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डेंटिस्ट से जानिए कितनी जानलेवा है ब्लैक फंगस बीमारी, कैसे रहें सुरक्षित ? - छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस

छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के 50 मरीज मिल चुके हैं. भिलाई और महासमुंद में ब्लैक फंगस से अब तक दो मरीज की मौत भी हो चुकी है. ब्लैक फंगस एक फंगल बीमारी है जो दांत,आंख,नाक, मुंह के जरिए दिमाग तक फैल सकती है. ब्लैक फंगस कितना खतरनाक है ? कैसे सुरक्षित रहा जा सकता है ? इस विषय में ईटीवी भारत की टीम ने डेंटिस्ट से खास बातचीत की.

interview with Dentists about Black Fungus
डेंटिस्ट से खास बातचीत
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Published : May 16, 2021, 7:59 PM IST

Updated : May 17, 2021, 4:31 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के साथ-साथ अब ब्लैक फंगस के केस भी बढ़ते नजर आ रहे हैं. जानकारी के अनुसार अब तक ब्लैक फंगस के राज्य में 50 मरीज मिल चुके हैं. भिलाई और महासमुंद में ब्लैक फंगस से एक-एक मरीज की मौत भी हो चुकी है. ब्लैक फंगस एक फंगल बीमारी है जो दांत,आंख,नाक, मुंह के द्वारा दिमाग तक फैल सकती है. यदि समय रहते इलाज नहीं मिले तो मरीज की मौत भी हो सकती है. हालांकि यह बीमारी नई नहीं है. पहले भी हर साल में 5 से 6 मरीज इस बीमारी से ग्रसित मिलते थे. लेकिन अब कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में यह ज्यादा देखने को मिल रहा है. इसके कई कारण हो सकते हैं. वहीं दांत और मुंह के जरिए ये किस तरह लोगों को नुकसान पहुंचाता है. इस विषय में ईटीवी भारत की टीम ने डेंटिस्ट से खास बातचीत की.

डेंटिस्ट से जानिए ब्लैक फंगस कितना खतरनाक

ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि यह फंगस हमेशा हमारे आसपास मौजूद होता है. खासकर बारिश और नमी के सीजन में दीवारों पर फफूंद लग जाती है. यह भी फंगस ही है. जैसे हम ब्रेड के टुकड़े को या आलू को छोड़ देते हैं. कुछ दिनों में उसमें भी फंगस लग जाता है. इससे बचने के लिए हमे साफ-सफाई रखनी पड़ेगी. हमे दांतों की, मुंह की और नाक की सफाई रखनी है. अभी गर्मी में हमे रोज नहाना चाहिए. दिन में दो बार ब्रश करना चाहिए. गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करते रहने चाहिए. ताकि बॉडी में मौजूद फंगस कंट्रोल में रहे. उनकी आबादी ना बढ़े.

रायगढ़ में उपलब्ध नहीं 'ब्लैक फंगस' की दवा, मरीजों को रायपुर रेफर किया गया

डॉक्टर अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि ब्लैक फंगस शरीर में सिर्फ चेहरे में नहीं होता, बाकी वह अन्य जगहों पर भी हो सकता है. कई बार वो लंग्स में भी पाया गया है. बच्चों के पेट में भी पाया गया है. स्किन में यदि कही छाला है या कटा हुआ है वहां भी देखने को मिल जाता है. अभी कोरोना के दौर में बहुत ज्यादा एस्ट्रोराइड का यूज कर रहे हैं. हाई ऑक्सीजन ले रहे हैं. जिस वजह से मुंह में जो बैक्टीरिया होते हैं उनकी आबादी बढ़ जाती है. हमारी इम्यूनिटी कम होने के कारण अक्सर बैक्टीरिया मुंह के रास्ते नाक में पहुंच जाता है. फिर वह साइनस का रूप ले लेता है और ऊपर जाते-जाते वह आंखों तक और दिमाग तक पहुंच सकता है. यदि उसे सही समय पर डायग्नोज कर लिया गया तो हम मरीज की जान बचा सकते हैं.

