रायपुर: 'नदिया किनारे, किसके सहारे' में जारी है महानदी का सफर. धमतरी जिले से आगे बढ़ते हुए महानदी गरियाबंद जिले में प्रवेश करती है. यहां धार्मिक नगरी राजिम में महानदी सोंढूर और पैरी नदी का त्रिवेणी संगम होता है. इस स्थान का छत्तीसगढ़ में प्रयाग के समान महत्व है.
संगम पर कई वर्षों से बड़े मेले का आयोजन होता आ रहा है. सरकारी प्रयास से यहां राष्ट्रीय स्तर का आयोजन हर साल किया जा रहा है लेकिन महानदी के उद्धार के बारे में कोई प्लान नहीं बनाया जा रहा.
- राजिम में जहां शहर के निस्तारी का गंदा पानी इस पवित्र नदी को गंदा कर रही है, वहीं राइस मिलों से निकलने वाला पानी भी इसमें छोड़ा जाता है, जिससे इस नदी को काफी नुकसान पहुंच रहा है.
- इससे कुछ दूरी पर ही रेत माफिया अपनी मनमानी कर रहे हैं लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है, इसी का नतीजा है कि आज महानदी में इतना पानी भी नहीं बचा है कि यहां अस्थि विसर्जन किया जा सके.
- सोंढूर और पैरी जैसी बड़ी नदियों के महानदी में मिलने के चलते राजिम से आगे महानदी को स्वरूप और विराट हो जाता है. इसके साथ ही यहां बढ़ जाता है रेत माफियाओं का जाल.
- इसके आगे आरंग और महासमुंद के पास महानदी पूरी तरह से सूखी हुई नजर आती है. यहां महानदी के किनारे खरबूज और ककड़ी की फसल बड़े पैमाने पर ली जाती है.
- यहां महानदी से रेत उत्खनन के साथ ही काला फरसी पत्थर निकालने का कारोबार भी बड़े पैमाने पर हो रहा है. इसका महानदी की सेहत पर बेहद बुरा असर पड़ रहा है. यहीं से शुरू होती है महानदी की सिरपुर यात्रा.
- इतिहासकार बताते हैं कि सालों पहले महानदी पर बड़े बड़े जहाज चला करते थे. सिरपुर में तो एक अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह होने का भी दावा किया जाता है. अब सोचिए जिस नदी के जरिए मिश्र और रोम से कारोबार होता था वो नदी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है.
- इसके गौरवशाली इतिहास को देखते हुए कह सकते हैं कि महानदी मानव द्वारा सबसे ज्यादा प्रताड़ित नदी है. और खास बात ये है कि इसके संरक्षण के लिए सबसे कम आवाज सुनाई पड़ती है.