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दंतेवाड़ा उपचुनाव: नक्सलियों से सिंदूर का 'बदला' स्याही से लेने उतर रही हैं ये दो महिलाएं

ओजस्वी मंडावी और देवती कर्मा दोनों ही दंतेवाड़ा उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल कर दिया है. ओजस्वी और देवती दोनों ही नक्सलगढ़ से तालुकात रखती है और दोनों ने ही नक्सल हमले में अपने पति को खो दिया था. पति के साथ इन पर भी नक्सलियों का कहर बरपा है.

ओजस्वी मंडावी और देवती कर्मा
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Published : Sep 5, 2019, 12:10 AM IST

Updated : Sep 22, 2019, 6:50 PM IST

रायपुर : देवती कर्मा और ओजस्वी मंडावी, ये वो दो चेहरे हैं जिनपर कांग्रेस और भाजपा ने दंतेवाड़ा में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए दांव खेला है. क्या समानता है इन दोनों महिलाओं में इसके सिवा कि ये दोनों ही इस उपचुनाव के लिए अलग-अलग दलों की उम्मीदवार हैं. हम बताते हैं कि इन दोनों महिलाओं में इसके अलावा क्या समानता है.

पैकेज

देवती और ओजस्वी दोनों ने अपने-अपने पति नक्सली हमले में खोए हैं. इन दोनों को नक्सलियों ने खून के आंसू रुलाए हैं. साल 2013 जगह झीरम घाटी और छत्तीसगढ़ का कभी न भुलाया जाने वाला बड़ा नक्सली हमला. इस हमले में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा शहीद हो गए.

महेंद्र कर्मा नक्सलियों की हिट लिस्ट में थे. परिवर्तन यात्रा जब झीरम से होकर गुजर रही थी , तभी नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया. हथियारबंद नक्सलियों के जाल में कांग्रेस का पूरा नेतृत्व फंस गया. कांग्रेस ने अपने कई दिग्गज नेता इस हमले में खोए थे. विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार और इन्हीं में शामिल थे महेंद्र कर्मा, जिनकी मौत का जश्न नक्सलियों ने मनाया था. देवती कर्मा बस्तर टाइगर की पत्नी हैं और उनके स्वर्गवासी होने के बाद से दंतेवाड़ा सीट से चुनाव लड़ रही हैं.

  • साल 2013 में देवती कर्मा दंतेवाड़ा से विधायक निर्वाचित हुई थीं.
  • 2018 में फिर उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया लेकिन वे भाजपा के भीमा मंडावी से हार गईं.
  • 2019 में हो रहे इस उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर देवती कर्मा पर विश्वास जताया है.
  • अब ओजस्वी मंडावी की बात करते हैं. ओजस्वी, भीमा मंडावी की पत्नी हैं. वही भीमा मंडावी, जिन्होंने इस बार के चुनाव में देवती कर्मा को हराया था. भीमा मंडावी की कहानी भी महेंद्र कर्मा जैसी ही है. चुनाव प्रचार से लौट रहे भीमा मंडावी पर भी नक्सलियों ने हमला किया और 4 PSO समेत उन्होंने अपनी जान गंवा दी. ओजस्वी रोती रहीं लेकिन उसी बीच उनकी एक सशक्त तस्वीर सामने आई थी, जिसमें पति को खोने के बाद भी वे मतदान करने परिवार के साथ पहुंची थी.

ओजस्वी तो आज भी कहती हैं कि वे वहां से चुनाव प्रचार का आगाज करेंगी, जहां उनके पति की शहादत हुई थी.
नक्सलियों ने जब-जब राज्य में चुनाव हुए, तब-तब तांडव किया है. चाहे वो 2013 का विधानसभा चुनाव रहा हो या 2018 का. देवती और ओजस्वी दोनों हमलों की गवाह हैं.

रायपुर : देवती कर्मा और ओजस्वी मंडावी, ये वो दो चेहरे हैं जिनपर कांग्रेस और भाजपा ने दंतेवाड़ा में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए दांव खेला है. क्या समानता है इन दोनों महिलाओं में इसके सिवा कि ये दोनों ही इस उपचुनाव के लिए अलग-अलग दलों की उम्मीदवार हैं. हम बताते हैं कि इन दोनों महिलाओं में इसके अलावा क्या समानता है.

पैकेज

देवती और ओजस्वी दोनों ने अपने-अपने पति नक्सली हमले में खोए हैं. इन दोनों को नक्सलियों ने खून के आंसू रुलाए हैं. साल 2013 जगह झीरम घाटी और छत्तीसगढ़ का कभी न भुलाया जाने वाला बड़ा नक्सली हमला. इस हमले में बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा शहीद हो गए.

महेंद्र कर्मा नक्सलियों की हिट लिस्ट में थे. परिवर्तन यात्रा जब झीरम से होकर गुजर रही थी , तभी नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया. हथियारबंद नक्सलियों के जाल में कांग्रेस का पूरा नेतृत्व फंस गया. कांग्रेस ने अपने कई दिग्गज नेता इस हमले में खोए थे. विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार और इन्हीं में शामिल थे महेंद्र कर्मा, जिनकी मौत का जश्न नक्सलियों ने मनाया था. देवती कर्मा बस्तर टाइगर की पत्नी हैं और उनके स्वर्गवासी होने के बाद से दंतेवाड़ा सीट से चुनाव लड़ रही हैं.

  • साल 2013 में देवती कर्मा दंतेवाड़ा से विधायक निर्वाचित हुई थीं.
  • 2018 में फिर उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया लेकिन वे भाजपा के भीमा मंडावी से हार गईं.
  • 2019 में हो रहे इस उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर देवती कर्मा पर विश्वास जताया है.
  • अब ओजस्वी मंडावी की बात करते हैं. ओजस्वी, भीमा मंडावी की पत्नी हैं. वही भीमा मंडावी, जिन्होंने इस बार के चुनाव में देवती कर्मा को हराया था. भीमा मंडावी की कहानी भी महेंद्र कर्मा जैसी ही है. चुनाव प्रचार से लौट रहे भीमा मंडावी पर भी नक्सलियों ने हमला किया और 4 PSO समेत उन्होंने अपनी जान गंवा दी. ओजस्वी रोती रहीं लेकिन उसी बीच उनकी एक सशक्त तस्वीर सामने आई थी, जिसमें पति को खोने के बाद भी वे मतदान करने परिवार के साथ पहुंची थी.

ओजस्वी तो आज भी कहती हैं कि वे वहां से चुनाव प्रचार का आगाज करेंगी, जहां उनके पति की शहादत हुई थी.
नक्सलियों ने जब-जब राज्य में चुनाव हुए, तब-तब तांडव किया है. चाहे वो 2013 का विधानसभा चुनाव रहा हो या 2018 का. देवती और ओजस्वी दोनों हमलों की गवाह हैं.

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ojaswi mandawi and devti karma


Conclusion:
Last Updated : Sep 22, 2019, 6:50 PM IST
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