रायपुर / हैदराबाद : मकर संक्रांति (Makar Sankranti) से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व (festival of lohri) मनाया जाता है. यूं तो यह देश के हर कोने में मनाया जाता है, लेकिन हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में इसे लेकर ज्यादा उत्साह बना रहता है. 13 जनवरी 2023 में लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन लोग रात में पारंपरिक कपड़े पहनकर अलाव जलाकर अपने परिवार के साथ त्योहार मनाते हैं. यह पर्व उत्तर भारत का प्रसिद्ध पर्व है. और यह पर्व मां सती की याद में मनाया जाता है. लेकिन इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य सभी लोगों को एक साथ मिल कर सर्दियों की सबसे बड़ी रात को एक साथ मनाना होता है. Lohri Festival 2023
ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी के दिन ही सर्दियों का मौसम खत्म हो जाता है और इसके बाद दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं.भारत में जितने भी त्यौहार मनाए जाते हैं उनमें से एक है लोहड़ी का पर्व, जो कि हर साल मकर संक्रांति से ठीक पहले दिन 13 जनवरी को मनाई जाती है. यह दिन नई फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक भी है. इस दिन आग में तिल, गुड़, चना, मुंगफली और मखाना डालने की भी परंपरा निभाई जाती है.ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि लोग अग्नि के माध्यम से अपनी नई फसल का चढ़ावा समर्पित करते हैं. ये वो आहुति होती है जो सीधे ईश्वर तक पहुंचती है.How To Celebrate Lohri in Hindi
लोहड़ी का इतिहास (History of Lohri in Hindi) : लोहड़ी का इतिहास काफी पुराना है. इसका अंदाज़ा दूल्ला भट्टी की वीर गाथाओं से लगाया जा सकता है, मुगल राजा अकबर के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति के रूप में उनकी अनुकरणीय वीरता और साहस के लिए जाना जाता है. दूल्ला भट्टी नाम का एक लुटेरा पंजाब में रहता था और अमीर लोगो को लुटता था. बाजार में बिकने वाली गरीब लड़कियों को बचाने के अलावा उनकी शादी भी करवा देता था. अपने वीरतापूर्ण प्रदर्शन से दूल्ला भट्टी कुछ ही समय में लोगों के लिए नायक बन गए. लोहड़ी पर गाये जाने वाले लगभग हर गीत और कविता में उनके भाव का जिक्र जरूर होता है.
लोहड़ी की कथा (Story of Lohri in Hindi) : मान्यता है कि दक्ष प्रजापति की बेटी माता सती की याद में लोहड़ी की आग जलाई जाती है. दक्ष प्रजापति की बेटी माता सती कोई और नहीं बल्कि शंकर भगवान की धर्मपत्नी पार्वती थीं. एक बार दक्ष प्रजापति ने अपने महल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था जिसमें इन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया. कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति भगवान शिव से घृणा करते थे. माता सती इस अपमान को सहन नहीं कर सकीं और उन्होंने यज्ञ में अपनी आहुति दे दी. तभी से हर साल माता सती की याद में लोहड़ी मनाई जाती है. एक अन्य हिन्दू मान्यता के अनुसार लोहड़ी के दिन कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को भगवान कृष्ण को मारने के लिए गोकुल भेजा था, जिसे श्री कृष्ण जी ने खेलते खेलते ही मार डाला था, इसके बाद से लोहड़ी का पर्व मनाया जाने लगा.
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कैसे मनाते हैं लोहड़ी (How To Celebrate Lohri in Hindi) :लोहड़ी पंजाबियों का एक खास त्योहार है, जिसे वे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. नृत्य, गीत और ढोल पंजाबियों की शान हैं और उनके त्योहार इसके बिना अधूरे हैं.लोहड़ी के कई दिन पहले से ही लोहड़ी के गीत गाना शुरू हो जाते है. यह गीत वीर शहीदों की याद में गाए जाते हैं.परिवारों में समृद्धि लाने वाली स्वस्थ फसल के लिए देवताओं से प्रार्थना करने के साथ-साथ लोग अलाव में मूंगफली, गुड़ रेवड़ी और मखाना भी चढ़ाते हैं. वातावरण पूरी तरह से आनंदमय हो जाता है क्योंकि हर कोई ढोल की थाप पर नाचता है और भांगड़ा और गिद्दा की ऊर्जावान चाल के बिना लोहड़ी का उत्सव अधूरा है. उस अग्नि में तिल, गुड़ और मक्का का भोग लगाया जाता है. आग जलाकर सभी को लोहड़ी बांटी जाती है.
इन दिनों किसान बड़े उत्साह के साथ अपनी फसल घर लाते हैं और जश्न मनाते हैं. पंजाब में लोहड़ी को किसानों के नया साल के रूप में मनाया जाता है.लोहड़ी का सेलिब्रेशन वही है, लेकिन आज इस सेलिब्रेशन ने एक पार्टी का रूप ले लिया है. और मिलने की बजाय मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से एक दूसरे को बधाई सन्देश देते हैं. व्हाट्सएप और मेल के जरिए भी बधाई संदेश भेजे जाते हैं.