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Mashik shivratri 2022 : मासिक शिवरात्रि में शिवपूजा का महत्व

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Published : Nov 22, 2022, 6:37 PM IST

Mashik shivratri 2022 : मासिक शिवरात्रि के समय शिव की आराधना करने पर हर मनोकामना पूरी होती है. वैसे तो शिव थोड़ी सी पूजा और श्रद्धा से प्रसन्न हो जाते हैं. लेकिन खास मौकों पर यदि आप शिव की आराधना करें तो इसका फल जीवन पर्यन्त मिलता रहता है.

मासिक शिवरात्रि में शिवपूजा का महत्व
मासिक शिवरात्रि में शिवपूजा का महत्व

Mashik shivratri 2022 : हिन्दू धर्म में भोलेनाथ की पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना जाता है की जो भी भक्त सच्चे मन और आस्था से भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है. उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. हर वह मनुष्य जो भगवान शिव का ध्यान पूजा उपासना करता है. उसके जीवन की कठिनाई दूर होने लगती है. साथ ही कठिनाईयों से बहार निकलने की हिम्मत मिलती है. हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. महाशिवरात्रि के अलावा भी साल में 12 शिवरात्रि और भी आती हैं, जिन का अलग-अलग महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ स्वयं शिव लिंग रूप में प्रकट होते हैं. (Importance of Shiv Puja in mashik Shivratri )

भगवान शिव का स्वरुप : शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव जी का निराकार स्वरूप प्रतीक लिंग पूजन सबसे पहले ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने किया था. हमारे धर्म पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि के बाद मासिक शिवरात्रि के दिन शिव की पूजा अर्चना करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. शिवरात्रि को लेकर हमारे धर्म पुराणों में बहुत सारी कथाओं का वर्णन किया गया है.

क्या है कथा : एक समय भगवान शिव बहुत ज्यादा गुस्सा हुए. उनके क्रोध की अग्नि में पूरा जगत नष्ट होने वाला था. लेकिन माता पार्वती ने शिव जी का क्रोध शांत करके उन्हें प्रसन्न किया. इसी वजह से हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच मनमुटाव हो गया. ब्रह्मा और विष्णु दोनों में से कौन श्रेष्ठ है इस बात को लेकर दोनों के बीच मतभेद हो जाता है. तब शिवजी एक अग्नि के स्तंभ के रूप में उनके सामने प्रकट होते हैं. भगवान शिव इसके बाद विष्णु और ब्रह्मा जी से कहते हैं कि मुझे इस अग्नि स्तंभ का कोई किनारा दिखाई नहीं दे रहा है.इसलिए जो भी पहले किनारा पता लगा लेगा वही श्रेष्ठ है. लेकिन दोनों में से कोई भी किनारा नहीं ढूंढ सका. तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास होता है . वह अपनी की गई गलती के लिए शिवजी से क्षमा याचना करते हैं.

अहंकार को करता है नष्ट : इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति शिवरात्रि का व्रत करता है उसके अंदर का अहंकार नष्ट हो जाता है. मनुष्य में सभी चीजों के प्रति समान भाव जागृत होता है. शिवरात्रि का व्रत करने से मनुष्य के अंदर मौजूद विकारों का अंत हो जाता है. हिंदू धर्म में शिवरात्रि व्रत और पूजा का बहुत महत्व है. शिवरात्रि का व्रत हिंदू धर्म के सबसे बड़े व्रतों में से एक माना जाता है. इस दिन सभी शिव मंदिरों में शिव जी की खास पूजा की जाती है.

मासिक शिवरात्रि की पूजा सामग्री : दूप, अगरबत्ती, घी का दीपक, फूल, फल, मिठाई, कथा की किताब, जल, दूध, बेलपत्र, पैसे, चन्दन, वस्त्र या कलावा, कुमकुम का इस्तेमाल इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए होता है.

कैसे करें मासिक शिवरात्रि में पूजा

  • सूर्य उदय के पूर्व उठे खुद को शुद्ध कर स्नान आदि कर लें.
  • ऊपर बताई गयी पूजा सामग्री लेकर शिव मंदिर जाएं और उनकी पूजा करें.
  • भगवान शिव को थोड़ा दूध मिलकर जल अर्पित करें.
  • उन्हें वस्त्र अर्पित करें वस्त्र संभव न हो तो कलावा अर्पित करें.
  • उन्हें चन्दन का तिलक करें और माँ गौरी को कुमकुम का तिलक करें.
  • उन्हें बेलपत्र और पुष्प अर्पित करें. फूल अगर सफ़ेद हो तो और भी उत्तम होगा.

