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रायपुर के पंडित आशुतोष झा के पास मौजूद हैं 200 साल पुराने पंचाग और धार्मिक ग्रंथ

पंडित आशुतोष झा के पास 200 साल पुराने धार्मिक ग्रंथ के साथ पंचांग का खजाना मौजूद है. कुछ धार्मिक ग्रंथ और पंचांग राजगुरु के वंशजों द्वारा उन्हें विरासत में मिला है.

ancient religious texts and panchang
प्राचीन धार्मिक गंथ का संकलन
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Published : Mar 2, 2022, 7:58 PM IST

Updated : Mar 2, 2022, 11:01 PM IST

रायपुर: पंडित आशुतोष झा के पास 200 साल पुराने धार्मिक ग्रंथ के साथ पंचांग का दुर्लभ संकलन मौजूद है. कई ग्रंथ तो बेहद ही प्राचीन है. इसके साथ ही कुछ धार्मिक ग्रंथ और पंचांग राजगुरु के वंशजों द्वारा उन्हें विरासत में मिली है. जिसको आज भी सहेज कर पंडित आशुतोष झा ने रखा है. आइए उन्हीं से जानते हैं कि आखिर उनके पास कितने पुराने धार्मिक ग्रंथ और पंचांग का संग्रह मौजूद है.

पुराने पंचाग और धार्मिक ग्रंथ

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में गर्मी बनी आफत: एसी, कूलर और फ्रिज की कीमतें बढ़ने से लोग परेशान

रायपुर के रहने वाले पंडित आशुतोष झा पेशे से एक शासकीय स्कूल में व्याख्याता हैं. स्कूल से समय मिलने पर पूजा-पाठ और भागवताचार्य (भागवत पढ़ने) का भी काम करते हैं. आशुतोष झा बताते हैं कि, प्राचीन ग्रंथ और पंचांग उन्होंने खुद एकत्र किए हैं. कुछ उनके पूर्वजों से विरासत में मिला है. जिसको आज तक उन्होंने संभाल कर रखा है. कई ग्रंथ और पंचांग राजघराने के राजगुरु के वंशजों से प्राप्त हुआ है. पंडित आशुतोष झा बताते हैं कि, इनके पिता, दादा और परदादा भागवताचार्य थे. उन्हीं का अनुसरण आज आशुतोष झा कर रहे हैं.

प्राचीन गंथों को सहेजना काफी मुश्किल

आशुतोष झा बताते हैं कि, ऐसे धार्मिक ग्रंथ और पंचांग को वर्षों तक सहेज और संभाल कर रखना काफी मुश्किल होता है. इनके पुराने पन्ने छूने मात्र से फटने लगते हैं. वे बताते हैं कि इन धार्मिक ग्रंथों और पंचांग को पानी और धूल से बचाकर आज भी सुरक्षित रखा है. कुछ ऐसे लोग आशुतोष झा के पास मुश्किल की घड़ी में आते हैं तो वे इन्हीं धार्मिक पुस्तकों को देखकर ऐतिहासिक तथ्यों को प्रामाणिक रूप में प्रस्तुत करते हैं. यही वजह है कि कई लोग इनके पास इसी तरह की समस्या लेकर आते हैं. जिसके कारण भी आशुतोष झा को लोग जानते हैं.

आशुतोष झा के पास हरिवंश पुराण भी है मौजूद
आशुतोष झा बताते हैं कि, उनके पास 1897 का हरिवंश पुराण मौजूद है. उसके बाद साल 1909 और 1922 के समय के पंचांग और धार्मिक पुस्तकें भी उनके पास उपलब्ध हैं. उनका कहना है कि धार्मिक पुस्तकें उस प्राचीन समय में प्रकाशित हुई है. जब छत्तीसगढ़ या मध्य प्रदेश राज्य नहीं था. उस समय के कई पुस्तकों में सीपी बरार लिखा हुआ.

आशुतोष झा कहते हैं कि, उनके पास रुद्रयामल तंत्र शाक्त प्रदाय (शक्ति के उपासक) जैसी पुस्तकों का संग्रह है. जिसमें पंचाग के महत्व और तिथियों के महत्व के बारे में बताया गाय है. तिथि वार त्योहार, विवाह मुहूर्त देखने के लिए इन पंचांगों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ में ज्योतिषी विचार के संबंध में कोई बात जाननी हो तो पंचांग आवश्यक होता है. पंचांग के माध्यम से वर्षों पहले क्या हुआ था. किस तरह की घटना हुई थी. ग्रहों की स्थिति कैसी थी और आने वाले समय में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति कैसी रहेगी. इसके लिए पंचांग को जरूरी बताया है. आशुतोष झा के पास धार्मिक ग्रंथों में शिव पुराण, श्रीमद् भागवत पुराण, विष्णु पुराण, भविष्य पुराण, महापुराण, देवी पुराण, मत्स्य पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, अग्नि पुराण, वामन पुराण, पद्म पुराण, स्कंद पुराण, कर्म पुराण जैसे कई धार्मिक ग्रंथों का संकलन मौजूद है.

