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आरक्षण विधेयक पर भाजपा के बयानों के जैसे ही राज्यपाल के सवाल: रविंद्र चौबे - छत्तीसगढ़ में आरक्षण बिल पर राजनीति

राज्यपाल अनुसूईया उइके (Governor Anusuiya Uikey) के आरक्षण संशोधन विधेयक पर साइन नहीं करने को लेकर अब राजनीति गरमा गई है. इस मामले में पहले से ही हमलावर रही कांग्रेस ने राज्यपाल के दस बिंदुओं को लेकर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस के प्रवक्ता और मंत्री रविंद्र चौबे (minister Ravindra Choubey) ने कहा है कि जैसे बयान भाजपा के लोग दे रहे हैं वैसे ही प्रश्नों को राजभवन से सरकार को भेजा गया है जो बिल्कुल भी उचित नहीं है.

Governor Anusuiya Uikey and Ravindra Choubey
राज्यपाल अनुसूईया उइके और रविंद्र चौबे
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Published : Dec 15, 2022, 5:08 PM IST

Updated : Dec 15, 2022, 7:44 PM IST

आरक्षण विधेयक पर भाजपा के बयानों के जैसे ही राज्यपाल के सवाल

रायपुर : राज्यपाल ने आरक्षण विधेयक को लेकर राज्य सरकार से 10 सवाल पूछे हैं. इस पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे (Minister Ravindra Choubey ) ने कहा कि '' महामहिम को सारा अधिकार है वह हमारी संवैधानिक प्रमुख है.सदन में हमने सर्वानुमति से विधेयक पारित किया है.जैसा बयान डॉ. रमन या भाजपा नेता दे रहे हैं उसी प्रकार के प्रश्नों को राजभवन सरकार को प्रेषित करता है. यह उचित नहीं.अगर विधेयक लौटाना है तो बिंदुओं के साथ लौटाना चाहिए.विधेयक पर पुनर्विचार कराना है तो विधानसभा को लौटाया जाना चाहिए. राज्यपाल राष्ट्रपति और केंद्रीय गृहमंत्री से मार्गदर्शन ले सकती हैं. हमारी मांग है जो विधेयक विशेष सत्र में पारित किया गया उस पर हस्ताक्षर करना चाहिए.राजभवन को जितनी जानकारी देनी चाहिए सभी जानकारियां दे दी गई है.न्यायालय में कौन सा मसला ठहर सकता है इसके बारे में महामहिम को कौन जवाब दे सकता है. न्यायालय, राजभवन और राज्य सरकार की अपनी सीमाएं हैं.न्यायालय में हम किस तरह अपना पक्ष रखेंगे यह पूछना लाजमी नहीं है.''

राज्यपाल ने 10 बिंदुओं पर मांगा है जवाब : बता दें कि राज्यपाल अनुसुइया उइके (Governor Anusuiya Uikey) ने शासन से 10 बिंदुओं पर जवाब मांगा है कि किस आधार पर अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मिलाकर 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. राजभवन की ओर से जो पत्र शासन को भेजा गया है, उसमें यह खास तौर पर लिखा गया है कि उनके विधिक सलाहकार ने जो अभिमत दिया है, उस आधार पर जानकारियां मांगी है. Governor asked for information on reservation bill



किन 10 बिंदुओं पर राज्यपाल ने मांगा है जवाब :आईए आपको बताते हैं कि राज्यपाल ने किन बिंदुओं पर जवाब मांगा है.

1. क्या अनुसूचित जाति और जनजाति के संबंध में मात्रात्मक विवरण (डाटा) संग्रहित किया गया है।
2. इंदिरा साहनी केस में उल्लेखित विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियां कौन सी हैं?
3. हाईकोर्ट के आदेश के ढाई महीने बाद ऐसी कौन सी परिस्थितियां बनीं, जिसके आधार पर आरक्षण में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई?
4. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्ति किस प्रकार राज्य में सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं?
5. छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति और जनजाति के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन को ज्ञात करने के लिए कौन सी कमेटी बनाई गई?
6. क्वांटिफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राजभवन में प्रस्तुत करें।
7. अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन में शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग का क्या अभिमत है?
8. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए संविधान के अनुच्छेद 16(6) के तहत पृथक अधिनियम लाना चाहिए था?
9. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्य राज्य की सेवाओं में क्या चयनित नहीं हो रहे हैं?
10. क्या 76 प्रतिशत आरक्षण लागू करने से प्रशासन की दक्षता का ध्यान रखा गया है। इस संबंध में क्या कोई सर्वेक्षण किया गया है?

ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ कांग्रेस की अहम मीटिंग, रायपुर कांग्रेस अधिवेशन की बनेगी रणनीति



कब पेश हुआ था संशोधन विधेयक : गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से एक दिसंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया. इस पर चर्चा के बाद 2 दिसंबर को संशोधन पारित किया गया. इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का मिलाकर 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इसे लेकर राज्य सरकार के पांच मंत्री दो दिसंबर को ही राज्यपाल उइके के पास पहुंचे. तब से लेकर अब तक राज्यपाल के दस्तखत नहीं हुए हैं. Reservation Amendment Bill in Chhattisgarh

आरक्षण विधेयक पर भाजपा के बयानों के जैसे ही राज्यपाल के सवाल

रायपुर : राज्यपाल ने आरक्षण विधेयक को लेकर राज्य सरकार से 10 सवाल पूछे हैं. इस पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे (Minister Ravindra Choubey ) ने कहा कि '' महामहिम को सारा अधिकार है वह हमारी संवैधानिक प्रमुख है.सदन में हमने सर्वानुमति से विधेयक पारित किया है.जैसा बयान डॉ. रमन या भाजपा नेता दे रहे हैं उसी प्रकार के प्रश्नों को राजभवन सरकार को प्रेषित करता है. यह उचित नहीं.अगर विधेयक लौटाना है तो बिंदुओं के साथ लौटाना चाहिए.विधेयक पर पुनर्विचार कराना है तो विधानसभा को लौटाया जाना चाहिए. राज्यपाल राष्ट्रपति और केंद्रीय गृहमंत्री से मार्गदर्शन ले सकती हैं. हमारी मांग है जो विधेयक विशेष सत्र में पारित किया गया उस पर हस्ताक्षर करना चाहिए.राजभवन को जितनी जानकारी देनी चाहिए सभी जानकारियां दे दी गई है.न्यायालय में कौन सा मसला ठहर सकता है इसके बारे में महामहिम को कौन जवाब दे सकता है. न्यायालय, राजभवन और राज्य सरकार की अपनी सीमाएं हैं.न्यायालय में हम किस तरह अपना पक्ष रखेंगे यह पूछना लाजमी नहीं है.''

राज्यपाल ने 10 बिंदुओं पर मांगा है जवाब : बता दें कि राज्यपाल अनुसुइया उइके (Governor Anusuiya Uikey) ने शासन से 10 बिंदुओं पर जवाब मांगा है कि किस आधार पर अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मिलाकर 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. राजभवन की ओर से जो पत्र शासन को भेजा गया है, उसमें यह खास तौर पर लिखा गया है कि उनके विधिक सलाहकार ने जो अभिमत दिया है, उस आधार पर जानकारियां मांगी है. Governor asked for information on reservation bill



किन 10 बिंदुओं पर राज्यपाल ने मांगा है जवाब :आईए आपको बताते हैं कि राज्यपाल ने किन बिंदुओं पर जवाब मांगा है.

1. क्या अनुसूचित जाति और जनजाति के संबंध में मात्रात्मक विवरण (डाटा) संग्रहित किया गया है।
2. इंदिरा साहनी केस में उल्लेखित विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियां कौन सी हैं?
3. हाईकोर्ट के आदेश के ढाई महीने बाद ऐसी कौन सी परिस्थितियां बनीं, जिसके आधार पर आरक्षण में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई?
4. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्ति किस प्रकार राज्य में सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं?
5. छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति और जनजाति के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन को ज्ञात करने के लिए कौन सी कमेटी बनाई गई?
6. क्वांटिफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट राजभवन में प्रस्तुत करें।
7. अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन में शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग का क्या अभिमत है?
8. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए संविधान के अनुच्छेद 16(6) के तहत पृथक अधिनियम लाना चाहिए था?
9. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्य राज्य की सेवाओं में क्या चयनित नहीं हो रहे हैं?
10. क्या 76 प्रतिशत आरक्षण लागू करने से प्रशासन की दक्षता का ध्यान रखा गया है। इस संबंध में क्या कोई सर्वेक्षण किया गया है?

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कब पेश हुआ था संशोधन विधेयक : गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से एक दिसंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया. इस पर चर्चा के बाद 2 दिसंबर को संशोधन पारित किया गया. इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का मिलाकर 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इसे लेकर राज्य सरकार के पांच मंत्री दो दिसंबर को ही राज्यपाल उइके के पास पहुंचे. तब से लेकर अब तक राज्यपाल के दस्तखत नहीं हुए हैं. Reservation Amendment Bill in Chhattisgarh

Last Updated : Dec 15, 2022, 7:44 PM IST
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