रायपुर: आज के दौर में लगभग सभी लोगों के पास घर में टू व्हीलर और फोर व्हीलर होता है. 18 साल होते ही पैरेंट्स अपने बच्चों को टू व्हीलर दे देते हैं. लेकिन ड्राइविंग का एक्सपीरियंस न होने के कारण छोटे बच्चे भी सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं. जिले में कई ड्राइविंग स्कूल संचालित किए जा रहे हैं, जो कुछ ही दिनों में आपको टू व्हीलर और फोर व्हीलर चलाना सिखा देते हैं.
ड्राइविंग सिखने में 3000 से 7000 रुपये तक का आता है खर्च
ईटीवी भारत ने कुछ ड्राइविंग स्कूल ट्रेनर्स और संचालकों से बात की और जाना कि ड्राइविंग सिखाते समय वे किस तरह की सावधानी रखते हैं. जिले में संचालित ऐसे कई ड्राइविंग स्कूल हैं, जो 15 से 20 दिनों में ड्राइविंग सिखाते हैं. इनकी अलग-अलग फीस होती है. अमूमन ड्राइविंग पूरी तरह से सीखने में आपके 3000 से 7000 रुपये खर्च हो जाएंगे. ड्राइविंग सीख लेने के बाद स्कूल की ओर से सर्टिफिकेट भी दिया जाता है.
सबसे पहले दी जाती है थ्योरी क्लास
ड्राइविंग स्कूल ट्रेनर के मुताबिक, 21 दिन के ड्राइविंग कोर्स में सबसे पहले थ्योरी क्लास दी जाती है. थ्योरी क्लास में रोड साइंस, धाराएं और ट्रैफिक नियम के बारे में जानकारी दी जाती है. इसके बाद स्टूडेंट्स को गाड़ियों के पार्ट्स की जानकारी दी जाती है. इसके बाद एक रिटन एग्जाम लिया जाता है. एग्जाम के बाद 5 दिन तक कार चलाने की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाती है. पहले 3 दिन ब्रेक लगाना सिखाया जाता है. उसके बाद आखिरी के 10 दिन ऑन रोड प्रैक्टिकल करवाया जाता है. सबसे अंतिम फेज में फॉग, बारिश और रात में ड्राइव करना सिखाया जाता है.
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पिछले 30 साल से महिला सिखा रहीं लोगों को कार चलाना
विद्या ड्राइविंग स्कूल इंस्ट्रक्टर सुखिया वर्मा ने बताया कि वह पिछले 30 सालों से लोगों को ड्राइविंग करना सिखा रही हैं. शुरू में वह लोगों को उन्हीं के कार से ड्राइविंग सिखाती थी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने बड़ा ड्राइविंग स्कूल बनाया. सुखिया वर्मा ने बताया कि उनके यहां 15 दिन का कोर्स होता है और इसके लिए 3000 रुपये चार्ज किए जाते हैं.
गाड़ी चलाना सीखते वक्त ड्राइविंग इंस्पेक्टर करता है गाइड
वहीं ड्राइविंग सीखने आए लोगों ने बताया कि सबसे पहले उनका आईडी प्रूफ, आधार कार्ड, फोटो और लर्निंग लाइसेंस मांगा जाता है. इसके बाद ड्राइविंग सिखाई जाती है. इस दौरान इंस्ट्रक्टर भी उनके साथ मौजूद रहते हैं, ताकि सही तरीके से गाइड कर सकें.