ETV Bharat / state

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का एक साल पूरा, कुपोषित बच्चों की संख्या में 13.79 फीसदी की आई कमी

2 अक्टूबर 2019 को शुरू हुए प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को एक साल पूरे हो गए हैं. इसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी प्रदेश को शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को धन्यवाद दिया है.

mukhyamantri suposhan abhiyan in chhattisgarh
कुपोषित बच्चों की संख्या में 13.79 फीसदी की आई कमी
author img

By

Published : Oct 5, 2020, 1:02 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुपोषण मुक्ति की पहल पर छत्तीसगढ़ में 2 अक्टूबर 2019 को शुरू हुए प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को एक साल पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने बताया कि छत्तीसगढ़ में इस अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. अभियान के साथ विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान और समन्वित प्रयास से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है.

  • योजना के शुरू होने के समय 'वजन त्योहार' से मिले आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में लगभग 4 लाख 92 हजार बच्चे कुपोषित थे.
  • इनमें से 67 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं.
  • कुपोषित बच्चों में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है.

इसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी प्रदेश को शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, 'हमने प्रदेश में कुपोषण की समस्या को चुनौती के रूप में लिया है और आज "कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़" की संकल्पना साकार हो रही है. उन्होंने कहा कि सुपोषण अभियान की इस सफलता के लिए मैं प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को विशेष धन्यवाद देता हूं, जिनके दृढ़ संकल्प ने इस अभियान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.'

  • यह बताते हुए संतोष हो रहा है कि गत वर्ष बापू की जयंती के अवसर पर शुरू हुए "मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान" का एक वर्ष पूरा हो गया है। इस अभियान के सकारात्मक परिणामों को आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ। #MondayMotivaton
    1/N

    — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 5, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान की शुरुआत की.

राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 साल से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 साल की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे. इन आंकड़ों को देखें तो कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे. राज्य सरकार ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और 'कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ' की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की. अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें जन-समुदाय का भी सहयोग लिया गया.

  • योजना के प्रारंभ होने के समय कुल कुपोषित बच्चे: 4 लाख 92 हजार

    एक वर्ष में कुपोषण मुक्त बच्चे: 67 हजार से अधिक

    इस प्रकार कुपोषित बच्चों की संख्या में 13.79% की कमी आई है।
    2/N

    — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 5, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

'लइका जतन ठउर' जैसे नवाचार ने दी मजबूती

प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई. दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में 'लइका जतन ठउर' जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया. जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग कर सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन प्रदान करने की व्यवस्था की गई. योजना की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने इसे पूरे प्रदेश में लागू किया.

इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है. अतिरिक्त पोषण आहार में हितग्राहियों को गर्म भोजन के साथ अंडा, लड्डू, चना, गुड़, अंकुरित अनाज, दूध, फल, मूंगफली और गुड़ की चिक्की, सोया बड़ी, दलिया, सोया चिक्की और मुनगा भाजी से बने पौष्टिक और स्वादिष्ट आहार दिए जा रहे हैं. इससे बच्चों में खाने के प्रति रुचि जागृत हुई है.

स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सब्जियों और पौष्टिक चीजों के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है. इससे पोषण स्तर में सुधार आना शुरू हो गया है. स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से एनीमिया प्रभावितों को आयरन फोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जाती है. प्रदेश को आगामी 3 वर्षों में कुपोषण से मुक्त करने के लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास लगातार किए जा रहे हैं.

  • हमने प्रदेश में कुपोषण की समस्या को चुनौती के रूप में लिया है और आज "कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ" की संकल्पना साकार हो रही है। 3/N

    — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 5, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों के बंद होने पर भी बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए पहल की गई. मुख्यमंत्री के निर्देश पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के माध्यम से प्रदेश के 51 हजार 455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 28 लाख 78 हजार हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया गया है. पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के तहत 6 महीने से 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती, शिशुवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को रेडी-टू-ईट भोजन का वितरण किया जा रहा है.

  • सुपोषण अभियान की इस सफलता के लिये मैं प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को विशेष धन्यवाद देता हूँ जिनके दृढ़ संकल्प ने इस अभियान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। N/N

    — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 5, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पढ़ें- SPECIAL: बस्तर में कुपोषण की दर में हुई वृद्धि, कोरोना वायरस संक्रमण बना कारण

मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है और निरंतर प्रयास कर रहा है. कुपोषण मुक्ति एक बड़ा सामुदायिक अभियान है, जिसके लक्ष्यों को जनसहयोग के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के पुनीत काम में सहयोग करने वाले सभी संगठनों, प्रतिनिधियों और जनसमुदाय को धन्यवाद दिया है.

