ETV Bharat / state

Ekadashi vrat: एकादशी व्रत करते समय क्या सावधानी बरतें, जानिए

अक्सर यह देखा जाता है कि, बहुत लोग एकादशी व्रत पूरे नियम कायदे से करते हैं. लेकिन कुछ गलतियों की वजह से उनके प्रभाव में कमी देखने को मिलती है. जो परिणाम उन्हें चाहिए होते हैं, वह मनोरथ पूर्ण नहीं हो पाते हैं.

Ekadashi vrat
एकादशी व्रत
author img

By

Published : Apr 15, 2023, 3:34 PM IST

एकादशी व्रत

रायपुर: एकादशी व्रत का आगर पूरा लाभ लेना चाहते हैं, तो कुछ सावधानियां आपको बरतनी होगी. एकादशी पर्व में सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सूर्योदय से पहले ही नहा कर भगवान का ध्यान करना चाहिए. सूर्योदय के पहले मनोयोग से ध्यान भी करना चाहिए. इसके साथ ही एकादशी व्रत के पूर्व दशमी के दिन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए. यह व्रत गुरुवार को भी करना चाहिए. जिससे कि मन में शुद्धता सादगी और दिव्यता बनी रहे. ब्रह्मचर्य व्रत से शक्तियों का जागरण होता है, मन और तन निर्मल रहता है.

सात्विक भोजन लें: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "कोई भी व्रत या उपवास से पहले और एक दिन बाद का खाना बिल्कुल सात्विक होना चाहिए. एकादशी के दिन फल फूल आदि का सेवन समुचित रूप से करना चाहिए. दिन भर शरीर को ऊर्जावान बनाए रखना चाहिए. भोजन में किसी चीज की अति नहीं होनी चाहिए. इससे भी मनोकामनाएं पूर्ण नहीं हो पाती है. एकादशी के व्रत में प्याज लहसुन पूरी तरह से वर्जित माने जाते हैं."



एकादशी के दिन बाल नहीं धोना चाहिए: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "इसी तरह से गुरुवार एकादशी के सुंदर संयोग में बाल नहीं धोने का भी विधान है. कई जातक गुरुवार एकादशी के दिन अपने बालों को धो लेते हैं. इससे बचना चाहिए अर्थात केश को नहीं धोना चाहिए. जब कभी भी व्रत किया जाए तो यह ध्यान रखना चाहिए की व्रत करते समय संकल्प जरूर लेना चाहिए. यह संकल्प विधि पूर्वक दोहराना चाहिए. इसे एकांत में अथवा मन ही मन दोहरा सकते हैं."


व्रत के बाद उद्यापन भी जरूरी: अनेक जातक लंबे समय तक श्री हरि विष्णु के लिए एकादशी का उपवास करते हैं, लेकिन वे उद्यापन नहीं करवाते हैं. इससे भी इस व्रत की महिमा का प्रभाव न्यून हो जाता है. जब भी इस व्रत को करें इस व्रत का उद्यापन जरूर कराना चाहिए. सामर्थ यथाशक्ति और अपनी इच्छा अनुसार, श्रद्धा अनुसार, उदारता के साथ व्रत का उद्यापन करना चाहिए. व्रत का उद्यापन नहीं कराने से मनोरथ पूर्ण नहीं हो पाते.



पारण भी है जरूरी: एकादशी व्रत का दूसरे दिन यानी द्वादशी के दिन पारण भी करना चाहिए. यह पारण विधि पूर्वक और शुद्ध मनोयोग से करना चाहिए. पारण नहीं करने पर भी कई बार परिणामों में न्यूनता देखने को मिलती है. एकादशी के व्रत में मिष्ठान अथवा मीठे फलों का निश्चित तौर पर सेवन करना चाहिए. पारण के पूर्व सभी भोग्य पदार्थों को श्रद्धा के साथ श्री हरि विष्णु भगवान को अर्पित करना चाहिए. घर में बनी हुई संपूर्ण भोजन में से एक थाली में सभी पदार्थ को थोड़ा-थोड़ा निकालकर श्री हरि विष्णु को सुंदर भावना के साथ भोग लगाना चाहिए.

यह भी पढ़ें: Horoscope 15 April 2023 : कैसा रहेगा आज का दिन, जानिए अपना आज का राशिफल


छोटी छोटी सावधानियों के साथ आस्थापूर्वक एकादशी का व्रत करना चाहिए. कई बार इन छोटी-छोटी बातों में लापरवाही हो जाती है. इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए. गुरुवार एकादशी के दिन यथासंभव पीले, हल्के पीले कपड़ों को धारण करना चाहिए. गुरुवार एकादशी के दिन पीली धोती, पीले कुर्ते और महिलाओं को पीली साड़ी गरिमामय ढंग से पहननी चाहिए.

