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भौम प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा होती है प्राप्त

भौम प्रदोष व्रत द्विपुष्कर योग में मनाया जाता है. इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.

bhum pradosh fast
भौम प्रदोष व्रत
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Published : Mar 28, 2022, 6:50 PM IST

रायपुर: चैत्र कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रदोष कहलाती है. मंगलवार को होने की वजह से यह भौम प्रदोष व्रत है. यह द्विपुष्कर योग में मनाया जाएगा. धनिष्ठा नक्षत्र शतभिषा नक्षत्र साध्य और उत्पात योग कुंभ राशि तैतिल और वव करण के शुभ प्रभाव में प्रदोष व्रत का पर्व मनाया जाएगा. 29 मार्च की दोपहर 2:38 से त्रयोदशी तिथि प्रारंभ हो रही है. शाम के समय यानी गोधूलि बेला के आसपास प्रदोष काल पड़ता है. प्रदोष काल का समय इस पूजन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

पंडित विनित शर्मा

इस काल में भवानी शंकर अपनी रजत भवन में नृत्य करते हैं. श्री आशुतोष इस समय बहुत ही प्रसन्न रहते हैं. महामृत्युंजय बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता है. प्रदोष काल के समय में सभी व्रतियों अच्छी तरह से पूजन करना चाहिए. इस काल में जो लोग कार्यालय ऑफिस से आकर पूजन करते हैं. उन्हें भली-भांति स्नान करके प्रदोष काल में पूजा करना चाहिए. प्रदोष काल शाम को 5:01 से लेकर रात्रि 7:25 तक माना गया है. इस अवधि में महामृत्युंजय मंत्र ओम नमः शिवाय मंत्र शिव संकल्प मंत्र शिव नमस्कार मंत्र रुद्राष्टाध्याई लिंगाष्टकम रुद्राष्टकम शिवास्टकम आदि का पाठ करना चाहिए.

यह भी पढ़ें: कवर्धा भोरमदेव महोत्सव : दो साल बाद उत्सव की तैयारियों में जुटा प्रशासन, लोगों में दिखा उत्साह

शिवजी की आरती के द्वारा शिवजी को प्रसन्न किया जाता है. यह आरती विधान पूर्वक की जानी चाहिए. आज के शुभ दिन प्रातः काल में स्नान ध्यान से निवृत्त होकर निश्चित रूप से योग करना चाहिए. भगवान शिव योग के आदि देवता माने गए हैं. भगवान शिव को योग बहुत प्रिय है. अतः योगाभ्यास प्राणायाम आसन आदि शिव भक्तों को निश्चित तौर पर करना चाहिए. आज के शुभ दिन शिवजी का अभिषेक कर उनका अनुग्रह जल्द ही प्राप्त होता है.

रायपुर: चैत्र कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रदोष कहलाती है. मंगलवार को होने की वजह से यह भौम प्रदोष व्रत है. यह द्विपुष्कर योग में मनाया जाएगा. धनिष्ठा नक्षत्र शतभिषा नक्षत्र साध्य और उत्पात योग कुंभ राशि तैतिल और वव करण के शुभ प्रभाव में प्रदोष व्रत का पर्व मनाया जाएगा. 29 मार्च की दोपहर 2:38 से त्रयोदशी तिथि प्रारंभ हो रही है. शाम के समय यानी गोधूलि बेला के आसपास प्रदोष काल पड़ता है. प्रदोष काल का समय इस पूजन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

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इस काल में भवानी शंकर अपनी रजत भवन में नृत्य करते हैं. श्री आशुतोष इस समय बहुत ही प्रसन्न रहते हैं. महामृत्युंजय बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता है. प्रदोष काल के समय में सभी व्रतियों अच्छी तरह से पूजन करना चाहिए. इस काल में जो लोग कार्यालय ऑफिस से आकर पूजन करते हैं. उन्हें भली-भांति स्नान करके प्रदोष काल में पूजा करना चाहिए. प्रदोष काल शाम को 5:01 से लेकर रात्रि 7:25 तक माना गया है. इस अवधि में महामृत्युंजय मंत्र ओम नमः शिवाय मंत्र शिव संकल्प मंत्र शिव नमस्कार मंत्र रुद्राष्टाध्याई लिंगाष्टकम रुद्राष्टकम शिवास्टकम आदि का पाठ करना चाहिए.

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शिवजी की आरती के द्वारा शिवजी को प्रसन्न किया जाता है. यह आरती विधान पूर्वक की जानी चाहिए. आज के शुभ दिन प्रातः काल में स्नान ध्यान से निवृत्त होकर निश्चित रूप से योग करना चाहिए. भगवान शिव योग के आदि देवता माने गए हैं. भगवान शिव को योग बहुत प्रिय है. अतः योगाभ्यास प्राणायाम आसन आदि शिव भक्तों को निश्चित तौर पर करना चाहिए. आज के शुभ दिन शिवजी का अभिषेक कर उनका अनुग्रह जल्द ही प्राप्त होता है.

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