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जवाहर बाल मंच या राजनीति की पाठशाला : आरएसएस की राह चल बच्चों के सहारे चुनावी वैतरणी पार करेगी कांग्रेस!

7 से 18 साल के बच्चों को (Congress Targeting 7 to 18 Year Old) पार्टी की रीति-नीति और अपने नेताओं के इतिहास बताने को कांग्रेस ने जवाहर बाल मंच शुरू करने की योजना बनाई है. हालांकि आरएसएस ने इस जरूरत को बहुत पहले भांप लिया था और देशभर में सरस्वती शिशु मंदिर के नाम से शिक्षण संस्थान की शुरुआत भी कर दी थी.

Political parties targeting children in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में बच्चों को टारगेट कर रहे राजनीतिक दल
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Published : Jan 19, 2022, 8:03 PM IST

Updated : Jan 19, 2022, 8:20 PM IST

रायपुर : बच्चे कच्ची मिट्टी के माफिक होते हैं. उन्हें जिस सांचे में ढाला जाए, वैसे स्वरूप में ही वे ढल जाते हैं. उनका भविष्य बचपन में मिले संस्कार पर निर्भर करता है. इसीलिए तो कहा जाता है कि बचपन में मिले संस्कार की छाप बच्चों के मस्तिष्क से आसानी से नहीं मिटती. यही वजह है कि उम्र बढ़ने के बाद भी उन्हें बचपन में मिली शिक्षा और संस्कार याद रह जाते हैं.

छत्तीसगढ़ में बच्चों को टारगेट कर रहे राजनीतिक दल

समय रहते संघ ने भांप लिया था प्राथमिक शाला का महत्व...

शिक्षा नीति को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर बदस्तूर चलता रहा है. कभी विपक्ष में बैठी पार्टियां सत्ता पक्ष पर तो कभी सत्ता पक्ष की पार्टियां विपक्ष पर आरोप लगाती रहती हैं. दोनों, एक-दूसरे पर निशाना साधती रहती हैं कि उन्होंने अपनी पार्टी से संबंधित महापुरुषों की जीवनी या उनकी बातें स्कूलों के पाठ्यक्रम में जोड़ दी हैं. यहां बात अगर खुद को सामाजिक संगठन के रूप में प्रचारित करने वाली संस्था आरएसएस की करें तो इसने समय रहते 'राजनीति की पाठशाला' मतलब प्राथमिक शाला का महत्व समझ लिया था. आरएसएस ने भांप लिया था कि अगर प्राथमिक शाला से ही बच्चों को अपनी विचारधारा से जोड़ा जाए और संबंधित विषय उन्हें पढ़ाया जाए तो इसका दूरगामी लाभ होगा. कहीं-न-कहीं अब जवाहर बाल मंच (Jawahar Bal Manch) के माध्यम से कांग्रेस भी आरएसएस के रास्ते ही अपनी चुनावी नैया पार लगाने की कवायद में जुट गई है. कांग्रेस जवाहर बाल मंच का संचालन कर बच्चों को पार्टी की रीति-नीति और पार्टी से जुड़े नेताओं के बारे में जानकारी देगी.

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आरएसएस ने की थी कई शैक्षणिक संस्थानों की शुरुआत
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RRS) की स्थापना 27 सितंबर 1925 में हुई थी. इसके संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार थे. इसका मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है. इस संस्था का उद्देश्य भारतीय राष्ट्रवाद था. जबकि साल 2016 तक के उपलब्ध आंकड़ों की बात करें तो देश में इसके करीब 60 लाख के लगभग सदस्य हैं. वहीं इसकी करीब 60,000 शाखाएं देशभर में संचालित हैं. आरएसएस ने विद्या भारती से संबंद्ध सरस्वती शिशु मंदिर सहित कई अन्य शैक्षणिक संस्थानों की शुरुआत की. इनमें बच्चों को सामाजिक सरोकार से जुड़े इतिहास के साथ-साथ हिंदुत्व और संस्कार की भी शिक्षा दी जाती थी.


खुद को सामाजिक संगठन बताता है आरएसएस, सदस्य रखते हैं भाजपा से संबंध
कहने को तो आरएसएस खुद को सामाजिक संगठन बताता है, लेकिन इससे जुड़े सदस्य भाजपा से संबंध रखते हैं. आरएसएस द्वारा संचालित विद्या भारती के विद्यालयों को सरस्वती शिशु मंदिर एवं सरस्वती विद्या मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. संघ परिवार सरस्वती शिशु मंदिर की शिक्षा प्रणाली को अभिनव रूप में मानते हुए इसका प्रचार करता है. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है.

