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SPECIAL: गर्मी में रहना हो कूल-कूल या फिर ठंड में गर्मी, पहन लीजिए ये खास जैकेट

जांजगीर चांपा के कृषि विज्ञान केंद्र ने यह जैकेट अलसी के रेशों से बनाया है. बताया जा रहा है कि यह ऐसा जैकेट है, जो ठंड के दिनों में गर्मी का एहसास कराता है और गर्मी के दिनों में शीतलता प्रदान करता है.

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Published : Apr 3, 2019, 7:26 AM IST

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रायपुर: ठंड में गर्मी का एहसास और चिलचिलाती में धूप में ठंडा-ठंडा कूल-कूल ये विज्ञापन तो हम सालों ले देखते सुनते आ रहे हैं लेकिन विज्ञापन की इस पंच लाइन को कृषि विज्ञान केंद्र ने सच कर दिखाया है. कृषि विज्ञान केंद्र ने एक ऐसा जैकेट बनाया है, जो रीयल लाइफ में भी ठंड में गर्मी और गर्मी में ठंड का एहसास दिलाएगा.


जांजगीर चांपा के कृषि विज्ञान केंद्र ने यह जैकेट अलसी के रेशों से बनाया है. बताया जा रहा है कि यह ऐसा जैकेट है, जो ठंड के दिनों में गर्मी का एहसास कराता है और गर्मी के दिनों में शीतलता प्रदान करता है. यह जैकेट जल्द ही बाजार में मिलने लगेगा. राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में चार दिवसीय इंडियन हॉर्टिकल्चर कांग्रेस का आयोजन किया गया था, साथ ही वहां पर उद्यानिकी और कृषि से संबंधित स्टॉल भी लगाए गए थे जहां पर अलसी के रेशे से बना यह जैकेट उपलब्ध था.


किसानों ने सीएम को भी दिया था गिफ्ट
इस प्रदर्शनी के शुभारंभ मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जांजगीर चांपा जिले के किसानों ने उपहार स्वरूप अलसी के रेशे से बना यह जैकेट भेंट किया था. मुख्यमंत्री ने इस उपहार के बदले इन किसानों को 2000 रुपए थमा दिए और कहा कि इसमें किसानों का मेहनत लगी है.


करीब 2500 रुपए है कीमत
इस जैकेट की कीमत लगभग ढाई हजार रुपए बताई जा रही है. जिसे किसानों ने अपने हाथों से बनाया है. इसकी वजह से इसकी लागत थोड़ी ज्यादा है. किसानों का कहना है कि कुछ महीने बाद जैकेट मशीन से तैयार किए जाएंगे, जिसके बाद इसका लागत मूल्य भी कम होगा और यह बाजार में आसानी से मिल जाएगा.


और भी चीजें बनाईं
अलसी के रेशे से जांजगीर चांपा जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों ने जैकेट के अलावा खाने-पीने की कई चीजें भी बनाई. इसमें केक, बिस्किट चॉकलेट, चिक्की जैसे कई चीजें हैं, जो स्वास्थ्य और सेहत के लिए फायदेमंद भी है. अभी यह सभी प्रोडक्ट बाजार में उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द यह बाजार में हर किसी की पहुंच में होगा.


अभी इस तरह के प्रोडक्ट किसान हाथों से तैयार कर रहे हैं लेकिन आने वाले समय में इन उत्पादों को मशीनों से तैयार किया जाएगा, जिससे इन उत्पादों के क्वालिटी में सुधार आएगा और किसानों को मेहनत भी कम लगेगा.

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रायपुर: ठंड में गर्मी का एहसास और चिलचिलाती में धूप में ठंडा-ठंडा कूल-कूल ये विज्ञापन तो हम सालों ले देखते सुनते आ रहे हैं लेकिन विज्ञापन की इस पंच लाइन को कृषि विज्ञान केंद्र ने सच कर दिखाया है. कृषि विज्ञान केंद्र ने एक ऐसा जैकेट बनाया है, जो रीयल लाइफ में भी ठंड में गर्मी और गर्मी में ठंड का एहसास दिलाएगा.


