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छत्तीसगढ़ में 'बदलाव' लाएगा 'ओबीसी' कार्ड ! रमेश बैस भाजपा के बड़े चेहरे तो कांग्रेस के 17 विधायक OBC वर्ग से

छत्तीसगढ़ में जिस विशेष OBC वर्ग पर कभी भाजपा की पकड़ मजबूत थी, वह अब वहां कांग्रेस के मुकाबले काफी पिछड़ी हुई है. भाजपा के रणनीतिकारों ने इसी दूरी को पाटने के लिए नए समीकरण गढ़ने को अब पासा फेंक दिया है. छत्तीसगढ़ की राजनीति में 'ओबीसी' कार्ड का प्रभाव कितना बढ़ सकता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

Senior Journalist Nischay Kumar
वरिष्ठ पत्रकार निश्चय कुमार
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Published : Sep 9, 2021, 4:05 PM IST

रायपुर : जल्द छत्तीसगढ़ की राजनीति (politics of chhattisgarh) में 'ओबीसी' कार्ड (OBC card) का प्रभाव बढ़ सकता है. हाल ही में संपन्न हुई भाजपा के चिंतन बैठक (BJP's contemplation meeting) में इस विषय को लेकर चर्चा हुई है. यानी संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा ओबीसी वर्ग से कुछ चेहरे को अहम भूमिका में ला सकती है. कौन हो सकते हैं वो चेहरे, किसको मिल सकती है ज्यादा अहमियत, इस पर भी जल्द पर्दा उठ सकता है. इसके साथ ही वर्तमान समीकरणों में क्या बदलाव आ सकता है. ये आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति ही दशादिशा तय करेगी.

वरिष्ठ पत्रकार निश्चय कुमार

ओबीसी से भाजपा के अहम चेहरे कौन

वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ भाजपा में ओबीसी वर्ग से कई अहम चेहरे हैं. इनमें सबसे अहम नेताप्रतिपक्ष व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर धरमलाल कौशिक हैं. इसके अलावा युवा नेता और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ओपी चौधरी भी एक नाम है. फिलहाल विधानसभा में भाजपा के चार विधायक ओबीसी वर्ग से हैं. जबकि कांग्रेस के 17 विधायक इस वर्ग से आते हैं. इससे अंदाजा लग सकता है कि जिस ओबीसी वर्ग में कभी भाजपा की पैठ हुआ करती थी, वहां वो कांग्रेस के मुकबाले काफी पिछड़ी हुई है.

ओबीसी से दूरी पाटने को नए समीकरण बना रही भाजपा

भाजपा के रणनीतिकारों ने इसी दूरी को पाटने के लिए नए समीकरण गढ़ने को अब पासा फेंक दिया है. कुछ जानकारों का मानना है कि ओबीसी कार्ड चलने के लिए हो सकता है भाजपा 2019 लोकसभा चुनाव की तर्ज पर आमूल-चूल परिवर्तन करेगी. शायद भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी का ये कहना कि अगले चुनाव के लिए कोई चेहरा अभी तय नहीं हुआ है, इसी बात का संकेत है.

भाजपा के पास रमेश बैस से बड़ा कोई ओबीसी चेहरा नहीं, लेकिन वे झारखंड के हैं राज्यपाल

वहीं वरिष्ठ पत्रकार निश्चय कुमार कहते हैं कि अगर आज भी प्रदेश भाजपा नेताओं पर नजर डालते हैं तो रमेश बैस से बड़ा कोई ओबीसी चेहरा नजर नहीं आता. हालांकि बैस फिलहाल झारखंड के राज्यपाल हैं. ऐसे में उन्हें फिर से सक्रिय राजनीति में वापस लाया जा सकता है, या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन जानकार यह मान रहे हैं कि 2023 चुनाव से पहले भाजपा प्रदेश में बड़े बदलाव कर सकती है. और उस बदलाव के समीकरण में जो नाम सटीक बैठेगा उस पर पार्टी आलाकमान दांव लगा सकती है.

इस वर्ग को साधने में काग्रेस नजर आ रही है आगे

प्रदेश में कांग्रेस पहले ही ओबीसी मुख्यमंत्री के साथ राज्य में काबिज है. सरकार की ओर से प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की गिनती शुरू हो चुकी है. दरअसल कुछ समय पहले राज्य ओबीसी आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था. जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए इस आरक्षण को देने
के पीछे आधार पूछा था. सरकार इसका जवाब इसी गणना के आधार पर तैयार कर सकती है. इस तरह भूपेश सरकार इस वर्ग को अपने साथ बनाए रखने के लिए लगातार प्रयासरत है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए लगातार न्याय योजना के तहत किसानों और पशुपालकों को लाभ पहुंचा रही है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के किसानों में बहुत बड़ी तादाद ओबीसी वर्ग से है, ऐसे में इस तरह भी सरकार इस वर्ग के साथ नजर आ रही है.

