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अर्थशास्त्री जेएल भारद्वाज ने बताया, क्या हैं बजट के फायदे और कहां होगा नुकसान - ब्याज

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली महिला वित्त मंत्री के रूप में बजट पेश किया. आम बजट के फायदे और नुकसान को लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ. जेएल भारद्वाज से बातचीत की.

जेएल भारद्वाज, अर्थशास्त्री
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Published : Jul 6, 2019, 9:21 AM IST

Updated : Jul 6, 2019, 12:10 PM IST

रायपुर: जेएल भारद्वाज ने बजट से जुड़े तमाम मामलों पर गहन अध्ययन और बेबाकी के साथ अपनी राय दी.

जेएल भारद्वाज, अर्थशास्त्री

सवाल: जिस तरह से इस बजट में डीजल और पेट्रोल की कीमत अब तक के सबसे ऊंचे दर पर है और आगे इसका क्या असर होगा?

जवाब: जो डीजल और पेट्रोल का दाम बढ़ाया जाएगा, उससे दबाव तो काफी बढ़ेगा लेकिन सरकार इस बजट में सब्सीट्यूट पर ध्यान दे रही है. ऐसे सब्सीट्यूट तलाशे जा रहे हैं, जिससे पेट्रोल और डीजल के खपत भी कम होने और पर्यावरण प्रदूषण बचाने पर भी जोर दिया गया है. जैसे इलेक्ट्रिक कार पर सब्सिडी देने की बात इस बजट में शामिल की गई है.

सवाल: डीजल और पेट्रोल कि कीमत बढ़ने का आम लोगों की जिंदगी में क्या असर होगा?

जवाब: डीजल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ेगी, लेकिन फूड सेक्टर में दामों को नियंत्रित करने में केंद्र सरकार ने काफी काम किया है. पिछले सालों में देखा जाए तो थोक बाजार में मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में गिरावट आई है. सरकार इस दिशा में काम कर रही है. क्योंकि इलेक्ट्रिक व्हीकल में समय लगेगा, देश में अभी भी डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां पर ही पूरा दारोमदार है.

सवाल: पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने से खाद्य सामग्रियों के दाम में क्या असर पड़ेगा ?

जवाब: जिस तरह से अर्थशास्त्र में एक नियम है कि 'जब लोग थोड़ा भी पैसा कमाने लगते हैं तो खाने पीने की चीजों का भार लगातार कम होता जाता है, इसके बजाय विलासिता की चीजों में भार बढ़ता है. कीमतों में नियंत्रण के लिए सरकार क्या कदम उठाती है, यह देखने वाली बात होगी.

सवाल: महंगाई बढ़ने पर क्या होगा?

जवाब: अगर इन्फ्लेशन बढ़ता है तो आपकी सेविंग्स पर भी इसका असर पड़ेगा, आपको ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे. तमाम तरह की महंगाई के बीच में कीमतों को नियंत्रण करना सरकार का मुख्य काम होगा. कीमतों के नियंत्रण के लिए सरकार क्या कदम उठाती है यह देखने वाली बात होगी, इसके साथ ही सरकार अपने राजकोषीय नीति के द्वारा नियंत्रण का प्रयास करेगी.

सवाल: मुद्रास्फीति का असर यह भी हो सकता है कि 'रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया इंटरेस्ट रेट्स बढ़ाने पर बाध्य हो जाए. इससे लोन लेनेवालों को ज्यादा पे करना पड़ेगा ?

जवाब: तमाम तरह की वित्तीय नीतियों के बाद ही बजट पेश किया गया है मुद्रास्फीति पर इसका विशेष प्रभाव न पड़े इसके लिए ही सरकार अपने राजकोषीय नीति को कड़ाई से लागू करेगी. वे कहते हैं कि इस बजट को पिछली सरकार के वित्तमंत्री पीयूष गोयल के अंतरिम बजट के विस्तार के रूप में देखा जाना चाहिए. बजट में बहुत सी बातें अंतरिम बजट के रूप में पहले ही कहीं गई हैं. सरकार 2025 की अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर काम कर रही है. अर्थव्यवस्था में भारत को और सुदृढ़ करने के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं और इसके परिणाम तत्काल में नहीं, बल्कि लंबे समय बाद देखने को मिलेंगे.