जांजगीर चांपा के कृषि विज्ञान केंद्र ने यह जैकेट अलसी के रेशों से बनाया है. बताया जा रहा है कि यह ऐसा जैकेट है, जो ठंड के दिनों में गर्मी का एहसास कराता है और गर्मी के दिनों में शीतलता प्रदान करता है. यह जैकेट जल्द ही बाजार में मिलने लगेगा. राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में चार दिवसीय इंडियन हॉर्टिकल्चर कांग्रेस का आयोजन किया गया था, साथ ही वहां पर उद्यानिकी और कृषि से संबंधित स्टॉल भी लगाए गए थे जहां पर अलसी के रेशे से बना यह जैकेट उपलब्ध था.


किसानों ने सीएम को भी दिया था गिफ्ट
इस प्रदर्शनी के शुभारंभ मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जांजगीर चांपा जिले के किसानों ने उपहार स्वरूप अलसी के रेशे से बना यह जैकेट भेंट किया था. मुख्यमंत्री ने इस उपहार के बदले इन किसानों को 2000 रुपए थमा दिए और कहा कि इसमें किसानों का मेहनत लगी है.


करीब 2500 रुपए है कीमत
इस जैकेट की कीमत लगभग ढाई हजार रुपए बताई जा रही है. जिसे किसानों ने अपने हाथों से बनाया है. इसकी वजह से इसकी लागत थोड़ी ज्यादा है. किसानों का कहना है कि कुछ महीने बाद जैकेट मशीन से तैयार किए जाएंगे, जिसके बाद इसका लागत मूल्य भी कम होगा और यह बाजार में आसानी से मिल जाएगा.


और भी चीजें बनाईं
अलसी के रेशे से जांजगीर चांपा जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों ने जैकेट के अलावा खाने-पीने की कई चीजें भी बनाई. इसमें केक, बिस्किट चॉकलेट, चिक्की जैसे कई चीजें हैं, जो स्वास्थ्य और सेहत के लिए फायदेमंद भी है. अभी यह सभी प्रोडक्ट बाजार में उपलब्ध नहीं है लेकिन जल्द यह बाजार में हर किसी की पहुंच में होगा.


अभी इस तरह के प्रोडक्ट किसान हाथों से तैयार कर रहे हैं लेकिन आने वाले समय में इन उत्पादों को मशीनों से तैयार किया जाएगा, जिससे इन उत्पादों के क्वालिटी में सुधार आएगा और किसानों को मेहनत भी कम लगेगा.

Intro:0104_CG_RPR_RITESH_ALSI JACKET_PKG

रायपुर कुछ महीने बाद बाजार में मिलने लगेगा जैकेट यह जैकेट एक तरह से वातानुकूलित होगा गर्मी के मौसम में ठंडक लाएगी और ठंड के मौसम में गर्म करेगी यह जैकेट अलसी के रेशे से निर्मित है जो अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है तीन-चार माह के बाद अलसी के रेशे से बने यह जैकेट बाजार में होगा उपलब्ध । इस प्रदर्शनी के शुभारंभ मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जांजगीर चांपा जिले के किसानों ने उपहार स्वरूप अलसी के रेशे से बने इस जैकेट को भेट किया तो मुख्यमंत्री ने उक्त उपहार के बदले इन किसानों को ₹2000 जैकेट का थमा दिया और कहा कि इसमें किसानों का मेहनत लगा है ।

राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में चार दिवसीय इंडियन हॉर्टिकल्चर कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है साथ ही यहां पर उद्यानिकी और कृषि से संबंधित स्टॉल भी लगाए गए हैं जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है जहां पर जांजगीर चांपा के कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा निर्मित अलसी के रेशे से बना जैकेट उपलब्ध है इस जैकेट की खास बात ठंड के दिनों में गर्मी का एहसास कराता है और गर्मी के दिनों में शीतलता प्रदान करता है तो कुल मिलाकर यह जैकेट वातानुकूलित जैकेट माना जा रहा है