इतिहास की जानकारी देना मुख्य मकसद : मरकाम
हालांकि पहले ही भाजपा पर ऐसे आरोप लगते रहे कि वह आरएसएस के माध्यम से संचालित स्कूलों और शाखाओं में देश को तोड़ने की शिक्षा दे रही है. जवाहर बाल मंच के मुद्दे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम (Congress State President Mohan Markam) का कहना है कि यह कोई बीजेपी या कांग्रेस की पाठशाला वाली बात नहीं है. यहां लोगों और बच्चों को इतिहास की जानकारी देना हमारा मुख्य मकसद होगा. उन्होंने कहा कि अब तक जहां बच्चों को तोड़ने की शिक्षा दी जाती थी, वहीं हम इस अभियान के माध्यम से बच्चों को देश को जोड़ने की शिक्षा देंगे. बच्चों को बताएंगे कि आजादी में कांग्रेस का क्या योगदान था. आजादी के बाद कांग्रेस के किन-किन महापुरुषों ने क्या-क्या योगदान दिया.

मोहन मरकाम का भाजपा पर आरोप, बच्चों के दिमाग में डाली जा रही तोड़ने वाली विचारधारा


जनाधार खो रही कांग्रेस, इसीलिए अब बच्चों को कर रही टारगेट
वहीं कांग्रेस के जवाहर बाल मंच के मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव (BJP State Spokesperson Sanjay Srivastava) ने कड़ा प्रहार किया है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस अपना जनाधार खोती जा रही है, इसीलिए अब वह बच्चों को टारगेट कर रही है. इसकी निंदा होनी चाहिए. वैसे भी सामान्य तौर पर देश के संविधान के तहत 18 वर्ष से ऊपर के बच्चों को ऐसी जानकारी दी जाती है. जो बच्चे कम उम्र के हैं, उनको अपने राजनीतिक हित के लिए जवाहर बाल मंच के माध्यम से अपनी आइडियोलॉजी में प्रेरित करना कांग्रेस की ओछी मानसिकता को प्रदर्शित करता है.

लाठी भांजना सिखाकर बच्चों में हिंसक प्रवृत्ति पैदा कर रही भाजपा : सुशील
इधर, भाजपा के आरोपों पर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (State President of Congress Media Department Sushil Anand Shukla) ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि भाजपा और कांग्रेस के तरीकों में बड़ा अंतर है. भाजपा संघ की शाखाओं के माध्यम से देश की गंगा-जमुना तहजीब पर प्रहार करने की कोशिश कर रही है. भाजपा और आरएसएस ने आने वाली पीढ़ियों में विष भर दिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा बच्चों को लाठी भांजना सिखाकर उनमें हिंसक प्रवृत्ति पैदा कर रही है. भाजपा हिंदू-मुस्लिम में लड़ाई कराना चाहती है. लेकिन अब कांग्रेस उन बच्चों को देश के सही इतिहास की जानकारी देगी.


राजनीतिक दलों ने युवा विंग को मजबूत करने बना रखी है नर्सरी : रामअवतार
इस पूरे मामले पर शिक्षा और राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने कहा कि आज समय के साथ-साथ समाज में चुनौतियां बढ़ी हैं. इससे लड़ने के लिए बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना ज्यादा लाभदायक होगा. अभी राजनीतिक दल चाहे वह आरएसएस हो, भाजपा हो, कांग्रेस हो या फिर कम्युनिस्ट हो, हर कोई अपनी विचारधारा को अच्छा बताने के लिए बचपन से ही बच्चों के दिमाग में अपनी विचारधारा भरने की कोशिश कर रहे हैं. आज के बच्चे इन चीजों को समझते हैं. राजनीतिक दल अपनी सदस्यता बढ़ाने के लिए अपने युवा विंग को मजबूत करने के लिए जो नर्सरी बनाए हुए हैं, उसे अगर अच्छा करने की दिशा में काम करें तो ज्यादा फायदेमंद होगा.

जवाहर बाल मंच से फतह होगा कांग्रेस का मिशन 2023, कहीं यह संघ की शाखा का सियासी तोड़ तो नहीं !

साल 1952 में हुई थी प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना
देश में प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना साल 1952 (First Saraswati Shishu Mandir Established in 1952 In India) में हुई थी. इस सरस्वती शिशु मंदिर की आधारशिला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित पक्की बाग में 5 रुपये के मासिक किराए के भवन में रखी गई थी. फिर अलग-अलग राज्यों में सरस्वती शिशु मंदिर स्थापित होने लगे. देशभर में इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी और इसका संचालन अलग-अलग जगह अलग-अलग समितियां करने लगीं. इस विद्यालय ने साल 1977 में अखिल भारतीय स्वरूप ले लिया और दिल्ली में विद्या भारती संस्थान बनाया गया. इसके बाद सभी प्रदेश समितियां विद्या भारती से सम्बद्ध हो गईं.