लॉकडाउन से कोरोना वारियर्स की तरह काम कर रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी उन्होंने सफलता के लिए बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि कुपोषण से जंग लंबी है, लेकिन सबके सहयोग से हम निश्चित ही इसमें जीत हासिल करेंगे. महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि विभाग हितग्राहियों को लाभान्वित करने के लिए निरंतर उन तक पहुंच रहा है.

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुपोषण मुक्ति की पहल पर छत्तीसगढ़ में 2 अक्टूबर 2019 को शुरू हुए प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को एक साल पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने बताया कि छत्तीसगढ़ में इस अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. अभियान के साथ विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान और समन्वित प्रयास से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है.

  • योजना के शुरू होने के समय 'वजन त्योहार' से मिले आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में लगभग 4 लाख 92 हजार बच्चे कुपोषित थे.
  • इनमें से 67 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं.
  • कुपोषित बच्चों में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है.

इसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी प्रदेश को शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, 'हमने प्रदेश में कुपोषण की समस्या को चुनौती के रूप में लिया है और आज "कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़" की संकल्पना साकार हो रही है. उन्होंने कहा कि सुपोषण अभियान की इस सफलता के लिए मैं प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को विशेष धन्यवाद देता हूं, जिनके दृढ़ संकल्प ने इस अभियान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.'

  • यह बताते हुए संतोष हो रहा है कि गत वर्ष बापू की जयंती के अवसर पर शुरू हुए "मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान" का एक वर्ष पूरा हो गया है। इस अभियान के सकारात्मक परिणामों को आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ। #MondayMotivaton
    1/N

    — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 5, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान की शुरुआत की.

राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 साल से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 साल की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे. इन आंकड़ों को देखें तो कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे. राज्य सरकार ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और 'कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ' की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की. अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें जन-समुदाय का भी सहयोग लिया गया.

  • योजना के प्रारंभ होने के समय कुल कुपोषित बच्चे: 4 लाख 92 हजार

    एक वर्ष में कुपोषण मुक्त बच्चे: 67 हजार से अधिक

    इस प्रकार कुपोषित बच्चों की संख्या में 13.79% की कमी आई है।
    2/N

    — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 5, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

'लइका जतन ठउर' जैसे नवाचार ने दी मजबूती

प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई. दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में 'लइका जतन ठउर' जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया. जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग कर सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन प्रदान करने की व्यवस्था की गई. योजना की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने इसे पूरे प्रदेश में लागू किया.

इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है. अतिरिक्त पोषण आहार में हितग्राहियों को गर्म भोजन के साथ अंडा, लड्डू, चना, गुड़, अंकुरित अनाज, दूध, फल, मूंगफली और गुड़ की चिक्की, सोया बड़ी, दलिया, सोया चिक्की और मुनगा भाजी से बने पौष्टिक और स्वादिष्ट आहार दिए जा रहे हैं. इससे बच्चों में खाने के प्रति रुचि जागृत हुई है.

स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सब्जियों और पौष्टिक चीजों के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है. इससे पोषण स्तर में सुधार आना शुरू हो गया है. स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से एनीमिया प्रभावितों को आयरन फोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जाती है. प्रदेश को आगामी 3 वर्षों में कुपोषण से मुक्त करने के लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास लगातार किए जा रहे हैं.

  • हमने प्रदेश में कुपोषण की समस्या को चुनौती के रूप में लिया है और आज "कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ" की संकल्पना साकार हो रही है। 3/N

    — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 5, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों के बंद होने पर भी बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए पहल की गई. मुख्यमंत्री के निर्देश पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के माध्यम से प्रदेश के 51 हजार 455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 28 लाख 78 हजार हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया गया है. पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के तहत 6 महीने से 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती, शिशुवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को रेडी-टू-ईट भोजन का वितरण किया जा रहा है.

  • सुपोषण अभियान की इस सफलता के लिये मैं प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को विशेष धन्यवाद देता हूँ जिनके दृढ़ संकल्प ने इस अभियान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। N/N

    — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 5, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पढ़ें- SPECIAL: बस्तर में कुपोषण की दर में हुई वृद्धि, कोरोना वायरस संक्रमण बना कारण

मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है और निरंतर प्रयास कर रहा है. कुपोषण मुक्ति एक बड़ा सामुदायिक अभियान है, जिसके लक्ष्यों को जनसहयोग के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के पुनीत काम में सहयोग करने वाले सभी संगठनों, प्रतिनिधियों और जनसमुदाय को धन्यवाद दिया है.

लॉकडाउन से कोरोना वारियर्स की तरह काम कर रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी उन्होंने सफलता के लिए बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि कुपोषण से जंग लंबी है, लेकिन सबके सहयोग से हम निश्चित ही इसमें जीत हासिल करेंगे. महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि विभाग हितग्राहियों को लाभान्वित करने के लिए निरंतर उन तक पहुंच रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.