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Pradosh Vrat 2023 : प्रदोष व्रत से करें भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न

भगवान भोलेनाथ के प्रति करोड़ों भक्तों की श्रद्धा है. भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों पर कृपा करते हैं.इस दौरान कई भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं. शुक्ल पक्ष में ऐसा ही एक व्रत आता है.जिसे प्रदोष व्रत कहा जाता है.

Pradosh Vrat 2023
शिव को प्रदोष व्रत से करें प्रसन्न
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Published : May 16, 2023, 4:54 PM IST

रायपुर : भगवान शिव हिन्दू धर्म के देवता हैं. वे हिन्दू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर) में से एक हैं. शिव सृष्टि, पालन और संहार के संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भगवान शिव को भोलेनाथ, महादेव, नीलकंठ, रुद्र, शंकर, गिरीश, आशुतोष नामों से भी जाना जाता है. शिव नीले वस्त्र और गंगा जल के साथ सजे होते हैं. शिव का वाहन नंदी है. त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्ष माला, सर्प और कालाभित्ति (खप्पर) शिव के श्रृंगार हैं. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का विधान है.

कब आता है प्रदोष व्रत : प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण एक व्रत है. यह व्रत शिव भगवान को समर्पित होता है. प्रदोष काल (सूर्यास्त से रात्रि के पहले अधिकांश वक्त) में किया जाता है. यह व्रत हर माह के प्रदोष तिथि को किया जा सकता है, लेकिन अधिकांश लोग शुक्ल पक्ष के प्रदोष को महत्वपूर्ण मानते हैं.

प्रदोष व्रत में कैसे करें पूजा : प्रदोष व्रत में भक्त शिव जी की पूजा और अर्चना करते हैं. इसके लिए बेल पत्र, धूप, दीप, फूल और प्रसाद का उपयोग किया जाता है. व्रत के दौरान कथा सुनी जाती है. जो प्रदोष काल में भगवान शिव के विजय को संबोधित करती है. इसके बाद, व्रत करने वाला व्यक्ति दूसरे व्रतियों के साथ शिव जी की आराधना करता है और मंत्रों का जाप करता है. ध्यान और मन्त्रजाप के माध्यम से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं.

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प्रदोष व्रत करने के नियम :इस व्रत को करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम होते हैं.अंशिक उपवास रखना,नमक, लस्सी, पानी, आलू ले सकते हैं.लेकिन अल्कोहल, तम्बाकू निषेध माना गया है.

रायपुर : भगवान शिव हिन्दू धर्म के देवता हैं. वे हिन्दू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर) में से एक हैं. शिव सृष्टि, पालन और संहार के संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भगवान शिव को भोलेनाथ, महादेव, नीलकंठ, रुद्र, शंकर, गिरीश, आशुतोष नामों से भी जाना जाता है. शिव नीले वस्त्र और गंगा जल के साथ सजे होते हैं. शिव का वाहन नंदी है. त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्ष माला, सर्प और कालाभित्ति (खप्पर) शिव के श्रृंगार हैं. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का विधान है.

कब आता है प्रदोष व्रत : प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण एक व्रत है. यह व्रत शिव भगवान को समर्पित होता है. प्रदोष काल (सूर्यास्त से रात्रि के पहले अधिकांश वक्त) में किया जाता है. यह व्रत हर माह के प्रदोष तिथि को किया जा सकता है, लेकिन अधिकांश लोग शुक्ल पक्ष के प्रदोष को महत्वपूर्ण मानते हैं.

प्रदोष व्रत में कैसे करें पूजा : प्रदोष व्रत में भक्त शिव जी की पूजा और अर्चना करते हैं. इसके लिए बेल पत्र, धूप, दीप, फूल और प्रसाद का उपयोग किया जाता है. व्रत के दौरान कथा सुनी जाती है. जो प्रदोष काल में भगवान शिव के विजय को संबोधित करती है. इसके बाद, व्रत करने वाला व्यक्ति दूसरे व्रतियों के साथ शिव जी की आराधना करता है और मंत्रों का जाप करता है. ध्यान और मन्त्रजाप के माध्यम से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं.

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प्रदोष व्रत करने के नियम :इस व्रत को करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम होते हैं.अंशिक उपवास रखना,नमक, लस्सी, पानी, आलू ले सकते हैं.लेकिन अल्कोहल, तम्बाकू निषेध माना गया है.

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