छत्तीसगढ़ में साल 1990 में हुई विद्या भारती की स्थापना
छत्तीसगढ़ में विद्या भारती की स्थापना साल 1990 (Vidya Bharti Was Established in Chhattisgarh In 1990) में हुई. विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की क्षेत्रीय समिति के रूप में छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र का सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन है. विद्या भारती संघ परिवार का एक अंग है. विद्या भारती के तहत छत्तीसगढ़ में 1843 शिक्षण संस्थान संचालित हैं. विद्या भारती, छत्तीसगढ़ शिशु वाटिका, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक, वरिष्ठ माध्यमिक, संस्कार केंद्र, एकल विद्यालय, पूर्ण एवं अर्ध आवासीय विद्यालय और महाविद्यालयों के 2,77,042 छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रही है.
वहीं सरस्वती शिक्षा संस्थान के तहत 755 शिक्षण संस्थान संचालित हैं. सरस्वती शिक्षा संस्थान, शिशु वाटिका, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक, वरिष्ठ माध्यमिक, संस्कार केंद्र, एकल विद्यालयों, पूर्ण एवं अर्ध आवासीय विद्यालय और महाविद्यालयों के 1,33,511 छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहा है. यह सभी आरएसएस से जुड़े संस्थान हैं.


अब 7 से 18 साल के बच्चों को पार्टी की रीति-नीति समझाएगी कांग्रेस
अब बात करते हैं कांग्रेस की. हालांकि कांग्रेस ने आरएसएस की तर्ज पर देश में स्कूल तो नहीं खोले, लेकिन अब बच्चों को टारगेट करते हुए उन्हें पार्टी की रीति-नीति और पार्टी के नेताओं सहित अन्य जानकारी देने की जरूरी योजना बनाई है. कांग्रेस एक मिशन चला रही है, जिसे जवाहर बाल मंच नाम दिया है. इस जवाहर बाल मंच के माध्यम से कांग्रेसी 7 साल से 18 साल तक के बच्चों के दिमाग में अपनी पार्टी की रीति-नीति और महापुरुषों से संबंधित जानकारी और इतिहास की जानकारी देंगे. अब देखना यह होगा कि बच्चों के दिमाग में राजनीतिक गतिविधियां डालने में कौन सी पार्टी पास होती है और कौन सी फेल.

रायपुर : बच्चे कच्ची मिट्टी के माफिक होते हैं. उन्हें जिस सांचे में ढाला जाए, वैसे स्वरूप में ही वे ढल जाते हैं. उनका भविष्य बचपन में मिले संस्कार पर निर्भर करता है. इसीलिए तो कहा जाता है कि बचपन में मिले संस्कार की छाप बच्चों के मस्तिष्क से आसानी से नहीं मिटती. यही वजह है कि उम्र बढ़ने के बाद भी उन्हें बचपन में मिली शिक्षा और संस्कार याद रह जाते हैं.

छत्तीसगढ़ में बच्चों को टारगेट कर रहे राजनीतिक दल

समय रहते संघ ने भांप लिया था प्राथमिक शाला का महत्व...

शिक्षा नीति को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर बदस्तूर चलता रहा है. कभी विपक्ष में बैठी पार्टियां सत्ता पक्ष पर तो कभी सत्ता पक्ष की पार्टियां विपक्ष पर आरोप लगाती रहती हैं. दोनों, एक-दूसरे पर निशाना साधती रहती हैं कि उन्होंने अपनी पार्टी से संबंधित महापुरुषों की जीवनी या उनकी बातें स्कूलों के पाठ्यक्रम में जोड़ दी हैं. यहां बात अगर खुद को सामाजिक संगठन के रूप में प्रचारित करने वाली संस्था आरएसएस की करें तो इसने समय रहते 'राजनीति की पाठशाला' मतलब प्राथमिक शाला का महत्व समझ लिया था. आरएसएस ने भांप लिया था कि अगर प्राथमिक शाला से ही बच्चों को अपनी विचारधारा से जोड़ा जाए और संबंधित विषय उन्हें पढ़ाया जाए तो इसका दूरगामी लाभ होगा. कहीं-न-कहीं अब जवाहर बाल मंच (Jawahar Bal Manch) के माध्यम से कांग्रेस भी आरएसएस के रास्ते ही अपनी चुनावी नैया पार लगाने की कवायद में जुट गई है. कांग्रेस जवाहर बाल मंच का संचालन कर बच्चों को पार्टी की रीति-नीति और पार्टी से जुड़े नेताओं के बारे में जानकारी देगी.

