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दुकानदार नहीं लगा रहे कीमतों के बोर्ड, ऐसे में कैसे रुकेगी कालाबाजारी

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Published : May 24, 2020, 12:36 AM IST

रायपुर के दुकानों के आगे कीमतों के बोर्ड नहीं लगाए जा रहे हैं. इस मामले में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कार्रवाई की बात कहीं हैं.

no Boards with price and stock in front of shops in raipu
दुकानदार नहीं लगा रहे कीमतों के बोर्ड

रायपुर : एक समय था जब सभी किराना दुकानों के बाहर समानों के मूल्य और मात्रा (रेट और स्टाक बोर्ड) लिखा बोर्ड टंगा होता था. जिससे लोगों को पता रहता था कि किस दुकान में कितना स्टॉक है और किस मूल्य में सामान बिक रहा है. लेकिन समय के साथ-साथ दुकानों के बाहर लगाया जाने वाला यह बोर्ड गायब हो गया. सरकार ने इस बोर्ड को लगाने के निर्देश जारी किए हैं, फिर भी अब दुकानदार बोर्ड अपनी दुकानों में नहीं लगाते हैं और ना ही खाद्य विभाग ऐसे दुकानदारों खिलाफ कोई कार्रवाई करता है.

दुकानदार नहीं लगा रहे कीमतों के बोर्ड
यही वजह है कि कई आवश्यक वस्तु के पर्याप्त मात्रा में होने के बाद भी व्यापारी शॉर्टेज दिखाते हुए उसके मूल्यों में कई गुना बढ़ोतरी कर देते हैं और मुनाफा कमाते हैं. हाल ही में नमक के दाम अचानक बढ़ना भी इसी का एक उदाहरण है. प्रदेश में अचानक नमक के खत्म होने की अफवाह फैलती है जिसके बाद दुकानदारों ने 16 से 18 रुपये प्रति किलो बिकने वाला नमक 50 से 100 रुपये प्रति किलो तक बिकने लगता है. जिससे दुकानदारों को कई गुना मुनाफा होता है. वहीं ग्राहक की जेब कटती नजर आती है. ऐसे में दुकानों के बाहर नमक और उसके मूल्य का बोर्ड लगा होता तो शायद या व्यापारी इस तरीके से नमक की कालाबाजारी नहीं कर सकते थे.

वरिष्ठ नागरीक सुबोध प्रसाद सिंह का कहना है कि पहले जब वे बाजार जाते थे तो दुकानों के बाहर आवश्यक वस्तुओं का मूल्य और स्टाक की जानकारी बोर्ड पर लिखी होती थी ऐसे में ग्राहक को भी पता होता था कि कौन सी वस्तु किस दुकान में और किस दाम में बिक रही है. वह जहां चाहे कम दाम पर अपनी सामग्री खरीद सकता था. लेकिन अब दुकान के बाहर लगा यह स्टॉक और मूल्य वाला बोर्ड गायब हो गया है. उन्होंने कहा कि खाद विभाग की लापरवाही की वजह से दुकानदार यह बोर्ड नहीं लगा रहे हैं बोर्ड लगा होता तो व्यापारी ना तो आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी कर सकते थे और ना ही मनमाने दाम पर उसे बेच सकते थे.

पढ़ें-DGP डीएम अवस्थी ने ली नक्सली अभियान की समीक्षा बैठक, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए SP

दुकानदारों ने ये कहा

दुकानदारों का कहना है कि बोर्ड लगाने का नियम तो है, लेकिन आज कल अधिकतर वस्तु पैकिंग में आ रही है इसमें एमआरपी यानी की वस्तुओं का मूल्य लिखा होता है. जिस वजह से दुकानदार मूल्य और स्टॉक लिखा हुआ बोर्ड दुकानों में नहीं लगाते हैं.

इस वजह से नहीं लगाया जा रहा बोर्ड

चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र बरलोटा का कहना है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत बोर्ड लगाना अनिवार्य था. लेकिन अब व्यापारियों के पास इतनी कैपेसिटी ही नहीं है कि वह ज्यादा माल स्टॉक करके रख सकें. यही कारण की दुकानदार बोर्ड नहीं लगाते हैं.

पढ़ें-'मधुकम' से इनकम: महुए से बन रहा सैनिटाइजर, महिलाओं को मिल रहा रोजगार

खाद्य मंत्री ने दिए निर्देश

इस बारे में जब खाद्य मंत्री अमरजीत भगत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं की दुकानों के बाहर आवश्यक वस्तुओं के मूल्य और स्टॉक की जानकारी लिख बोर्ड लगाया जाए. यदि ऐसा कोई नहीं करता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

रोकी जा सकती है कालाबाजारी

बता दें कि दुकानों में बोर्ड ना होने का व्यापारियों की ओर से फायदा उठाया जाता है. कई बार पर्याप्त मात्रा में स्टॉक होने के बाद भी दुकानदार उनकी कमी दर्शाते हुए मूल्यों में बढ़ोतरी कर देते हैं और बाद में जमाखोरी और कालाबाजारी कर ग्राहकों से ज्यादा मुनाफा कमाते हैं. यदि सभी दुकानों के बाहर बोर्ड लगाना अनिवार्य कर दिया जाए तो इससे जरूर इस तरह की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोका जा सकता है.