Mashik shivratri 2022 : हिन्दू धर्म में भोलेनाथ की पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना जाता है की जो भी भक्त सच्चे मन और आस्था से भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है. उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. हर वह मनुष्य जो भगवान शिव का ध्यान पूजा उपासना करता है. उसके जीवन की कठिनाई दूर होने लगती है. साथ ही कठिनाईयों से बहार निकलने की हिम्मत मिलती है. हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. महाशिवरात्रि के अलावा भी साल में 12 शिवरात्रि और भी आती हैं, जिन का अलग-अलग महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ स्वयं शिव लिंग रूप में प्रकट होते हैं. (Importance of Shiv Puja in mashik Shivratri )

भगवान शिव का स्वरुप : शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव जी का निराकार स्वरूप प्रतीक लिंग पूजन सबसे पहले ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने किया था. हमारे धर्म पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि के बाद मासिक शिवरात्रि के दिन शिव की पूजा अर्चना करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. शिवरात्रि को लेकर हमारे धर्म पुराणों में बहुत सारी कथाओं का वर्णन किया गया है.

क्या है कथा : एक समय भगवान शिव बहुत ज्यादा गुस्सा हुए. उनके क्रोध की अग्नि में पूरा जगत नष्ट होने वाला था. लेकिन माता पार्वती ने शिव जी का क्रोध शांत करके उन्हें प्रसन्न किया. इसी वजह से हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. एक अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच मनमुटाव हो गया. ब्रह्मा और विष्णु दोनों में से कौन श्रेष्ठ है इस बात को लेकर दोनों के बीच मतभेद हो जाता है. तब शिवजी एक अग्नि के स्तंभ के रूप में उनके सामने प्रकट होते हैं. भगवान शिव इसके बाद विष्णु और ब्रह्मा जी से कहते हैं कि मुझे इस अग्नि स्तंभ का कोई किनारा दिखाई नहीं दे रहा है.इसलिए जो भी पहले किनारा पता लगा लेगा वही श्रेष्ठ है. लेकिन दोनों में से कोई भी किनारा नहीं ढूंढ सका. तब भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास होता है . वह अपनी की गई गलती के लिए शिवजी से क्षमा याचना करते हैं.

अहंकार को करता है नष्ट : इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति शिवरात्रि का व्रत करता है उसके अंदर का अहंकार नष्ट हो जाता है. मनुष्य में सभी चीजों के प्रति समान भाव जागृत होता है. शिवरात्रि का व्रत करने से मनुष्य के अंदर मौजूद विकारों का अंत हो जाता है. हिंदू धर्म में शिवरात्रि व्रत और पूजा का बहुत महत्व है. शिवरात्रि का व्रत हिंदू धर्म के सबसे बड़े व्रतों में से एक माना जाता है. इस दिन सभी शिव मंदिरों में शिव जी की खास पूजा की जाती है.

मासिक शिवरात्रि की पूजा सामग्री : दूप, अगरबत्ती, घी का दीपक, फूल, फल, मिठाई, कथा की किताब, जल, दूध, बेलपत्र, पैसे, चन्दन, वस्त्र या कलावा, कुमकुम का इस्तेमाल इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए होता है.

कैसे करें मासिक शिवरात्रि में पूजा

  • सूर्य उदय के पूर्व उठे खुद को शुद्ध कर स्नान आदि कर लें.
  • ऊपर बताई गयी पूजा सामग्री लेकर शिव मंदिर जाएं और उनकी पूजा करें.
  • भगवान शिव को थोड़ा दूध मिलकर जल अर्पित करें.
  • उन्हें वस्त्र अर्पित करें वस्त्र संभव न हो तो कलावा अर्पित करें.
  • उन्हें चन्दन का तिलक करें और माँ गौरी को कुमकुम का तिलक करें.
  • उन्हें बेलपत्र और पुष्प अर्पित करें. फूल अगर सफ़ेद हो तो और भी उत्तम होगा.
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