राहुल और सोनिया गांधी से मिले सीएम भूपेश बघेल, कांग्रेस शासित राज्यों में लागू होगा छत्तीसगढ़ मॉडल!

आरएसएस ने की थी कई शैक्षणिक संस्थानों की शुरुआत
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RRS) की स्थापना 27 सितंबर 1925 में हुई थी. इसके संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार थे. इसका मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है. इस संस्था का उद्देश्य भारतीय राष्ट्रवाद था. जबकि साल 2016 तक के उपलब्ध आंकड़ों की बात करें तो देश में इसके करीब 60 लाख के लगभग सदस्य हैं. वहीं इसकी करीब 60,000 शाखाएं देशभर में संचालित हैं. आरएसएस ने विद्या भारती से संबंद्ध सरस्वती शिशु मंदिर सहित कई अन्य शैक्षणिक संस्थानों की शुरुआत की. इनमें बच्चों को सामाजिक सरोकार से जुड़े इतिहास के साथ-साथ हिंदुत्व और संस्कार की भी शिक्षा दी जाती थी.


खुद को सामाजिक संगठन बताता है आरएसएस, सदस्य रखते हैं भाजपा से संबंध
कहने को तो आरएसएस खुद को सामाजिक संगठन बताता है, लेकिन इससे जुड़े सदस्य भाजपा से संबंध रखते हैं. आरएसएस द्वारा संचालित विद्या भारती के विद्यालयों को सरस्वती शिशु मंदिर एवं सरस्वती विद्या मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. संघ परिवार सरस्वती शिशु मंदिर की शिक्षा प्रणाली को अभिनव रूप में मानते हुए इसका प्रचार करता है. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है.

इतिहास की जानकारी देना मुख्य मकसद : मरकाम
हालांकि पहले ही भाजपा पर ऐसे आरोप लगते रहे कि वह आरएसएस के माध्यम से संचालित स्कूलों और शाखाओं में देश को तोड़ने की शिक्षा दे रही है. जवाहर बाल मंच के मुद्दे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम (Congress State President Mohan Markam) का कहना है कि यह कोई बीजेपी या कांग्रेस की पाठशाला वाली बात नहीं है. यहां लोगों और बच्चों को इतिहास की जानकारी देना हमारा मुख्य मकसद होगा. उन्होंने कहा कि अब तक जहां बच्चों को तोड़ने की शिक्षा दी जाती थी, वहीं हम इस अभियान के माध्यम से बच्चों को देश को जोड़ने की शिक्षा देंगे. बच्चों को बताएंगे कि आजादी में कांग्रेस का क्या योगदान था. आजादी के बाद कांग्रेस के किन-किन महापुरुषों ने क्या-क्या योगदान दिया.

मोहन मरकाम का भाजपा पर आरोप, बच्चों के दिमाग में डाली जा रही तोड़ने वाली विचारधारा


जनाधार खो रही कांग्रेस, इसीलिए अब बच्चों को कर रही टारगेट
वहीं कांग्रेस के जवाहर बाल मंच के मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव (BJP State Spokesperson Sanjay Srivastava) ने कड़ा प्रहार किया है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस अपना जनाधार खोती जा रही है, इसीलिए अब वह बच्चों को टारगेट कर रही है. इसकी निंदा होनी चाहिए. वैसे भी सामान्य तौर पर देश के संविधान के तहत 18 वर्ष से ऊपर के बच्चों को ऐसी जानकारी दी जाती है. जो बच्चे कम उम्र के हैं, उनको अपने राजनीतिक हित के लिए जवाहर बाल मंच के माध्यम से अपनी आइडियोलॉजी में प्रेरित करना कांग्रेस की ओछी मानसिकता को प्रदर्शित करता है.

लाठी भांजना सिखाकर बच्चों में हिंसक प्रवृत्ति पैदा कर रही भाजपा : सुशील
इधर, भाजपा के आरोपों पर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (State President of Congress Media Department Sushil Anand Shukla) ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि भाजपा और कांग्रेस के तरीकों में बड़ा अंतर है. भाजपा संघ की शाखाओं के माध्यम से देश की गंगा-जमुना तहजीब पर प्रहार करने की कोशिश कर रही है. भाजपा और आरएसएस ने आने वाली पीढ़ियों में विष भर दिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा बच्चों को लाठी भांजना सिखाकर उनमें हिंसक प्रवृत्ति पैदा कर रही है. भाजपा हिंदू-मुस्लिम में लड़ाई कराना चाहती है. लेकिन अब कांग्रेस उन बच्चों को देश के सही इतिहास की जानकारी देगी.


