशन दुकान से चावल खरीद सकें.
  • नक्सल पीड़ित परिवारों को बसों में यात्रा करने के लिए बस पास दिया जाए.
  • योजना के तहत नक्सल पीड़ित परिवार के दो बच्चों को कक्षा पहली से 12वीं तक छात्रवृत्ति देने का प्रावधान है, तो ऐसे बच्चों को शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाए.
  • नक्सल पीड़ित परिवारों को जमीन के बदले जमीन दी जाए.
  • नक्सल पीड़ित परिवारों को प्रमाण पत्र प्रदान किया जाए, कि ये नक्सल पीड़ित परिवार के सदस्य हैं.
  • शहीद एसपीओ (विशेष सुरक्षा अधिकारी) और गोपनीय सैनिक परिवार के सदस्य को अन्य विभाग में नौकरी दी गई है, जिसे बदलकर पुलिस विभाग में आरक्षक की नौकरी दी जाए.
  • एसपीओ गोपनीय सैनिक और सहायक आरक्षक को पुलिस विभाग में आरक्षक का नौकरी दी जाए और उन्हें नक्सल पीड़ित पुनर्वास योजना का लाभ भी प्रदान किया जाए.
  • आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली को पुलिस विभाग में नौकरी दी जाए और नक्सल पुनर्वास योजना का संपूर्ण लाभ प्रदान किया जाए.
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