रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona in chhattisgarh) के बाद अब पॉजिटिव मरीजों की संख्या (number of corona positive patients) लगातार कम हो रही है. कोरोना के चलते मजदूर वापस अपने राज्य लौट आए थे. अब संक्रमण कम के बाद मजदूरों का पलायन (labour migrating to other states) फिर से शुरू हो चुका है. महामारी के खौफ के कारण मजदूर काम छोड़कर घर तो लौट आए थे. लेकिन पेट की भूख और घर की जरूरतों ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था. लिहाजा एक बार फिर मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे राज्य जा रहे हैं. ETV भारत की टीम रायपुर रेलवे स्टेशन पहुंची. जहां मजदूरों कई मजदूर दूसरे राज्य जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहे थे.
मजदूरों ने ETV भारत को बताया कि देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के आंकड़े को देखते हुए हम पैदल, बस, ट्रक या जिसे जो साधन मिला उसके जरिए हजारों किलोमीटर की यात्रा कर वापस अपने घर लौटे थे. लेकिन बेरोजगारी (Unemployment) ने वापस हमें दूसरे राज्य जाकर काम करने के लिए मजबूर कर दिया है. दूसरे राज्यों से वापस लौटे मजदूर ये सोचकर अपने राज्य वापस आए थे कि मजदूरी और खेती किसानी कर घर चलाने लायक कुछ काम घर पर रहकर ही कर लेंगे.
पेट पालने के लिए छोड़ा घर
श्रमिक दादू लाल का कहना है कि घर में दस लोग हैं लेकिन कमाने वाला कोई नहीं. उन्होंने बताया कि वे पहली बार घर से बाहर निकले हैं. माता-पिता हैं, पास में जमीन नहीं है. परिवार का पेट पालने के लिए उन्हें घर छोड़ना पड़ रहा है. दादू लाल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से दाने-दाने को मोहताज हो गए. भाई लाल बताते हैं कि उनके पास खेती-किसानी नहीं है. परिवार में माता-पिता, पत्नी और बच्चे हैं. भाई लाल बताते हैं कि वो पैदल लौटे थे लॉकडाउन होने के बाद लेकिन पेट के लिए उन्हें फिर लौटना पड़ रहा है.
राजनांदगांव के खैरागढ़ में दूसरे राज्यों से लौट रहे मजदूर
मजदूरों में निराशा
कुछ ही महीनों में मजदूर हताश और लाचार हो चुके हैं. काम नहीं मिलने से परेशान मजदूर अब वापस पलायन (migrant labour) कर रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार उनकी रोजी-रोटी के लिए कुछ नहीं कर पाई है. दोनों ने किसानों और मजदूरों को ठगने का ही काम किया है. लिहाजा घर चलाने के लिए अब वापस हमें अपने माता-पिता, बीवी-बच्चों को छोड़कर जाना पड़ रहा है.
पलायन को मजबूर मजदूर
पिछले साल कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा (lockdown announcement) कर दी गई थी. 25 मार्च से 14 अप्रैल तक पहला लॉकडाउन किया गया था. जिसके बाद लगातार लॉकडाउन की मियाद बढ़ते गई. इस दौरान हजारों की संख्या में मजदूर जो दूसरे राज्य में काम कर रहे थे, वो वापस अपने राज्य हजारो किलोमीटर यात्रा कर लौटे थे. ये सोचकर कि बीवी बच्चों के साथ अपने घर में रहकर ही कुछ न कुछ काम करेंगे. लेकिन कहीं कुछ काम ने मिलने की वजह से मजदूर फिर दूसरे राज्य जाने को मजबूर हो गए हैं.