सिर्फ चेहरे प्रोजेक्ट करने से नहीं चलेगा काम

छत्तीसगढ़ में ओबीसी कार्ड को भाजपा सिर्फ चेहरा प्रोजेक्ट कर सफल नहीं बना सकती, क्योंकि प्रदेश सरकार पहले से ही कई योजनाएं इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शुरू कर चुकी है. ऐसे में पार्टी को चेहरे के साथ-साथ ऐसी रणनीति भी जमीन पर उतारनी होगी.

रायपुर : जल्द छत्तीसगढ़ की राजनीति (politics of chhattisgarh) में 'ओबीसी' कार्ड (OBC card) का प्रभाव बढ़ सकता है. हाल ही में संपन्न हुई भाजपा के चिंतन बैठक (BJP's contemplation meeting) में इस विषय को लेकर चर्चा हुई है. यानी संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा ओबीसी वर्ग से कुछ चेहरे को अहम भूमिका में ला सकती है. कौन हो सकते हैं वो चेहरे, किसको मिल सकती है ज्यादा अहमियत, इस पर भी जल्द पर्दा उठ सकता है. इसके साथ ही वर्तमान समीकरणों में क्या बदलाव आ सकता है. ये आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति ही दशादिशा तय करेगी.

वरिष्ठ पत्रकार निश्चय कुमार

ओबीसी से भाजपा के अहम चेहरे कौन

वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ भाजपा में ओबीसी वर्ग से कई अहम चेहरे हैं. इनमें सबसे अहम नेताप्रतिपक्ष व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर धरमलाल कौशिक हैं. इसके अलावा युवा नेता और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ओपी चौधरी भी एक नाम है. फिलहाल विधानसभा में भाजपा के चार विधायक ओबीसी वर्ग से हैं. जबकि कांग्रेस के 17 विधायक इस वर्ग से आते हैं. इससे अंदाजा लग सकता है कि जिस ओबीसी वर्ग में कभी भाजपा की पैठ हुआ करती थी, वहां वो कांग्रेस के मुकबाले काफी पिछड़ी हुई है.

ओबीसी से दूरी पाटने को नए समीकरण बना रही भाजपा

भाजपा के रणनीतिकारों ने इसी दूरी को पाटने के लिए नए समीकरण गढ़ने को अब पासा फेंक दिया है. कुछ जानकारों का मानना है कि ओबीसी कार्ड चलने के लिए हो सकता है भाजपा 2019 लोकसभा चुनाव की तर्ज पर आमूल-चूल परिवर्तन करेगी. शायद भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी का ये कहना कि अगले चुनाव के लिए कोई चेहरा अभी तय नहीं हुआ है, इसी बात का संकेत है.

भाजपा के पास रमेश बैस से बड़ा कोई ओबीसी चेहरा नहीं, लेकिन वे झारखंड के हैं राज्यपाल

वहीं वरिष्ठ पत्रकार निश्चय कुमार कहते हैं कि अगर आज भी प्रदेश भाजपा नेताओं पर नजर डालते हैं तो रमेश बैस से बड़ा कोई ओबीसी चेहरा नजर नहीं आता. हालांकि बैस फिलहाल झारखंड के राज्यपाल हैं. ऐसे में उन्हें फिर से सक्रिय राजनीति में वापस लाया जा सकता है, या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन जानकार यह मान रहे हैं कि 2023 चुनाव से पहले भाजपा प्रदेश में बड़े बदलाव कर सकती है. और उस बदलाव के समीकरण में जो नाम सटीक बैठेगा उस पर पार्टी आलाकमान दांव लगा सकती है.

इस वर्ग को साधने में काग्रेस नजर आ रही है आगे

प्रदेश में कांग्रेस पहले ही ओबीसी मुख्यमंत्री के साथ राज्य में काबिज है. सरकार की ओर से प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की गिनती शुरू हो चुकी है. दरअसल कुछ समय पहले राज्य ओबीसी आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था. जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए इस आरक्षण को देने
के पीछे आधार पूछा था. सरकार इसका जवाब इसी गणना के आधार पर तैयार कर सकती है. इस तरह भूपेश सरकार इस वर्ग को अपने साथ बनाए रखने के लिए लगातार प्रयासरत है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए लगातार न्याय योजना के तहत किसानों और पशुपालकों को लाभ पहुंचा रही है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के किसानों में बहुत बड़ी तादाद ओबीसी वर्ग से है, ऐसे में इस तरह भी सरकार इस वर्ग के साथ नजर आ रही है.

सिर्फ चेहरे प्रोजेक्ट करने से नहीं चलेगा काम

छत्तीसगढ़ में ओबीसी कार्ड को भाजपा सिर्फ चेहरा प्रोजेक्ट कर सफल नहीं बना सकती, क्योंकि प्रदेश सरकार पहले से ही कई योजनाएं इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शुरू कर चुकी है. ऐसे में पार्टी को चेहरे के साथ-साथ ऐसी रणनीति भी जमीन पर उतारनी होगी.

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