रायपुर: डिहाइड्रेशन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए शरीर में पर्याप्त पानी का होना बेहद जरूरी है. पानी को पीने के सही तरके को लेकर काफी डिबेट भी होती है. पुराने लोगों का मानना है कि खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए. पानी को बैठकर ही पीना चाहिए. इस बात में कितनी सच्चाई है और कितनी नहीं. इस बारे में जाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने आयुर्वेद और एलोपैथी एक्सपर्ट्स की राय ली.
"आयुर्वेद में इस बात का जरूर जिक्र किया गया है कि आपको पानी आराम से बैठकर धीरे-धीरे पीना चाहिए. इससे फायदा यह होता है कि जो मुंह में सलाइवा और एंजाइम्स होते हैं वह अच्छे से मिक्स हो जाते हैं. आयुर्वेद में क्लेदर कफ का वर्णन आता है, जो कि हमारे खाने को पाचन के लिए बेहद जरूरी है. आराम से पानी पीने से भोजन के पाचन में काफी सहायता होती है. इसलिए हमें पानी आराम से धीरे-धीरे बैठकर पीना चाहिए. तेजी से पीने से हमारे भोजन नली में दबाव पड़ता है. इस वजह से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. यही भविष्य में आगे चलकर डाइजेशन से संबंधित, मल के जमाव, मसल पेन जैसी समस्याओं का कारण बन सकती हैं." -डॉ रजत शुक्ला, आयुर्वेदाचार्य
"एलोपैथी में खड़े होकर पानी पीने से कोई अंग का खराब होना या शारीरिक समस्या जैसी परेशानी हमारी विधा में नहीं है. जनरली ऐसा होता है कि जब आप खड़े होकर पानी पीते हैं, तब आप हड़बड़ी में पानी पीते हैं. हड़बड़ी में पानी पीने से आप पानी के साथ-साथ हवा को भी ज्यादा अपने शरीर के अंदर ला लेते हैं. इससे आपको गैस की समस्या, पेट का फूलना जैसी परेशानी हो सकती है. क्योंकि यह बात तो रिसर्च में प्रूव्ड है कि जो हमारे पेट में गैस बनती है वह 60 से 70 प्रतिशत बाहर की हवा का शरीर में अंदर घुसने से होती है." -डॉ आर एल खरे, पीटीजेएनएमसी रायपुर के प्रोफेसर
हाल में जारी हुआ है रिसर्च: हाल ही में NCIB नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी ने एक रिसर्च जारी किया. रिसर्च में बताया गया कि जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तो पोषक तत्व शरीर तक नहीं पहुंच पाते. ऐसा करने से पानी तेजी से नीचे चला जाता है और शरीर को नुकसान करता है. इसके साथ ही विंड पाइप में होने वाले ऑक्सीजन की सप्लाई भी रुक जाती है.
एक्सपर्ट्स ने रिसर्च पर उठाए सवाल: NCIB की रिसर्च को लेकर डॉक्टर खरे का कहना है कि "ऐसे कई सारे रिसर्च होते रहते हैं. कम लोगों को टेस्ट करके मैं भी एक थीसिस तैयार करके रिसर्च कर लूंगा. लेकिन इस रिसर्च में कोई प्रमाण नहीं है." वहीं आयुर्वेदाचार्य रजत का भी कहना है कि "यह सारे रिसर्च हाइपोथेटिकल हैं. कम लोगों पर रिसर्च करके लोग अरबों की संख्या में खड़े होकर पानी पीने वालों का नुकसान कैसे गिना सकते हैं. अपने 45 साल के करियर में मैंने जो अनुभव किया है वह यह है कि खड़े होकर पानी पीने से बहुत ज्यादा किडनी और लीवर या फेफड़े पर प्रभाव नहीं पड़ता."
जल्दबाजी में पानी पीना है नुक्सानदायक: लोगों में भ्रांतियां फैलाई जाती हैं कि खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए. इस बात को लेकर डॉक्टर भी मना करते हैं. लेकिन जब टीम ने आयुर्वेद विशेषज्ञ और मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर दोनों से बातचीत की, तो दोनों का कहना था कि खड़े होकर पानी पीने को लेकर किसी भी तरह का नकारात्मक परिणाम का कोई प्रमाण नहीं है. लेकिन दोनों ने एक बात पर सहमति जरूर जताई कि पानी को जल्दबाजी या हड़बड़ी में नहीं बल्कि आराम से पीना चाहिए.