रायपुर : केंद्र के कृषि कानूनों के समर्थन में छत्तीसगढ़ बीजेपी ने प्रदेश के हर जिला मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेन्स की. राजधानी में मोर्चा संभाला पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आंदोलन तो किसानों का है लेकिन पर्दे के पीछे कोई और है. टुकड़े-टुकड़े गैंग वालों के पोस्टर किस तरफ इशारा करते हैं, इस बात को समझने की जरूरत है.
कृषि कानूनों के खिलाफ करीब तीन हफ्ते से किसानों का आंदोलन जारी है. इस आंदोलन में उस वक्त विवाद हुआ, जब भारतीय किसान यूनियन एकता ने अपने स्टेज पर एक कार्यक्रम किया. इसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, सुधा भारद्वाज, जैसे एक्टिविस्ट्स के पोस्टर-बैनर नजर आए. कार्यक्रम टिकरी बॉर्डर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर हो रहा था. इन पोस्टर-बैनर के जरिए मांग की जा रही थी कि गिरफ्तार बुद्धिजीवियों और छात्रों को रिहा किया जाए. केंद्र सरकार ने भी इस मामले को उठाया है. भाजपा का कहना है कि इस आंदोलन को हाईजैक कर लिया गया है.
सरकार किसानों को मजबूत करना चाहती है
बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों को सशक्त और मजबूत बनाना चाहती है. इसलिए किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम मिले. जिसे लेकर यह कानून तैयार किया गया है. देश की आजादी के बाद से किसानों को अपनी उपज का मूल्य तय करने का अधिकार नहीं है. केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों को ये अधिकार दिलाया है.
MSP खत्म करने की बात नहीं कही गई
बृजमोहन अग्रवाल ने भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि किसानों को मंच देने के लिए कृषि कानून लाया गया है. MSP को समाप्त करने की बात केंद्र सरकार ने कभी नहीं कही. उन्होंने कहा कि सरकार से बातचीत के बाद भी यह आंदोलन चलना समझ से बाहर है. दरअसल, आंदोलन में ऐसे तत्व शामिल हैं, जो देश में अराजकता पैदा करना चाहते हैं. केंद्र सरकार देश में किसानों की तरक्की के लिए कृषि कानून लाई. किसानों को अधिकार सम्पन्न बनाने का काम मोदी सरकार ने किया है. तीनों विधेयकों के माध्यम से मंडी राज को समाप्त किया गया है. मोदी सरकार ने एमएसपी में वृद्धि की है.
'आंदोलन का रास्ता हमेशा खुला'
उन्होंने कहा कि ये तीनों कानून किसानों का सम्मान बढ़ाने वाले हैं. लेकिन कुछ तत्व किसानों के आंदोलन को समाप्त नहीं होना देना चाहते है. केंद्र सरकार ने किसानों की आशंकाओं को दूर किया है. किसानों से हमारा आग्रह है कि वे अपने आंदोलन को वापस लें. आंदोलन का रास्ता लोकतंत्र में खुला रहता है. कानून का असर क्या हो सकता है उसका किसानों को इंतजार करना चाहिए. उन्होंने देशभर के किसानों से आग्रह किया कि वो आंदोलन समाप्त करें. 2 या 3 साल बाद ये कानून काम नहीं आया तो आंदोलन करना जायज होगा. उन्होंने कहा कि आंदोलन का रास्ता हमेशा खुला है. सरकार के आश्वासन पर भरोसा करना चाहिए.
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राजीव गांधी न्याय नहीं, अन्याय योजना: बृजमोहन
बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ सरकार पर किसान आंदोलन को हवा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को बधाई देता हूं कि वो समझदारी दिखा रहें हैं. उनको आज 1800 रुपये मिल रहा है, तो वो केंद्र सरकार के कारण मिल रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान योजना नहीं बल्कि राजीव गांधी किसान अन्याय योजना है. छत्तीसगढ़ में जिन किसानों ने आत्महत्या की है, उन पर व्यक्तिगत लांछन लगाया गया. यह पूरे प्रदेश के किसानों का अपमान है. छत्तीसगढ़ सरकार कानूनों का विरोध करने के बजाय अपनी व्यवस्था को सुधारे.