एकादशी व्रत

रायपुर: एकादशी व्रत का आगर पूरा लाभ लेना चाहते हैं, तो कुछ सावधानियां आपको बरतनी होगी. एकादशी पर्व में सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सूर्योदय से पहले ही नहा कर भगवान का ध्यान करना चाहिए. सूर्योदय के पहले मनोयोग से ध्यान भी करना चाहिए. इसके साथ ही एकादशी व्रत के पूर्व दशमी के दिन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए. यह व्रत गुरुवार को भी करना चाहिए. जिससे कि मन में शुद्धता सादगी और दिव्यता बनी रहे. ब्रह्मचर्य व्रत से शक्तियों का जागरण होता है, मन और तन निर्मल रहता है.

सात्विक भोजन लें: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "कोई भी व्रत या उपवास से पहले और एक दिन बाद का खाना बिल्कुल सात्विक होना चाहिए. एकादशी के दिन फल फूल आदि का सेवन समुचित रूप से करना चाहिए. दिन भर शरीर को ऊर्जावान बनाए रखना चाहिए. भोजन में किसी चीज की अति नहीं होनी चाहिए. इससे भी मनोकामनाएं पूर्ण नहीं हो पाती है. एकादशी के व्रत में प्याज लहसुन पूरी तरह से वर्जित माने जाते हैं."



एकादशी के दिन बाल नहीं धोना चाहिए: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "इसी तरह से गुरुवार एकादशी के सुंदर संयोग में बाल नहीं धोने का भी विधान है. कई जातक गुरुवार एकादशी के दिन अपने बालों को धो लेते हैं. इससे बचना चाहिए अर्थात केश को नहीं धोना चाहिए. जब कभी भी व्रत किया जाए तो यह ध्यान रखना चाहिए की व्रत करते समय संकल्प जरूर लेना चाहिए. यह संकल्प विधि पूर्वक दोहराना चाहिए. इसे एकांत में अथवा मन ही मन दोहरा सकते हैं."


व्रत के बाद उद्यापन भी जरूरी: अनेक जातक लंबे समय तक श्री हरि विष्णु के लिए एकादशी का उपवास करते हैं, लेकिन वे उद्यापन नहीं करवाते हैं. इससे भी इस व्रत की महिमा का प्रभाव न्यून हो जाता है. जब भी इस व्रत को करें इस व्रत का उद्यापन जरूर कराना चाहिए. सामर्थ यथाशक्ति और अपनी इच्छा अनुसार, श्रद्धा अनुसार, उदारता के साथ व्रत का उद्यापन करना चाहिए. व्रत का उद्यापन नहीं कराने से मनोरथ पूर्ण नहीं हो पाते.



पारण भी है जरूरी: एकादशी व्रत का दूसरे दिन यानी द्वादशी के दिन पारण भी करना चाहिए. यह पारण विधि पूर्वक और शुद्ध मनोयोग से करना चाहिए. पारण नहीं करने पर भी कई बार परिणामों में न्यूनता देखने को मिलती है. एकादशी के व्रत में मिष्ठान अथवा मीठे फलों का निश्चित तौर पर सेवन करना चाहिए. पारण के पूर्व सभी भोग्य पदार्थों को श्रद्धा के साथ श्री हरि विष्णु भगवान को अर्पित करना चाहिए. घर में बनी हुई संपूर्ण भोजन में से एक थाली में सभी पदार्थ को थोड़ा-थोड़ा निकालकर श्री हरि विष्णु को सुंदर भावना के साथ भोग लगाना चाहिए.

यह भी पढ़ें: Horoscope 15 April 2023 : कैसा रहेगा आज का दिन, जानिए अपना आज का राशिफल


छोटी छोटी सावधानियों के साथ आस्थापूर्वक एकादशी का व्रत करना चाहिए. कई बार इन छोटी-छोटी बातों में लापरवाही हो जाती है. इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए. गुरुवार एकादशी के दिन यथासंभव पीले, हल्के पीले कपड़ों को धारण करना चाहिए. गुरुवार एकादशी के दिन पीली धोती, पीले कुर्ते और महिलाओं को पीली साड़ी गरिमामय ढंग से पहननी चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.