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Vastu Shastra: घर का द्वार ही बदल सकता है आपका भाग्य, जानिए क्या कहता है वास्तु शास्त्र - मुख्यद्वार की दिशा

Vastu Shastra मकान के मुख्यद्वार की दिशा आपका भाग्य बदल सकती है. राशि और कुंडली के अनुसार तय किया जाता है कि किस राशि के जातक के घर का मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाहिए. सही दिशा होने पर उसके वांछित लाभ भी जातक को मिलते हैं.

Luck will change from main door of house
घर के मुख्यद्वार से बदलेगा भाग्य
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Published : Jul 28, 2023, 5:35 PM IST

डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर

रायपुर: कुंडली में नवम भाव का स्वामी जिस राशि में बैठता है, उस राशि की दिशा में भवन का मुख्य द्वार होना चाहिए. ऐसा होने से जातक को सुख मिलता है. साथ ही उस मकान से जातक को लाभ मिलता है और वो मकान जातक के लिए भाग्यवर्धक होता है. जातक उन्नति की ओर अग्रसर होता है. कुल 12 राशियों में से मेष, सिंह और धनु पूर्व दिशा के माने जाते हैं. वृषभ, कन्या और मकर राशि की दिशा दक्षिण मानी गई है. मिथुन, तुला और कुंभ राशि पश्चिम दिशा के प्रतीक हैं. कर्क, वृश्चिक और मीन राशि उत्तर दिशा के प्रतीक है.

जानिए नवम भाव में बैठी राशि का महत्व: नवम भाव में जो राशि बैठी है, उसका स्वामी कौन है और वह किस राशि में बैठा है. यही स्थान और दिशा जातक के लिए फलदायी और भाग्यशाली होता है. साथ ही आर्थिक रूप से संपन्न करने वाला भी होता है. मानसिक शांति देने वाली और उसके सुखों में वृद्धि करने वाली होती है. अतः उस जातक को जिस दिशा में उसके भाग्य स्थान का स्वामी यानी कि नवम भाव का स्वामी जहां बैठा हो उस दिशा में ही उसके भाग्य में वृद्धि होगी. यहां पर यह भी ध्यान देना चाहिए कि नवमेष या भाग्येश जिस राशि में बैठा है, उस भिन्नाष्टक वर्ग में उसके कितने बिंदु हैं. जितने ज्यादा बिंदु होंगे उतना ही वह भवन उसके लिए फलदायी होगा.

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अगर जातक के भाग्य स्थान की राशि यदि वृषभ, कन्या या मकर है तो उसका स्वामी जिस राशि में बैठा हो उस राशि की दिशा में ही बना हुआ द्वार जातक के लिए भाग्यशाली एवं उन्नति कारक होगा. -डॉ. महेंद्र कुमार ठाकुर, वास्तुविद

घर के मुख्यद्वार से बदलेगा भाग्य: अगर राशि अनुसार सही दिशा में घर का मुख्य द्वार हो तो भाग्य का बदलना तय है. किसी जातक के भाग्य स्थान में जो राशि बैठी है, उस राशि का स्वामी जिस राशि में बैठा है. वही उसके भवन का मुख्य द्वार का स्थान है. यदि जातक के भाग्य स्थान का स्वामी मकर राशि है तो उसका स्वामी जिस राशि में बैठा है. उसी राशि के स्वामी की दिशा में उसका मुख्य द्वार होना चाहिए. यानी कि दक्षिण दिशा ही महत्वपूर्ण है. उसके लिए इन्हीं राशियों में उनके स्वामी बैठे हो तो यह और भी श्रेष्ठ है. इसी तरह भाग्य भाव के स्वामी मिथुन, तुला या कुंभ में बैठे हो तो उनके लिए पश्चिम द्वार का भवन ही श्रेष्ठ होगा. जिस जातक के भाग्येश मेष, सिंह और धनु राशि में बैठे हुए हो, उनके लिए पूर्व दिशा का द्वार श्रेष्ठ है. कर्क, वृश्चिक, मीन राशि में यदि जातक का भाग्य बैठा हो तो उनके लिए उत्तर दिशा का द्वार श्रेष्ठ रहेगा.

डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर

रायपुर: कुंडली में नवम भाव का स्वामी जिस राशि में बैठता है, उस राशि की दिशा में भवन का मुख्य द्वार होना चाहिए. ऐसा होने से जातक को सुख मिलता है. साथ ही उस मकान से जातक को लाभ मिलता है और वो मकान जातक के लिए भाग्यवर्धक होता है. जातक उन्नति की ओर अग्रसर होता है. कुल 12 राशियों में से मेष, सिंह और धनु पूर्व दिशा के माने जाते हैं. वृषभ, कन्या और मकर राशि की दिशा दक्षिण मानी गई है. मिथुन, तुला और कुंभ राशि पश्चिम दिशा के प्रतीक हैं. कर्क, वृश्चिक और मीन राशि उत्तर दिशा के प्रतीक है.

जानिए नवम भाव में बैठी राशि का महत्व: नवम भाव में जो राशि बैठी है, उसका स्वामी कौन है और वह किस राशि में बैठा है. यही स्थान और दिशा जातक के लिए फलदायी और भाग्यशाली होता है. साथ ही आर्थिक रूप से संपन्न करने वाला भी होता है. मानसिक शांति देने वाली और उसके सुखों में वृद्धि करने वाली होती है. अतः उस जातक को जिस दिशा में उसके भाग्य स्थान का स्वामी यानी कि नवम भाव का स्वामी जहां बैठा हो उस दिशा में ही उसके भाग्य में वृद्धि होगी. यहां पर यह भी ध्यान देना चाहिए कि नवमेष या भाग्येश जिस राशि में बैठा है, उस भिन्नाष्टक वर्ग में उसके कितने बिंदु हैं. जितने ज्यादा बिंदु होंगे उतना ही वह भवन उसके लिए फलदायी होगा.

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अगर जातक के भाग्य स्थान की राशि यदि वृषभ, कन्या या मकर है तो उसका स्वामी जिस राशि में बैठा हो उस राशि की दिशा में ही बना हुआ द्वार जातक के लिए भाग्यशाली एवं उन्नति कारक होगा. -डॉ. महेंद्र कुमार ठाकुर, वास्तुविद

घर के मुख्यद्वार से बदलेगा भाग्य: अगर राशि अनुसार सही दिशा में घर का मुख्य द्वार हो तो भाग्य का बदलना तय है. किसी जातक के भाग्य स्थान में जो राशि बैठी है, उस राशि का स्वामी जिस राशि में बैठा है. वही उसके भवन का मुख्य द्वार का स्थान है. यदि जातक के भाग्य स्थान का स्वामी मकर राशि है तो उसका स्वामी जिस राशि में बैठा है. उसी राशि के स्वामी की दिशा में उसका मुख्य द्वार होना चाहिए. यानी कि दक्षिण दिशा ही महत्वपूर्ण है. उसके लिए इन्हीं राशियों में उनके स्वामी बैठे हो तो यह और भी श्रेष्ठ है. इसी तरह भाग्य भाव के स्वामी मिथुन, तुला या कुंभ में बैठे हो तो उनके लिए पश्चिम द्वार का भवन ही श्रेष्ठ होगा. जिस जातक के भाग्येश मेष, सिंह और धनु राशि में बैठे हुए हो, उनके लिए पूर्व दिशा का द्वार श्रेष्ठ है. कर्क, वृश्चिक, मीन राशि में यदि जातक का भाग्य बैठा हो तो उनके लिए उत्तर दिशा का द्वार श्रेष्ठ रहेगा.

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