रायपुर: ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कुल नौ ग्रह होते हैं. इन नौ ग्रहों में शनि, गुरु, राहु, केतु, बुध, सूर्य, चंद्र, मंगल, शुक्र आदि शामिल हैं, जो सभी लोगों की कुंडली में अच्छा या बुरा प्रभाव डालते हैं. एक परिवार में जो भी ग्रह शुभ है, तो सबके लिए शुभ होगा. यदि वह अशुभ है, तो सबके लिए अशुभ होगा. इस संबंध में अघिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत की टीम ने ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर से बात की है.
पस्थितियों के अनुकूल करते हैं कर्म का चुनाव: ज्योतिष एवं वास्तुविद ने बताया कि "इसका कारण यह है कि व्यक्ति का जिससे लगाव होता है, वह उसको छोड़ता नहीं है. शरीर एक वस्त्र है, जिसे आत्मा धारण करती है और छोड़ देती है. लेकिन व्यक्ति अपना प्रारब्ध लेकर आता है एवं अपना कर्म, विचार और संस्कार लेकर चला जाता है, जो उसके अगले जन्म में उसके साथ रहता है. उसका फल वह प्राप्त करता है, चाहे वह अच्छा हो या बुरा. एक व्यक्ति इस शरीर को छोड़ने के बाद जब अगला जन्म धारण करता है, तो वह सामान्य तौर पर अपनी स्थितियों के अनुकूल कर्म का चुनाव करता है."
ग्रह यदि अच्छा है, तो सब अच्छा होगा: ज्योतिष एवं वास्तुविद ने बताया कि "इस प्रकार अपनी ही बनाई प्रॉपर्टी का भोग वह खुद करता है. अपने ही छोड़े गए कर्ज का भुगतान स्वयं करता है. अर्थात वह अपने ही परिवार में अपने ही पुत्र या पोते के रूप में जन्म लेता है. अपने ही परिवार के किसी के मुखिया के रूप में जन्म लेता है. अपने ही परिवार में किसी के पति या पत्नी बनकर आता है. अर्थात अपने ही रचे हुए संसार का भोग वह खुद करता है. इसी कारण एक ग्रह यदि अच्छा है, तो वह परिवार में सब के लिए अच्छा होगा. यही ज्योतिष एवं वास्तुविद के चिंतन का सारांश है और यही उनका अनुभव भी है."
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अशुभ ग्रहों की शांति कराने से मिलेगा लाभ: ज्योतिष एवं वास्तुविद का कहना है की "परिवार में किसी एक की कुंडली देखी जाए कि उसमें बुध अशुभ है, तो बुध की पूजा कराकर, बुध के मंत्रों का जाप कर से बुध मजबूत होगा और परिवार को लाभ होगा. यदि कोई ग्रह अशुभ है, तो सबको उस अशुभ ग्रह की शांति कराकर सभी को उसके कुप्रभावों से बचाया जा सकता है या उसके बुरे प्रभाव में कमी लाई जा सकती है. जो ग्रह अच्छा है, उसको पूरे परिवार के लिए शक्तिशाली बना दिया जाए. यदि अशुभ है, तो उसकी शांति करा दी जाए, तो इसका लाभ पूरे परिवार को मिलता है. ज्योतिष एवं वास्तुविद की यही अवधारणा है."