रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा भी धीरे-धीरे पेपरलेस विधानसभा या ई विधानसभा की राह पर है. इस दिशा में पहल भी हुई है. हालांकि पूरी तरह विधानसभा को पेपरलेस करने में थोड़ा वक्त लग सकता है.
दरअसल देश में डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए हर क्षेत्र में इसका प्रयोग किया जा रहा है. इससे कम समय और कम लागत में आसानी से काम हो रहा है. चूंकि विधानसभा की कार्यवाही में बहुत ज्यादा पेपर का इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही कई तरह की जटिल प्रक्रियाओं से भी गुजरना पड़ता है. ऐसे में कई राज्यों की विधानसभा को ई विधानसभा बनाने की तैयारी चल रही है. हिमाचल प्रदेश इसका उदाहरण भी है. जो देश की पहली ई विधान प्रणाली लागू करने वाली पेपरलेस विधानसभा बन चुकी है.
पेपरलेस तो नहीं, लेस पेपर की तर्ज पर हो रहा काम
छत्तीसगढ़ में भी इस दिशा में पहल हुई है. जहां अभी पेपरलेस तो नहीं लेकिन लेस पेपर की तर्ज पर काम हो रहा है. छत्तीसगढ़ विधानसभा को ई विधानसभा करने में हो रही देरी को लेकर ETV भारत ने शासन और विपक्ष के नेताओं से चर्चा की. उनका मानना है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा को पूरी तरह पेपरलेस करने में थोड़ा समय लगेगा.
'दूसरे प्रदेशों से ली जाएगी जानकारी'
पक्ष हो या विपक्ष सभी का मानना है कि विधानसभा का डिजीटलीकरण एक झटके में करना आसान नहीं होगा. रायपुर उत्तर से विधायक कुलदीप जुनेजा ने ETV भारत से बात करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी जल्द इसकी पहल होगी. क्योंकि पेपरलेस होने से समय और पैसा बचेगा. उन्होंने कहा कि दूसरे प्रदेशों से जानकारी जुटाने के बाद प्रदेश की विधानसभा में भी इसकी शुरुआत हो जाएगी.
'एक झटके में बदलाव मुश्किल'
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बताया कि ई विधानसभा की कार्यवाही अभी भी लागू है हालांकि पूरी तरह इस पर काम नहीं हो रहा है. कौशिक ने कहा कि विधानसभा में प्रश्न लोड कर दिए जाते हैं. जिसे विधानसभा की वेबसाइट के माध्यम से देख सकते हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी काम को झटके से नहीं किया जा सकता है.धीरे-धीरे इसमें आगे बढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में पूर्णतया पेपरलेस कार्यवाही करने में लोगों को समय लगेगा. हालांकि उन्होंने ये भी माना कि समय के साथ तकनीक का इस्तेमाल जरूरी है.
'पेपरलेस होने की तरफ काम चालू'
रायपुर ग्रामीण से विधायक सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि इस समय भी विधानसभा की वेबसाइट के जरिए कई काम हो रहे हैं. शर्मा ने भी माना कि ई विधानसभा होने से पैसा और समय दोनों बचेगा. फिलहाल पेपरलेस होने की तरफ काम चालू है. पूरी तरह इसे लागू करने में थोड़ा समय लगेगा. आने वाले समय में इसे लेकर और सकारात्मक नतीजे नजर आएंगे.
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'ई विधान के लिए इंफ्रॉस्ट्रेक्चर की जरूरत'
विधानसभा के पूर्व डायरेक्टर सत्येंद्र तिवारी का मानना है कि ई विधान होने से बड़े खर्च में कटौती की जा सकती है. इसके अलावा कागज की खपत कम होने से सीधा फायदा पर्यावरण को होगा. ऑनलाइन कामकाज से पार्दर्शिता बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा की वेबसाइट में सत्र के दौरान जानकारी बेहद तेजी से अपडेट की जाती है. उन्होंने कहा कि पेपरलेस विधानसभा के लिए जो सेटअप चाहिए उसके लिए इंफ्रॉस्ट्रेक्चर की जरूरत है, जो नए विधानसभा भवन में लगाना ज्यादा आसान होगा.
ई विधानसभा क्या है और इसके फायदे
जैसा की नाम से ही साफ है विधानसभा की प्रक्रियाओं का डिजीटलीकरण करना ही ई विधानसभा है. इसके तहत विधायक ऑनलाइन अपना सवाल लगा सकेंगे. साथ ही संबंधित विभाग के मंत्री इसका ऑनलाइन जवाब भी भेज सकेंगे. इससे पेपर का खर्च और समय दोनों की बचत होगी.
केंद्र सरकार से मिलता है अनुदान
ई विधान प्रणाली के बारे में दावा किया जा रहा है कि यह पूरी तरह सुरक्षित है. इसका संचालन नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर (NIC) की तरफ से किया जाता है. केंद्र सरकार से संचालित ई विधान परियोजना में केंद्र शासित प्रदेशों को 100%, पहाड़ी राज्यों को 90 प्रतिशत और अन्य राज्यों को 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है. उम्मीद की जा रही है कि छत्तीसगढ़ भी इस दिशा में और तेजी से काम करेगा. जिससे विधानसभा पारदर्शी और इकोफ्रैंडली बन सके.