रायपुर: पंडित आशुतोष झा के पास 200 साल पुराने धार्मिक ग्रंथ के साथ पंचांग का दुर्लभ संकलन मौजूद है. कई ग्रंथ तो बेहद ही प्राचीन है. इसके साथ ही कुछ धार्मिक ग्रंथ और पंचांग राजगुरु के वंशजों द्वारा उन्हें विरासत में मिली है. जिसको आज भी सहेज कर पंडित आशुतोष झा ने रखा है. आइए उन्हीं से जानते हैं कि आखिर उनके पास कितने पुराने धार्मिक ग्रंथ और पंचांग का संग्रह मौजूद है.

पुराने पंचाग और धार्मिक ग्रंथ

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में गर्मी बनी आफत: एसी, कूलर और फ्रिज की कीमतें बढ़ने से लोग परेशान

रायपुर के रहने वाले पंडित आशुतोष झा पेशे से एक शासकीय स्कूल में व्याख्याता हैं. स्कूल से समय मिलने पर पूजा-पाठ और भागवताचार्य (भागवत पढ़ने) का भी काम करते हैं. आशुतोष झा बताते हैं कि, प्राचीन ग्रंथ और पंचांग उन्होंने खुद एकत्र किए हैं. कुछ उनके पूर्वजों से विरासत में मिला है. जिसको आज तक उन्होंने संभाल कर रखा है. कई ग्रंथ और पंचांग राजघराने के राजगुरु के वंशजों से प्राप्त हुआ है. पंडित आशुतोष झा बताते हैं कि, इनके पिता, दादा और परदादा भागवताचार्य थे. उन्हीं का अनुसरण आज आशुतोष झा कर रहे हैं.

प्राचीन गंथों को सहेजना काफी मुश्किल

आशुतोष झा बताते हैं कि, ऐसे धार्मिक ग्रंथ और पंचांग को वर्षों तक सहेज और संभाल कर रखना काफी मुश्किल होता है. इनके पुराने पन्ने छूने मात्र से फटने लगते हैं. वे बताते हैं कि इन धार्मिक ग्रंथों और पंचांग को पानी और धूल से बचाकर आज भी सुरक्षित रखा है. कुछ ऐसे लोग आशुतोष झा के पास मुश्किल की घड़ी में आते हैं तो वे इन्हीं धार्मिक पुस्तकों को देखकर ऐतिहासिक तथ्यों को प्रामाणिक रूप में प्रस्तुत करते हैं. यही वजह है कि कई लोग इनके पास इसी तरह की समस्या लेकर आते हैं. जिसके कारण भी आशुतोष झा को लोग जानते हैं.

आशुतोष झा के पास हरिवंश पुराण भी है मौजूद
आशुतोष झा बताते हैं कि, उनके पास 1897 का हरिवंश पुराण मौजूद है. उसके बाद साल 1909 और 1922 के समय के पंचांग और धार्मिक पुस्तकें भी उनके पास उपलब्ध हैं. उनका कहना है कि धार्मिक पुस्तकें उस प्राचीन समय में प्रकाशित हुई है. जब छत्तीसगढ़ या मध्य प्रदेश राज्य नहीं था. उस समय के कई पुस्तकों में सीपी बरार लिखा हुआ.

आशुतोष झा कहते हैं कि, उनके पास रुद्रयामल तंत्र शाक्त प्रदाय (शक्ति के उपासक) जैसी पुस्तकों का संग्रह है. जिसमें पंचाग के महत्व और तिथियों के महत्व के बारे में बताया गाय है. तिथि वार त्योहार, विवाह मुहूर्त देखने के लिए इन पंचांगों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ में ज्योतिषी विचार के संबंध में कोई बात जाननी हो तो पंचांग आवश्यक होता है. पंचांग के माध्यम से वर्षों पहले क्या हुआ था. किस तरह की घटना हुई थी. ग्रहों की स्थिति कैसी थी और आने वाले समय में ग्रह नक्षत्रों की स्थिति कैसी रहेगी. इसके लिए पंचांग को जरूरी बताया है. आशुतोष झा के पास धार्मिक ग्रंथों में शिव पुराण, श्रीमद् भागवत पुराण, विष्णु पुराण, भविष्य पुराण, महापुराण, देवी पुराण, मत्स्य पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, अग्नि पुराण, वामन पुराण, पद्म पुराण, स्कंद पुराण, कर्म पुराण जैसे कई धार्मिक ग्रंथों का संकलन मौजूद है.

Last Updated : Mar 2, 2022, 11:01 PM IST
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