रायपुर: जेएल भारद्वाज ने बजट से जुड़े तमाम मामलों पर गहन अध्ययन और बेबाकी के साथ अपनी राय दी.

जेएल भारद्वाज, अर्थशास्त्री

सवाल: जिस तरह से इस बजट में डीजल और पेट्रोल की कीमत अब तक के सबसे ऊंचे दर पर है और आगे इसका क्या असर होगा?

जवाब: जो डीजल और पेट्रोल का दाम बढ़ाया जाएगा, उससे दबाव तो काफी बढ़ेगा लेकिन सरकार इस बजट में सब्सीट्यूट पर ध्यान दे रही है. ऐसे सब्सीट्यूट तलाशे जा रहे हैं, जिससे पेट्रोल और डीजल के खपत भी कम होने और पर्यावरण प्रदूषण बचाने पर भी जोर दिया गया है. जैसे इलेक्ट्रिक कार पर सब्सिडी देने की बात इस बजट में शामिल की गई है.

सवाल: डीजल और पेट्रोल कि कीमत बढ़ने का आम लोगों की जिंदगी में क्या असर होगा?

जवाब: डीजल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ेगी, लेकिन फूड सेक्टर में दामों को नियंत्रित करने में केंद्र सरकार ने काफी काम किया है. पिछले सालों में देखा जाए तो थोक बाजार में मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में गिरावट आई है. सरकार इस दिशा में काम कर रही है. क्योंकि इलेक्ट्रिक व्हीकल में समय लगेगा, देश में अभी भी डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां पर ही पूरा दारोमदार है.

सवाल: पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने से खाद्य सामग्रियों के दाम में क्या असर पड़ेगा ?

जवाब: जिस तरह से अर्थशास्त्र में एक नियम है कि 'जब लोग थोड़ा भी पैसा कमाने लगते हैं तो खाने पीने की चीजों का भार लगातार कम होता जाता है, इसके बजाय विलासिता की चीजों में भार बढ़ता है. कीमतों में नियंत्रण के लिए सरकार क्या कदम उठाती है, यह देखने वाली बात होगी.

सवाल: महंगाई बढ़ने पर क्या होगा?

जवाब: अगर इन्फ्लेशन बढ़ता है तो आपकी सेविंग्स पर भी इसका असर पड़ेगा, आपको ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे. तमाम तरह की महंगाई के बीच में कीमतों को नियंत्रण करना सरकार का मुख्य काम होगा. कीमतों के नियंत्रण के लिए सरकार क्या कदम उठाती है यह देखने वाली बात होगी, इसके साथ ही सरकार अपने राजकोषीय नीति के द्वारा नियंत्रण का प्रयास करेगी.

सवाल: मुद्रास्फीति का असर यह भी हो सकता है कि 'रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया इंटरेस्ट रेट्स बढ़ाने पर बाध्य हो जाए. इससे लोन लेनेवालों को ज्यादा पे करना पड़ेगा ?

जवाब: तमाम तरह की वित्तीय नीतियों के बाद ही बजट पेश किया गया है मुद्रास्फीति पर इसका विशेष प्रभाव न पड़े इसके लिए ही सरकार अपने राजकोषीय नीति को कड़ाई से लागू करेगी. वे कहते हैं कि इस बजट को पिछली सरकार के वित्तमंत्री पीयूष गोयल के अंतरिम बजट के विस्तार के रूप में देखा जाना चाहिए. बजट में बहुत सी बातें अंतरिम बजट के रूप में पहले ही कहीं गई हैं. सरकार 2025 की अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर काम कर रही है. अर्थव्यवस्था में भारत को और सुदृढ़ करने के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं और इसके परिणाम तत्काल में नहीं, बल्कि लंबे समय बाद देखने को मिलेंगे.

