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SPECIAL: लॉकडाउन से थर्ड जेंडर की जिंदगी बदहाल, खाने के पड़े लाले

लॉकडाउन ने हर वर्ग के साथ किन्नर समुदाय को भी मुश्किल में डाल दिया है, शादी, ब्याह जैसे सामाजिक काम बंद हो जाने और कोरोना के कारण ट्रेनों में भी खास सुरक्षा के कारण किन्नर समुदाय आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.

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लॉकडाउन से किन्नरों की बढ़ी परेशानी
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Published : Jun 14, 2020, 10:58 PM IST

रायपुर: कोरोना के काल में हर कोई संकट के दौर से गुजर रहा है. कई बड़ी कंपनियां भी इसकी चपेट में आ गई है, तो वहीं कई लोग बेरोजगार भी हो गए है, लॉकडाउन ने ना सिर्फ निजी बल्कि सरकारी इकाईयों को भी प्रभावित किया है. किसान, श्रमिक, मजदूर, छोटे व्यापारी सभी की जिंदगी में कोरोना और लॉकडाउन ने भूचाल ला दिया है.

लॉकडाउन से किन्नरों की जिंदगी बदहाल

लॉकडाउन से किन्नर समुदाय भी प्रभावित

लॉकडाउन ने महिला, पुरुष, बच्चों सभी की जिंदगी को प्रभावित किया और उनकी जिंदगी और रहन-सहन में कई बदलाव ला दिए, ऐसे में एक खास वर्ग किन्नर समुदाय भी इससे अछूता नहीं रह पाया. लॉकडाउन के कारण किन्नर समुदाय भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन से पहले तक सामाजिक कार्यक्रमों में जाकर, ट्रेन में यात्रियों के बीच पहुंचकर किन्नर समुदाय अपना गुजर बसर करते थे, लेकिन कोरोना महामारी के बाद लगे लॉकडाउन में अब ना सिर्फ सामाजिक कार्यक्रम बंद हो गए बल्कि ट्रेनों पर भी बड़ा असर पड़ा और लगभग ढाई महीने तक ट्रेने बंद रही.

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लॉकडाउन से किन्नरों की बढ़ी परेशानी

जीवन चलाना भी हुआ मुश्किल

ऐसे में इसका असर किन्नर समुदाय पर भी पड़ा. राजधानी रायपुर में कई किन्नर दूसरे राज्यों से आकर यहां निवास कर रहे हैं.दूसरे राज्यों से आए किन्नरों के साथ लोकल निवास करने वाले किन्नरों के साथ विवाद भी होता है. दूसरे राज्यों से आए किन्नर अपनी टोलियों में राजधानी के किन्नरों को शामिल नहीं करते है, जिसको लेकर राजधानी के किन्नरों में बेबसी और मायूसी भी देखने को मिली. किन्नर समुदाय की कई टोलियां है, जिसमें बधाई देने वाली टोलियां, ट्रेनों में चलने वाली टोलियां, चावड़ी में काम करने वाली टोलियां और एक टोलियां ब्यूटी पार्लर का काम करती है लेकिन लॉकडाउन ने किन्नर समुदाय की दशा और दिशा को बदल कर रख दिया है. रायपुर में लगभग 400 किन्नर रहते हैं और पूरे प्रदेश की बात की जाए तो किन्नरों की संख्या लगभग 1000 से ज्यादा है.

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थर्ड जेंडर की कमाई पर पड़ा असर

कोरोना ने छीना व्यवसाय

ब्यूटीशियन का काम करने वाले किन्नरों को लोग अपने घरों में कोरोना की वजह से नहीं बुला रहे हैं, वहीं कोरोना के कारण ट्रेनों में भी इन्हें चढ़ने नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण इन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.ऐसे हालात में इनका रोजी-रोटी चलाना भी मुश्किल होता जा रहा है. कुछ किन्नर जैसे-तैसे सरकारी राशन से अपना जीवनयापन कर रहे हैं, लेकिन कब तक और कैसे करेंगें यह भी एक सवाल बना हुआ है.कई विकसित देशों ने इसे एक श्रेणी का दर्जा दे दिया और भारत भी उन्हीं देशों में से एक है.

