रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी को बहुमत मिला. कांग्रेस को जनता ने जनादेश नहीं दिया. कौन जीता कौन हारा, इसकी तो खूब चर्चा होती है. लेकिन जो विधायक जीते हैं, या फिर जो हार गए. उनकी शिक्षा के बारे में अमूमन कम ही चर्चा होती है. हम आपको उन विधायकों की जानकारी दे रहे हैं.
साक्षर और 12 वीं पास विधायक हैं: जिनको आप वोट देकर सदन भेजते हैं. विकास की जिम्मेदारी हैं. उन जनप्रतिनिधियों की शिक्षा के बारे में आपको जरूर जनाना चाहिए. छत्तीसगढ़ विधानसभा में कई ऐसे विधायक हैं जो सिर्फ 12वीं तक पढ़ें हैं. एक एकाध विधायक तो ऐसे भी हैं जो सिर्फ नाम के लिए साक्षर हैं. कम शिक्षा वाले विधायकों की लंबी फेहरिस्त है.
कम पढ़े लिखे होने के बावजूद मंत्री बने, चेयरमैन बने: ऐसा नहीं है कि, विधायक बनने के बाद मंत्री और किसी बोर्ड का चेयरमैन बनने के लिए कम शिक्षा बाधक बनती है. बल्कि छत्तीसगढ़ में साक्षर होने के बावजूद वे विधायक मंत्री से लेकर किसी बोर्ड के अध्यक्ष तक का सफर तय करते हैं. हालांकि इसमें उनकी राजनीतिक कुशलता और विजनरी को तरजीह मिलती है.
सिर्फ साक्षर हैं कवासी लखमा: कांग्रेस के कवासी लखमा इस बार भी कोंटा से चुनाव जीते हैं. उन्होंने बीजेपी के सोयम मुका को 1981 वोटों से पराजित किया. वे सिर्फ साक्षर हैं. 2018 में चुनाव जीतने के बाद इन्हें भूपेश कैबिनेट में आबकारी मंत्री का पद दिया गया. ये कोंटा से पांच बार विधायक रहे हैं. वार्ड पंच से इन्होंने अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी. ये काफी तेज तर्रार नेता के रूप में जाने जाते हैं.
12वीं और 8वीं और 7वीं पास विधायक: दंतेवाड़ा से जीत दर्ज करने वाले बीजेपी विधायक चैतराम अटामी 12वीं पास हैं. उन्होंने 16803 मतों से जीत दर्ज की है. बीजापुर से कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी 12वीं पास हैं. चंद्रपुर सीट से जीतने वाले कांग्रेस के रामकुमार यादव 8वीं पास हैं. चित्रकोट में दीपक बैज को हराने वाले बीजेपी विधायक विनायक गोयल 12वीं पास हैं. रामपुर से बीजेपी के दिग्गज ननकीराम कंवर को हराने वाले फूल सिंह राठिया कांग्रेस से विधायक हैं. वे 8वीं पास हैं. कोरबा से बीजेपी विधायक महज 7वीं पास हैं.
साजा से ईश्वर साहू ने जीत दर्ज की: साजा से चुनाव जीतने वाले ईश्वर साहू 5196 वोटों से जीत दर्ज की है. ईश्वर साहू सिर्फ पांचवीं पास हैं.