कोरोना काल में बढ़ी मायोपिया बीमारी, जाने क्या है ये बीमारी और इससे बचने के तरीके - छत्तीसगढ़ लेटेस्ट न्यूज
कोरोना के दौर में पिछले डेढ़ साल से बच्चे घर में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. इस दौरान ज्यादा देर तक मोबाइल और कंप्यूटर के सामने बैठे रहने से बच्चों में मायोपिया बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है. नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रीति गुप्ता (Ophthalmologist Preeti Gupta) ने ETV भारत से मायोपिया बीमारी को लेकर चर्चा की और उससे बचने के तरीके बताएं.
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रायपुर: कोरोना काल में कोरोना के साथ-साथ इसके साइड इफेक्ट भी देखने को मिल रहे हैं. कई सारी बीमारियां फैल रही हैं. जिसमें से एक आंख से संबंधित मायोपिया बीमारी (Myopia Disease) बच्चों में तेजी से फैल रही है. पिछले डेढ़ साल से बच्चे घरों में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. जिसके कारण बच्चों में मायोपिया नाम की बीमारी देखने को मिल रही है. मोबाइल और कंप्यूटर से निकलने वाली इंफ्रारेड लाइट आंखों को नुकसान पहुंचाती है. जिससे बच्चों की आंखों को नुकसान पहुंच रहा है.
मायोपिया बीमारी मामले में नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रीति गुप्ता (Ophthalmologist Preeti Gupta) ने बताया कि आजकल बच्चे कंप्यूटर और मोबाइल का ज्यादा यूज कर रहे हैं जिससे उन्हें प्रोब्लम हो रही है. मायोपिया एक दृष्टि दोष है, जिसमें दूरी की वस्तु कम दिखाई देती है. ये किसी उम्र में शुरू हो सकता है. बच्चों में यह बीमारी स्टार्ट होता है तो वह कंप्लेन करते हैं कि ब्लैकबोर्ड दिख नहीं रहा या बच्चे ठीक से कॉपी वर्क कर नहीं ला पाते हैं. डॉक्टर ने बताया कि किशोर अवस्था में भी मायोपिया हो सकता है. इसके फीचर आ सकते हैं. इसका चेकअप कर ग्लासेस दिया जाना चाहिए. बाद में चाहे तो मरीज या बच्चे कॉटेक्ट लेंस या रिफ्लेक्टिव सर्जरी करा सकते हैं.
आंखों में मायोपिया के लक्षण
आंखों में सूखापन, नजर धुंधली होना, आंखों से खून आना, दर्द होना, नींद न आना, दूर की चीजें साफ ना दिखाई देना मायोपिया के लक्ष्ण है.
आंखों की बीमारियों से किस तरह बचे
आंखों की बीमारियों से बचने के लिए आंखों का ख्याल रखना जरूरी है. हर 15 मिनट के बाद अपने आंखों को 10-15 बार ब्लिंक करें जिसे आंखें नहीं सूखेंगी. समय-समय पर आंखों को अच्छे से धोएं और एक चीज पर ज्यादा देर तक फोकस ना करें.