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लॉकडाउन से मुश्किल में थर्ड जेंडर

रायपुर: कोरोना के काल में हर कोई संकट के दौर से गुजर रहा है. कई बड़ी कंपनियां भी इसकी चपेट में आ गई है, तो वहीं कई लोग बेरोजगार भी हो गए है, लॉकडाउन ने ना सिर्फ निजी बल्कि सरकारी इकाईयों को भी प्रभावित किया है. किसान, श्रमिक, मजदूर, छोटे व्यापारी सभी की जिंदगी में कोरोना और लॉकडाउन ने भूचाल ला दिया है.

लॉकडाउन से किन्नरों की जिंदगी बदहाल

लॉकडाउन से किन्नर समुदाय भी प्रभावित

लॉकडाउन ने महिला, पुरुष, बच्चों सभी की जिंदगी को प्रभावित किया और उनकी जिंदगी और रहन-सहन में कई बदलाव ला दिए, ऐसे में एक खास वर्ग किन्नर समुदाय भी इससे अछूता नहीं रह पाया. लॉकडाउन के कारण किन्नर समुदाय भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन से पहले तक सामाजिक कार्यक्रमों में जाकर, ट्रेन में यात्रियों के बीच पहुंचकर किन्नर समुदाय अपना गुजर बसर करते थे, लेकिन कोरोना महामारी के बाद लगे लॉकडाउन में अब ना सिर्फ सामाजिक कार्यक्रम बंद हो गए बल्कि ट्रेनों पर भी बड़ा असर पड़ा और लगभग ढाई महीने तक ट्रेने बंद रही.

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लॉकडाउन से किन्नरों की बढ़ी परेशानी

जीवन चलाना भी हुआ मुश्किल

ऐसे में इसका असर किन्नर समुदाय पर भी पड़ा. राजधानी रायपुर में कई किन्नर दूसरे राज्यों से आकर यहां निवास कर रहे हैं.दूसरे राज्यों से आए किन्नरों के साथ लोकल निवास करने वाले किन्नरों के साथ विवाद भी होता है. दूसरे राज्यों से आए किन्नर अपनी टोलियों में राजधानी के किन्नरों को शामिल नहीं करते है, जिसको लेकर राजधानी के किन्नरों में बेबसी और मायूसी भी देखने को मिली. किन्नर समुदाय की कई टोलियां है, जिसमें बधाई देने वाली टोलियां, ट्रेनों में चलने वाली टोलियां, चावड़ी में काम करने वाली टोलियां और एक टोलियां ब्यूटी पार्लर का काम करती है लेकिन लॉकडाउन ने किन्नर समुदाय की दशा और दिशा को बदल कर रख दिया है. रायपुर में लगभग 400 किन्नर रहते हैं और पूरे प्रदेश की बात की जाए तो किन्नरों की संख्या लगभग 1000 से ज्यादा है.

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थर्ड जेंडर की कमाई पर पड़ा असर

कोरोना ने छीना व्यवसाय

ब्यूटीशियन का काम करने वाले किन्नरों को लोग अपने घरों में कोरोना की वजह से नहीं बुला रहे हैं, वहीं कोरोना के कारण ट्रेनों में भी इन्हें चढ़ने नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण इन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है.ऐसे हालात में इनका रोजी-रोटी चलाना भी मुश्किल होता जा रहा है. कुछ किन्नर जैसे-तैसे सरकारी राशन से अपना जीवनयापन कर रहे हैं, लेकिन कब तक और कैसे करेंगें यह भी एक सवाल बना हुआ है.कई विकसित देशों ने इसे एक श्रेणी का दर्जा दे दिया और भारत भी उन्हीं देशों में से एक है.

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लॉकडाउन से मुश्किल में थर्ड जेंडर
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