बीजापुर: जिला मुख्यालय से 52 किलोमीटर दूर उसूर की पहाड़ियों के बीच प्रकृति की गोद में बस्तर का सबसे बड़ा जलप्रपात स्थित है. जिसे नीलम सरई जलप्रपात के नाम से जाना जाता है. तेलंगाना की सीमा से सटा यह झरना शासन-प्रशासन की अनदेखी की वजह से गुमनामी के अंधेरे में खोया हुआ है.
बस्तर यूं तो नक्सलगढ़ के तौर पर जाना जाता है, लेकिन यहां प्राकृति का ऐसा खजना है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. यहां की धरती पर प्रकृति की अनुपम और मनमोहक छटा बिखरी पड़ी है, जिन्हें संवारने और पहचान देने की आवश्यकता है.
गुमनामी के अंधेरे में नीलम सरई जलधारा
उसूर इलाके में मौजूद जलप्रपातों में अब तक नंबी जलधारा को ही सबसे उंचा जलप्रपात माना जा रहा था, लेकिन उसूर से 10 किलोमीटर दूर पहाडियों के बीच बसे नीलम सरई जलधारा इससे भी उंचा और चौड़ा पाया गया है, जो पर्यटन विभाग की आंखों से ओझल है. इसकी ऊंचाई लगभग 200 मीटर और चौड़ाई 90 मीटर के आस पास है. पहाड़ों और प्रकृतिक सुंदरता के बीच स्थित यह जलप्रपात किसी का भी मन मोह लेगा.
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पहाड़ियों की खासियत
- उंचे-उंचे पर्वत श्रृंखला बीच स्थित है नीलम सरई जलधारा.
- तीन पहाड़ियों के बीच स्थित है ये जलप्रपात.
- झरने की ऊंचाई लगभग 200 मीटर और चौड़ाई 90 मीटर है.
- ऊंची और सीधी खड़ी पहाड़ियों को पार कर यहां तक पहुंचने में करीब तीन घंटे का समय लगता है.
- जलप्रपात की गूंज इतनी ज्यादा है कि इसकी गर्जना करीब तीन किलोमीटर पहले से सुनाई पड़ने लगती है.
पर्यटन की अपार संभावना
लंकापल्ली और नम्बी जलप्रपात के बाद अब नीलम सरई जलप्रपात भी जल्द ही पर्यटकों के लिए बेहतरीन पर्यटन स्थल बन सकता है, लेकिन इस समय यह जलप्रपात गुमनामी के अंधेरे में अपनी पहचान के लिए मोहताज हो चुका है. शासन-प्रशासन इस ओर ध्यान दें तो यह जलप्रपात बस्तर का सबसे मनोरम जलप्रपात के रूप में अपनी पहचान बना सकता है. यदि यह जलप्रपात को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाता है तो निश्चित ही दूर दराज के पर्यटक क्षेत्र में पहुंचने लगेंगे. इससे नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले की पहचान पर्यटक जिले के रूप में भी होने लगेगी.