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महिला वित्त मंत्री के रूप में पहली बार निर्मला सीतारमण के प्रस्तुत किए बजट को लेकर प्रदेश के वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ जेएल भारद्वाज ने ईटीवी भारत से तमाम मसलों पर गहन अध्ययन के साथ अपनी बात रखी है।Body: जिस तरह से इस बजट में डीजल और पेट्रोल की कीमत अब तक के सबसे ऊंचे दर पर है..आगे इसका क्या असर होगा...सरकार ने इस पर रोक लगाने की बात कि थी लेकिन हुआ इसे लेकर डॉक्टर भारद्वाज कहते हैं कि जो डीजल और पेट्रोल का दाम बढ़ाया जाएगा उससे दबाव तो काफी बढ़ेगा लेकिन सरकार इस बजट में सब्सीट्यूट पर ध्यान दे रही है। ऐसे सब्सीट्यूट तलासे जा रहे हैं जिससे पेट्रोल और डीजल के खपत भी कम होने और पर्यावरण प्रदूषण बचाने पर भी जोर दिया गया है। जैसे इलेक्ट्रिक कार को सब्सिडी देने की बात इस बजट में शामिल की गई है।


2. डीजल और पेट्रोल कि कीमत बढ़ने का सीधा असर होगा, रोजाना जरूरत के सामान की कीमत बढ़ जाएंगी. आम लोगों कि जिंदगी पर इसका क्या असर होगा?
डीजल और पेट्रोल के दामों को लेकर भारद्वाज जी का कहना है कि डीजल और पेट्रोल की कीमतें बढ़ेगी लेकिन फूड सेक्टर में दामों को नियंत्रित करने में केंद्र सरकार ने काफी काम किया है। पिछले सालों में देखा जाए तो थोक बाजार में मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में गिरावट आई है। सरकार इस दिशा में काम कर रही है क्योंकि इलेक्ट्रिक व्हीकल में समय लगेगा देश में अभी भी डीजल और पेट्रोल में चलने वाली गाड़ियां पर ही पूरा दारोमदार है। खाने पीने की चीजों में पढ़ने वाले बाहर को लेकर वे कहते हैं कि जिस तरह से अर्थशास्त्र में एक नियम है कि जब लोग थोड़ा भी पैसा कमाने लगते हैं तो खाने पीने की चीजों का भार लगातार कम होते जाता है इसके बजाय विलासिता की चीजों में भर बढ़ता है। कीमतों में नियंत्रण के लिए सरकार क्या कदम उठाती है यह देखने वाली बात होगी।


3. अगर इन्फ्लेशन बढ़ता है तो आपकी सेविंग्स पर भी इसका असर पड़ेगा...आपको ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे...
वे कहते हैं कि तमाम तरह की महंगाई के बीच में कीमतों को नियंत्रण करना सरकार का मुख्य काम होगा। कीमतों के नियंत्रण के लिए सरकार क्या कदम उठाती है यह देखने वाली बात होगी। सरकार अपने राजकोषीय नीति के द्वारा नियंत्रण का प्रयास करेगी।

4. मुद्रा स्फीति का असर यह भी हो सकता है कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया इंटरेस्ट रेट्स बढ़ाने पर बाध्य हो जाएं. लोन लेने वालों को ज्यादा पे करना पड़ेगा...
वे कहते है कि तमाम तरह की वित्तीय नीतियों के बाद ही बजट को प्रस्तुत किया गया है मुद्रा स्पीति पर इसका विशेष प्रभाव ना पड़े इसके लिए ही सरकार ने अपने राजकोषीय नीति को कड़ाई से पालन करेगी। वे कहते हैं कि इस बजट को पिछली सरकार के वित्त मंत्री पीयूष गोयल के अंतरीप बजट के विस्तार के रूप में देखा जाना चाहिए। बजट में बहुत सी बातें अंतरिम बजट के रूप में पहले ही कही गई है । सरकार हमारे 2025 के अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर काम कर रही है। अर्थव्यवस्था में भारत को और सुदृढ़ करने के लिए ही लगातार काम किए जा रहे हैं और इसके परिणाम तत्काल में नहीं बल्कि लंबे समय बाद देखने को मिलेंगे।

बाईट- डॉ. जे.एल. भारद्वाज, वरिष्ठ अर्थशास्त्री, रिटायर्ड एचओडी, इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट, रविवि

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुरConclusion:
Last Updated : Jul 6, 2019, 12:10 PM IST
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