इस प्रदर्शनी में किसानों द्वारा अलसी के रेशे से निर्मित जैकेट के साथ ही बिस्किट केक चॉकलेट जैसे कई अन्य उत्पाद तैयार किए गए हैं अलसी के रेशे से निर्मित जैकेट और अन्य उत्पाद जांजगीर चांपा जिले के कृषि विज्ञान केंद्र मैं इस नई तकनीक से इन उत्पादों को बनाया गया है इसे प्रदर्शनी के तौर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय मैं डेमो के तौर पर अभी रखा गया है ना ही इसके खरीदार पहुंचे और ना ही इसकी अभी बिक्री हुई है क्योंकि एक जैकेट की कीमत लगभग ढाई हजार रुपए और यह किसानों द्वारा हाथों से निर्मित किया गया है जिसकी वजह से लागत मूल्य अधिक है इन किसानों का कहना है कि कुछ महीने बाद जैकेट मशीन से तैयार किए जाएंगे जिसके बाद इसका लागत मूल्य भी कम होगा और यह बाजार में आसानी से मिल जाएगा

अलसी के रेशे से जांजगीर चांपा जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों ने जैकेट के अलावा खाने पीने की कई चीजें भी बनाई है जिसमें केक बिस्किट चॉकलेट चिक्की जैसे कई चीजें हैं जो स्वास्थ्य और सेहत के लिए फायदेमंद भी है अभी यह सभी प्रोडक्ट बाजार में उपलब्ध नहीं है लेकिन आने वाले समय में यह बाजार में हर किसी की पहुंच में होगा अभी इस तरह के प्रोडक्ट किसान हाथों से तैयार कर रहे हैं लेकिन आने वाले समय में इन उत्पादों को मशीनों से तैयार किया जाएगा जिससे इन उत्पादों के क्वालिटी में सुधार आएगा और किसानों को मेहनत भी कम लगेगा।

बाइट रामाधार देवांगन किसान जांजगीर चांपा वाइट शर्ट पहने हुए
बाइट संतोष राम भोसले किसान जांजगीर चांपा लाल काला जैकेट पहने हुए




Body:0104_CG_RPR_RITESH_ALSI JACKET_PKG

रायपुर कुछ महीने बाद बाजार में मिलने लगेगा जैकेट यह जैकेट एक तरह से वातानुकूलित होगा गर्मी के मौसम में ठंडक लाएगी और ठंड के मौसम में गर्म करेगी यह जैकेट अलसी के रेशे से निर्मित है जो अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है तीन-चार माह के बाद अलसी के रेशे से बने यह जैकेट बाजार में होगा उपलब्ध । इस प्रदर्शनी के शुभारंभ मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जांजगीर चांपा जिले के किसानों ने उपहार स्वरूप अलसी के रेशे से बने इस जैकेट को भेट किया तो मुख्यमंत्री ने उक्त उपहार के बदले इन किसानों को ₹2000 जैकेट का थमा दिया और कहा कि इसमें किसानों का मेहनत लगा है ।

राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में चार दिवसीय इंडियन हॉर्टिकल्चर कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है साथ ही यहां पर उद्यानिकी और कृषि से संबंधित स्टॉल भी लगाए गए हैं जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है जहां पर जांजगीर चांपा के कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा निर्मित अलसी के रेशे से बना जैकेट उपलब्ध है इस जैकेट की खास बात ठंड के दिनों में गर्मी का एहसास कराता है और गर्मी के दिनों में शीतलता प्रदान करता है तो कुल मिलाकर यह जैकेट वातानुकूलित जैकेट माना जा रहा है

इस प्रदर्शनी में किसानों द्वारा अलसी के रेशे से निर्मित जैकेट के साथ ही बिस्किट केक चॉकलेट जैसे कई अन्य उत्पाद तैयार किए गए हैं अलसी के रेशे से निर्मित जैकेट और अन्य उत्पाद जांजगीर चांपा जिले के कृषि विज्ञान केंद्र मैं इस नई तकनीक से इन उत्पादों को बनाया गया है इसे प्रदर्शनी के तौर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय मैं डेमो के तौर पर अभी रखा गया है ना ही इसके खरीदार पहुंचे और ना ही इसकी अभी बिक्री हुई है क्योंकि एक जैकेट की कीमत लगभग ढाई हजार रुपए और यह किसानों द्वारा हाथों से निर्मित किया गया है जिसकी वजह से लागत मूल्य अधिक है इन किसानों का कहना है कि कुछ महीने बाद जैकेट मशीन से तैयार किए जाएंगे जिसके बाद इसका लागत मूल्य भी कम होगा और यह बाजार में आसानी से मिल जाएगा