रायपुर : एक समय था जब सभी किराना दुकानों के बाहर समानों के मूल्य और मात्रा (रेट और स्टाक बोर्ड) लिखा बोर्ड टंगा होता था. जिससे लोगों को पता रहता था कि किस दुकान में कितना स्टॉक है और किस मूल्य में सामान बिक रहा है. लेकिन समय के साथ-साथ दुकानों के बाहर लगाया जाने वाला यह बोर्ड गायब हो गया. सरकार ने इस बोर्ड को लगाने के निर्देश जारी किए हैं, फिर भी अब दुकानदार बोर्ड अपनी दुकानों में नहीं लगाते हैं और ना ही खाद्य विभाग ऐसे दुकानदारों खिलाफ कोई कार्रवाई करता है.

दुकानदार नहीं लगा रहे कीमतों के बोर्ड
यही वजह है कि कई आवश्यक वस्तु के पर्याप्त मात्रा में होने के बाद भी व्यापारी शॉर्टेज दिखाते हुए उसके मूल्यों में कई गुना बढ़ोतरी कर देते हैं और मुनाफा कमाते हैं. हाल ही में नमक के दाम अचानक बढ़ना भी इसी का एक उदाहरण है. प्रदेश में अचानक नमक के खत्म होने की अफवाह फैलती है जिसके बाद दुकानदारों ने 16 से 18 रुपये प्रति किलो बिकने वाला नमक 50 से 100 रुपये प्रति किलो तक बिकने लगता है. जिससे दुकानदारों को कई गुना मुनाफा होता है. वहीं ग्राहक की जेब कटती नजर आती है. ऐसे में दुकानों के बाहर नमक और उसके मूल्य का बोर्ड लगा होता तो शायद या व्यापारी इस तरीके से नमक की कालाबाजारी नहीं कर सकते थे.

वरिष्ठ नागरीक सुबोध प्रसाद सिंह का कहना है कि पहले जब वे बाजार जाते थे तो दुकानों के बाहर आवश्यक वस्तुओं का मूल्य और स्टाक की जानकारी बोर्ड पर लिखी होती थी ऐसे में ग्राहक को भी पता होता था कि कौन सी वस्तु किस दुकान में और किस दाम में बिक रही है. वह जहां चाहे कम दाम पर अपनी सामग्री खरीद सकता था. लेकिन अब दुकान के बाहर लगा यह स्टॉक और मूल्य वाला बोर्ड गायब हो गया है. उन्होंने कहा कि खाद विभाग की लापरवाही की वजह से दुकानदार यह बोर्ड नहीं लगा रहे हैं बोर्ड लगा होता तो व्यापारी ना तो आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी कर सकते थे और ना ही मनमाने दाम पर उसे बेच सकते थे.

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दुकानदारों ने ये कहा

दुकानदारों का कहना है कि बोर्ड लगाने का नियम तो है, लेकिन आज कल अधिकतर वस्तु पैकिंग में आ रही है इसमें एमआरपी यानी की वस्तुओं का मूल्य लिखा होता है. जिस वजह से दुकानदार मूल्य और स्टॉक लिखा हुआ बोर्ड दुकानों में नहीं लगाते हैं.

इस वजह से नहीं लगाया जा रहा बोर्ड

चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र बरलोटा का कहना है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत बोर्ड लगाना अनिवार्य था. लेकिन अब व्यापारियों के पास इतनी कैपेसिटी ही नहीं है कि वह ज्यादा माल स्टॉक करके रख सकें. यही कारण की दुकानदार बोर्ड नहीं लगाते हैं.

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खाद्य मंत्री ने दिए निर्देश

इस बारे में जब खाद्य मंत्री अमरजीत भगत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं की दुकानों के बाहर आवश्यक वस्तुओं के मूल्य और स्टॉक की जानकारी लिख बोर्ड लगाया जाए. यदि ऐसा कोई नहीं करता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

रोकी जा सकती है कालाबाजारी

बता दें कि दुकानों में बोर्ड ना होने का व्यापारियों की ओर से फायदा उठाया जाता है. कई बार पर्याप्त मात्रा में स्टॉक होने के बाद भी दुकानदार उनकी कमी दर्शाते हुए मूल्यों में बढ़ोतरी कर देते हैं और बाद में जमाखोरी और कालाबाजारी कर ग्राहकों से ज्यादा मुनाफा कमाते हैं. यदि सभी दुकानों के बाहर बोर्ड लगाना अनिवार्य कर दिया जाए तो इससे जरूर इस तरह की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोका जा सकता है.

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