दुर्ग : प्रदेश में आगामी नगरीय निकाय चुनाव के लिए नगर निगमों का आरक्षण हो गया है. आरक्षण में नगर निगम दुर्ग का महापौर पद अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित किया गया है. अब यह तय है कि दुर्ग नगर निगम की कमान चौथी बार किसी महिला के हाथ होगी.
ओबीसी महिला कार्यकर्ताओं में उत्साह : आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने के साथ ही चुनाव में उतरने के सपने संजोए अन्य वर्गों के कई लोगों को तगड़ा झटका लगा है. खासकर दावेदारों की लंबी सूची वाले सामान्य वर्ग और पुरूष वर्ग के नेताओं के लिए बुरी खबर है. वहीं, दूसरी ओर दोनों राजनीतिक दलों के ओबीसी महिला कार्यकर्ताओं में आरक्षण के बाद से उत्साह है. प्रारंभिक तौर पर दोनों दलों में दावेदारों के नाम की चर्चा भी शुरू हो गई है.
बीजेपी की दावेदार ने कांग्रेस को घेरा : बीजेपी के महापौर दावेदार अलका बागबरे ने कहा कि दुर्ग में पिछले 5 सालों से कांग्रेस की सरकार है. उनका महापौर है, लेकिन शहर में एक भी विकास कार्य नहीं हुए हैं. पार्टी हमें टिकट देती है तो हम जीतेंगे और विकास करके दिखाएंगे.
कांग्रेस की दावेदार ने विकास पर दिया जोर : कांग्रेस के पूर्व विधायक अरुण वोरा और कांग्रेस से दावेदार जमुना ने कहा कि इस बार महिलाओं के लिए दुर्ग नगर निगम का महापौर सीट आरक्षित हुआ है. इसमें हम बहुत खुश हैं. लगातार 5 सालों में विकास कार्य हुए हैं. हम जीते तो और भी विकास करेंगे.
दुर्ग नगर निगम बनने के बाद पहली बार महापौर का पद अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हुआ है. इसको लेकर हम सभी उत्साहित हैं. कांग्रेस पार्टी चुनाव को लेकर पूरी तरह तैयार है. भले ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजे विपरित रहे हो, लेकिन निकाय चुनाव में माहौल पूरी तरह बदल गया है : अरुण वोरा, पूर्व विधायक, कांग्रेस
तीसरी बार ओबीसी के खाते में महापौर सीट : आरक्षण की व्यवस्था लागू होने के बाद यह तीसरा अवसर है, जब सीट ओबीसी के खाते में गया है. इससे पहले वर्ष 1994 में दुर्ग नगर निगम के महापौर का सीट ओबीसी के लिए आरक्षित हुआ. तब आरएन वर्मा कांग्रेस से महापौर निर्वाचित हुए थे. इसके बाद वर्ष 2009 के आरक्षण में दुर्ग महापौर पद ओबीसी के खाते में गया. तब भाजपा के डॉ. शिवकुमार तमेर ने जीत दर्ज की थी. वहीं, अब दुर्ग महापौर का पद तीसरी बार ओबीसी के खाते में गया है.
दुर्ग नगर निगम में बीजेपी का रहा है दबदबा : इससे पहले अविभाजित मध्यप्रदेश में वर्ष 1999 में महापौर का सीट सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित हुआ था. तब सरोज पांडेय ने जीत दर्ज कर पहली महिला महापौर होने का गौरव हासिल किया था. राज्य विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ में साल 2004 में दुर्ग नगर निगम के महापौर की सीट अनारक्षित रही. इसमें भी जीत दर्जकर सरोज पांडेय लगातार दूसरी बार महापौर बनीं. तीसरी बार 2014 में महापौर का पद अनारक्षित श्रेणी की महिला के लिए आरक्षित हुआ. इसमें ओबीसी वर्ग से आने वाली चंद्रिका चंद्राकर ने जीत दर्ज की.