अलसी के रेशे से जांजगीर चांपा जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों ने जैकेट के अलावा खाने पीने की कई चीजें भी बनाई है जिसमें केक बिस्किट चॉकलेट चिक्की जैसे कई चीजें हैं जो स्वास्थ्य और सेहत के लिए फायदेमंद भी है अभी यह सभी प्रोडक्ट बाजार में उपलब्ध नहीं है लेकिन आने वाले समय में यह बाजार में हर किसी की पहुंच में होगा अभी इस तरह के प्रोडक्ट किसान हाथों से तैयार कर रहे हैं लेकिन आने वाले समय में इन उत्पादों को मशीनों से तैयार किया जाएगा जिससे इन उत्पादों के क्वालिटी में सुधार आएगा और किसानों को मेहनत भी कम लगेगा।

बाइट रामाधार देवांगन किसान जांजगीर चांपा
बाइट संतोष राम भोसले किसान जांजगीर चांपा




Conclusion:0104_CG_RPR_RITESH_ALSI JACKET_PKG

रायपुर कुछ महीने बाद बाजार में मिलने लगेगा जैकेट यह जैकेट एक तरह से वातानुकूलित होगा गर्मी के मौसम में ठंडक लाएगी और ठंड के मौसम में गर्म करेगी यह जैकेट अलसी के रेशे से निर्मित है जो अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है तीन-चार माह के बाद अलसी के रेशे से बने यह जैकेट बाजार में होगा उपलब्ध । इस प्रदर्शनी के शुभारंभ मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जांजगीर चांपा जिले के किसानों ने उपहार स्वरूप अलसी के रेशे से बने इस जैकेट को भेट किया तो मुख्यमंत्री ने उक्त उपहार के बदले इन किसानों को ₹2000 जैकेट का थमा दिया और कहा कि इसमें किसानों का मेहनत लगा है ।

राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में चार दिवसीय इंडियन हॉर्टिकल्चर कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है साथ ही यहां पर उद्यानिकी और कृषि से संबंधित स्टॉल भी लगाए गए हैं जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है जहां पर जांजगीर चांपा के कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा निर्मित अलसी के रेशे से बना जैकेट उपलब्ध है इस जैकेट की खास बात ठंड के दिनों में गर्मी का एहसास कराता है और गर्मी के दिनों में शीतलता प्रदान करता है तो कुल मिलाकर यह जैकेट वातानुकूलित जैकेट माना जा रहा है

इस प्रदर्शनी में किसानों द्वारा अलसी के रेशे से निर्मित जैकेट के साथ ही बिस्किट केक चॉकलेट जैसे कई अन्य उत्पाद तैयार किए गए हैं अलसी के रेशे से निर्मित जैकेट और अन्य उत्पाद जांजगीर चांपा जिले के कृषि विज्ञान केंद्र मैं इस नई तकनीक से इन उत्पादों को बनाया गया है इसे प्रदर्शनी के तौर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय मैं डेमो के तौर पर अभी रखा गया है ना ही इसके खरीदार पहुंचे और ना ही इसकी अभी बिक्री हुई है क्योंकि एक जैकेट की कीमत लगभग ढाई हजार रुपए और यह किसानों द्वारा हाथों से निर्मित किया गया है जिसकी वजह से लागत मूल्य अधिक है इन किसानों का कहना है कि कुछ महीने बाद जैकेट मशीन से तैयार किए जाएंगे जिसके बाद इसका लागत मूल्य भी कम होगा और यह बाजार में आसानी से मिल जाएगा

अलसी के रेशे से जांजगीर चांपा जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों ने जैकेट के अलावा खाने पीने की कई चीजें भी बनाई है जिसमें केक बिस्किट चॉकलेट चिक्की जैसे कई चीजें हैं जो स्वास्थ्य और सेहत के लिए फायदेमंद भी है अभी यह सभी प्रोडक्ट बाजार में उपलब्ध नहीं है लेकिन आने वाले समय में यह बाजार में हर किसी की पहुंच में होगा अभी इस तरह के प्रोडक्ट किसान हाथों से तैयार कर रहे हैं लेकिन आने वाले समय में इन उत्पादों को मशीनों से तैयार किया जाएगा जिससे इन उत्पादों के क्वालिटी में सुधार आएगा और किसानों को मेहनत भी कम लगेगा।

बाइट रामाधार देवांगन किसान जांजगीर चांपा
बाइट संतोष राम भोसले किसान जांजगीर चांपा

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