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गुरू पूर्णिमा: 'ऑनलाइन गुरू मंत्र पासवर्ड के साथ ही दें'

इस बार गुरू पूर्णिमा 24 जुलाई को है. गुरू पूर्णिमा (guru poornima) के दिन व्यास पूजा की जाती है. इस दिन गुरू पूजा के साथ गुरू मंत्र देने का और नए शिष्यों को दीक्षित करने का विशेष महत्व रहता है.

Know special things about Guru Purnima
गुरू पूर्णिमा के बारे में जानिए खास बात
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Published : Jul 14, 2021, 2:09 PM IST

Updated : Jul 23, 2021, 11:59 AM IST

रायपुर: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की गुरू पूर्णिमा इस बार 24 जुलाई (guru purnima) को है. इस दिन गुरू पूर्णिमा धूमधाम से मनाई जाएगी. गुरू पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा की जाती है. संन्यासियों का चतुर्मास इस दिन से आरंभ होता है और गुरू दीक्षा गुरू प्रदान करते हैं. गुरू की शरण में शिष्य जाते हैं, उनका आदर सम्मान करते हैं और यथाशक्ति उन्हें भेंट प्रदान करते हैं. गुरू पूर्णिमा पर गुरू पूजा के साथ गुरू मंत्र देने का और नए शिष्यों को दीक्षित करने का विशेष महत्व रहता है.

गुरू पूर्णिमा के बारे में जानिए खास बात

ऑनलाइन भी दिया जा सकता है गुरू मंत्र

कोरोना काल में गुरू के सानिध्य में उपस्थित ना हो पाने पर उनसे ऑनलाइन संपर्क भी किया जा सकता है. गुरू पूजा के साथ उनके वचनों को सुनने से भी उनकी साधना, आराधना और ईश्वर मार्ग में आगे बढ़ने में सहायता मिलती है. बदलती परिस्थितियों में ऑनलाइन गुरू मंत्र देने का भी चलन सुनने में आ रहा है. गुरू मंत्र देने से पहले उन्हें ये सुनिश्चित करना होता है कि उनकी परंपरा योग्य हाथों में योग्य शिष्यों के पास ही रहे, इसलिए गुरू मंत्र को कान में फूंककर देने का प्रावधान सनातन परंपरा में है.

Sawan: विशेष प्रभाव देने वाला रहेगा इस साल सावन का महीना, परेशानियों से चाहते हैं मुक्ति तो कर लें ये उपाय

गुरू मंत्र का उच्चारण जोर से न करें


लेकिन अब ऑनलाइन परिस्थितियों में यदि गुरु मंत्र (guru mantra) देना ही पड़े, तो गुरू को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह मंत्र शिष्य तक ही पहुंचे, किसी दूसरे को इसकी जानकारी ना हो. इसके लिए विश्वस्त ऑनलाइन माध्यमों के द्वारा ही पूरी गोपनीयता के साथ गुरू मंत्र दिया जाना चाहिए. ज्योतिषाचार्य डॉ अरुणेश कुमार शर्मा का कहना है कि गुरू मंत्र वैदिक परंपरा का अभिन्न संवाद माना जाता है. इसमें गुरू-शिष्य के बीच गुरू मंत्र के दौरान इसे किसी दूसरे को नहीं सुनना चाहिए. मंत्र गुरू परंपरा का मूल है. मंत्र आधा अक्षर से लेकर कितने भी बड़े हो सकते हैं. गुरू मंत्र का जाप कभी भी उच्चारण के साथ नहीं किया जा सकता, इसका स्मरण होना चाहिए.

रायपुर: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की गुरू पूर्णिमा इस बार 24 जुलाई (guru purnima) को है. इस दिन गुरू पूर्णिमा धूमधाम से मनाई जाएगी. गुरू पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा की जाती है. संन्यासियों का चतुर्मास इस दिन से आरंभ होता है और गुरू दीक्षा गुरू प्रदान करते हैं. गुरू की शरण में शिष्य जाते हैं, उनका आदर सम्मान करते हैं और यथाशक्ति उन्हें भेंट प्रदान करते हैं. गुरू पूर्णिमा पर गुरू पूजा के साथ गुरू मंत्र देने का और नए शिष्यों को दीक्षित करने का विशेष महत्व रहता है.

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ऑनलाइन भी दिया जा सकता है गुरू मंत्र

कोरोना काल में गुरू के सानिध्य में उपस्थित ना हो पाने पर उनसे ऑनलाइन संपर्क भी किया जा सकता है. गुरू पूजा के साथ उनके वचनों को सुनने से भी उनकी साधना, आराधना और ईश्वर मार्ग में आगे बढ़ने में सहायता मिलती है. बदलती परिस्थितियों में ऑनलाइन गुरू मंत्र देने का भी चलन सुनने में आ रहा है. गुरू मंत्र देने से पहले उन्हें ये सुनिश्चित करना होता है कि उनकी परंपरा योग्य हाथों में योग्य शिष्यों के पास ही रहे, इसलिए गुरू मंत्र को कान में फूंककर देने का प्रावधान सनातन परंपरा में है.

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गुरू मंत्र का उच्चारण जोर से न करें


लेकिन अब ऑनलाइन परिस्थितियों में यदि गुरु मंत्र (guru mantra) देना ही पड़े, तो गुरू को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह मंत्र शिष्य तक ही पहुंचे, किसी दूसरे को इसकी जानकारी ना हो. इसके लिए विश्वस्त ऑनलाइन माध्यमों के द्वारा ही पूरी गोपनीयता के साथ गुरू मंत्र दिया जाना चाहिए. ज्योतिषाचार्य डॉ अरुणेश कुमार शर्मा का कहना है कि गुरू मंत्र वैदिक परंपरा का अभिन्न संवाद माना जाता है. इसमें गुरू-शिष्य के बीच गुरू मंत्र के दौरान इसे किसी दूसरे को नहीं सुनना चाहिए. मंत्र गुरू परंपरा का मूल है. मंत्र आधा अक्षर से लेकर कितने भी बड़े हो सकते हैं. गुरू मंत्र का जाप कभी भी उच्चारण के साथ नहीं किया जा सकता, इसका स्मरण होना चाहिए.

Last Updated : Jul 23, 2021, 11:59 AM IST
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