रायपुर: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के देशव्यापी आह्वान पर बुधवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, कोरबा समेत अन्य जिलों में मोदी सरकार की मजदूर किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया. इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार से जन विरोधी नीतियों को वापस लेने, गरीबों को खाद्यान्न और नकद राशि से मदद करने, कोयला, रेलवे, बैंक-बीमा, प्रतिरक्षा सहित अन्य सार्वजनिक उद्योगों के निजीकरण पर रोक लगाने जैसे कई मांग की गई.
प्रदेश के कई जिलों के गांवों में माकपा ने विरोध जताते हुए अनेक मांग की. इस दौरान माकपा के कार्यकर्ताओं ने मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये रोजी देने की मांग की. इसके अलावा सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को सार्वभौमिक बनाने और सभी लोगों का कोरोना टेस्ट किये जाने की मांग जोर-शोर से उठाई गई. इस दौरान "कर्ज नहीं, कैश दो" और "देश नहीं बिकने देंगे" के नारे लगाए गए.
पढ़ें- रायपुर: विद्या मितानों का धरना प्रदर्शन, बघेल सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि मोदी सरकार की कॉरपोरेट परस्त नीतियों के कारण लंबे समय के लिए देश आर्थिक मंदी में फंस गया है. इस मंदी से निकलने का एकमात्र रास्ता यहीं है कि आम जनता की जेब में पैसे डालकर और मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध करवाकर उसकी क्रय शक्ति बढ़ाई जाए, ताकि बाजार में मांग पैदा हो और उद्योग-धंधों को गति मिले.
प्राकृतिक संसाधनों को कॉरपोरेट घरानों में बेचने का आरोप
आगे संजय पराते ने कहा कि सार्वजनिक कल्याण के कामों में सरकारी निवेश किया जाए और राष्ट्रीय संपदा को बेचने की नीति को पलटा जाए, लेकिन इसके बजाए केंद्र सरकार इस आर्थिक संकट का बोझ आम जनता पर ही लाद रही है और आत्मनिर्भरता के नाम पर देश के प्राकृतिक संसाधनों और धरोहरों को चंद कॉरपोरेट घरानों को बेच रही है.
अन्य संगठन भी हुए प्रदर्शन में शामिल
माकपा के देशव्यापी प्रदर्शन में सीटू, छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा के कार्यकर्ताओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. माकपा और इन संगठनों के नेताओं ने स्थानीय स्तर पर आंदोलनरत किसानों और मजदूरों के समूहों को भी संबोधित किया और केंद्र सरकार से किसानों और प्रवासी मजदूरों की रोजी-रोटी, उनकी आजीविका और लॉकडाउन में उनको हुए नुकसान की भरपाई की मांग की.