राजनीतिक दलों ने युवा विंग को मजबूत करने बना रखी है नर्सरी : रामअवतार
इस पूरे मामले पर शिक्षा और राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने कहा कि आज समय के साथ-साथ समाज में चुनौतियां बढ़ी हैं. इससे लड़ने के लिए बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देना ज्यादा लाभदायक होगा. अभी राजनीतिक दल चाहे वह आरएसएस हो, भाजपा हो, कांग्रेस हो या फिर कम्युनिस्ट हो, हर कोई अपनी विचारधारा को अच्छा बताने के लिए बचपन से ही बच्चों के दिमाग में अपनी विचारधारा भरने की कोशिश कर रहे हैं. आज के बच्चे इन चीजों को समझते हैं. राजनीतिक दल अपनी सदस्यता बढ़ाने के लिए अपने युवा विंग को मजबूत करने के लिए जो नर्सरी बनाए हुए हैं, उसे अगर अच्छा करने की दिशा में काम करें तो ज्यादा फायदेमंद होगा.

जवाहर बाल मंच से फतह होगा कांग्रेस का मिशन 2023, कहीं यह संघ की शाखा का सियासी तोड़ तो नहीं !

साल 1952 में हुई थी प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना
देश में प्रथम सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना साल 1952 (First Saraswati Shishu Mandir Established in 1952 In India) में हुई थी. इस सरस्वती शिशु मंदिर की आधारशिला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित पक्की बाग में 5 रुपये के मासिक किराए के भवन में रखी गई थी. फिर अलग-अलग राज्यों में सरस्वती शिशु मंदिर स्थापित होने लगे. देशभर में इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी और इसका संचालन अलग-अलग जगह अलग-अलग समितियां करने लगीं. इस विद्यालय ने साल 1977 में अखिल भारतीय स्वरूप ले लिया और दिल्ली में विद्या भारती संस्थान बनाया गया. इसके बाद सभी प्रदेश समितियां विद्या भारती से सम्बद्ध हो गईं.



छत्तीसगढ़ में साल 1990 में हुई विद्या भारती की स्थापना
छत्तीसगढ़ में विद्या भारती की स्थापना साल 1990 (Vidya Bharti Was Established in Chhattisgarh In 1990) में हुई. विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की क्षेत्रीय समिति के रूप में छत्तीसगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र का सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन है. विद्या भारती संघ परिवार का एक अंग है. विद्या भारती के तहत छत्तीसगढ़ में 1843 शिक्षण संस्थान संचालित हैं. विद्या भारती, छत्तीसगढ़ शिशु वाटिका, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक, वरिष्ठ माध्यमिक, संस्कार केंद्र, एकल विद्यालय, पूर्ण एवं अर्ध आवासीय विद्यालय और महाविद्यालयों के 2,77,042 छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रही है.
वहीं सरस्वती शिक्षा संस्थान के तहत 755 शिक्षण संस्थान संचालित हैं. सरस्वती शिक्षा संस्थान, शिशु वाटिका, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक, वरिष्ठ माध्यमिक, संस्कार केंद्र, एकल विद्यालयों, पूर्ण एवं अर्ध आवासीय विद्यालय और महाविद्यालयों के 1,33,511 छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहा है. यह सभी आरएसएस से जुड़े संस्थान हैं.


अब 7 से 18 साल के बच्चों को पार्टी की रीति-नीति समझाएगी कांग्रेस
अब बात करते हैं कांग्रेस की. हालांकि कांग्रेस ने आरएसएस की तर्ज पर देश में स्कूल तो नहीं खोले, लेकिन अब बच्चों को टारगेट करते हुए उन्हें पार्टी की रीति-नीति और पार्टी के नेताओं सहित अन्य जानकारी देने की जरूरी योजना बनाई है. कांग्रेस एक मिशन चला रही है, जिसे जवाहर बाल मंच नाम दिया है. इस जवाहर बाल मंच के माध्यम से कांग्रेसी 7 साल से 18 साल तक के बच्चों के दिमाग में अपनी पार्टी की रीति-नीति और महापुरुषों से संबंधित जानकारी और इतिहास की जानकारी देंगे. अब देखना यह होगा कि बच्चों के दिमाग में राजनीतिक गतिविधियां डालने में कौन सी पार्टी पास होती है और कौन सी फेल.

Last Updated : Jan 19, 2022, 8:20 PM IST
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