दांत, मुंह और आंख के सहारे दिमाग तक पहुंचता है फंगस

डेंटिस्ट डॉक्टर अंशुल कांकरिया ने बताया कि ब्लैक फंगस अभी ज्यादा उन लोग में पाया गया है, जिसकी इम्यूनिटी कम हो और शुगर ज्यादा हो. या ऐसे पेशेंट जो लंबे समय से एस्ट्रोराइड ले रहे हैं. कोरोना मरीजों को एस्ट्रोराइड की हैवी डोज लगती है. इम्यूनिटी कमजोर होने से फंगस तेजी से फैल रहा है. यह फंगस कहीं से भी फैल सकता है. लेकिन कोई पेशेंट शिकायत लेकर आ रहा है कि हमारे एक तरफ जबड़े में दर्द है तो हम सस्पेक्ट कर सकते हैं. यह फंगस दातों से आंखों तक पहुंचता है. फिर सीधा ब्रेन तक जाता है. इन सभी कारणों से मौत हो रही है.

सही समय पर इलाज से ठीक हो रहे मरीज

डॉक्टर अंशुल कांकरिया ने आगे बताया कि ब्लैक फंगस के मरीज जनवरी में ज्यादा देखने को मिले हैं. जनवरी-फरवरी में कुछ पेशेंट ऐसे आए थे जिनका शुगर बहुत ज्यादा था. उनके गालो में सूजन आ चुकी थी. पहले हम उन्हें नॉर्मल दवाइयां ही देते हैं. पस दातों में आ रहा था. दवाइयों से सूजन चली गई लेकिन वही पेशेंट फिर से दो हफ्ते बाद वापस आया और फिर से उसके चेहरे पर सूजन थी. उस समय डाउट हुआ और हमने कुछ टेस्ट करवाए. टेस्ट में श्लेष्मा रोग निकला. उसके अनुसार दवाइयां दी गई, अभी वह पेशेंट ठीक है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के साथ-साथ अब ब्लैक फंगस के केस भी बढ़ते नजर आ रहे हैं. जानकारी के अनुसार अब तक ब्लैक फंगस के राज्य में 50 मरीज मिल चुके हैं. भिलाई और महासमुंद में ब्लैक फंगस से एक-एक मरीज की मौत भी हो चुकी है. ब्लैक फंगस एक फंगल बीमारी है जो दांत,आंख,नाक, मुंह के द्वारा दिमाग तक फैल सकती है. यदि समय रहते इलाज नहीं मिले तो मरीज की मौत भी हो सकती है. हालांकि यह बीमारी नई नहीं है. पहले भी हर साल में 5 से 6 मरीज इस बीमारी से ग्रसित मिलते थे. लेकिन अब कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में यह ज्यादा देखने को मिल रहा है. इसके कई कारण हो सकते हैं. वहीं दांत और मुंह के जरिए ये किस तरह लोगों को नुकसान पहुंचाता है. इस विषय में ईटीवी भारत की टीम ने डेंटिस्ट से खास बातचीत की.

डेंटिस्ट से जानिए ब्लैक फंगस कितना खतरनाक

ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि यह फंगस हमेशा हमारे आसपास मौजूद होता है. खासकर बारिश और नमी के सीजन में दीवारों पर फफूंद लग जाती है. यह भी फंगस ही है. जैसे हम ब्रेड के टुकड़े को या आलू को छोड़ देते हैं. कुछ दिनों में उसमें भी फंगस लग जाता है. इससे बचने के लिए हमे साफ-सफाई रखनी पड़ेगी. हमे दांतों की, मुंह की और नाक की सफाई रखनी है. अभी गर्मी में हमे रोज नहाना चाहिए. दिन में दो बार ब्रश करना चाहिए. गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करते रहने चाहिए. ताकि बॉडी में मौजूद फंगस कंट्रोल में रहे. उनकी आबादी ना बढ़े.

रायगढ़ में उपलब्ध नहीं 'ब्लैक फंगस' की दवा, मरीजों को रायपुर रेफर किया गया

डॉक्टर अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि ब्लैक फंगस शरीर में सिर्फ चेहरे में नहीं होता, बाकी वह अन्य जगहों पर भी हो सकता है. कई बार वो लंग्स में भी पाया गया है. बच्चों के पेट में भी पाया गया है. स्किन में यदि कही छाला है या कटा हुआ है वहां भी देखने को मिल जाता है. अभी कोरोना के दौर में बहुत ज्यादा एस्ट्रोराइड का यूज कर रहे हैं. हाई ऑक्सीजन ले रहे हैं. जिस वजह से मुंह में जो बैक्टीरिया होते हैं उनकी आबादी बढ़ जाती है. हमारी इम्यूनिटी कम होने के कारण अक्सर बैक्टीरिया मुंह के रास्ते नाक में पहुंच जाता है. फिर वह साइनस का रूप ले लेता है और ऊपर जाते-जाते वह आंखों तक और दिमाग तक पहुंच सकता है. यदि उसे सही समय पर डायग्नोज कर लिया गया तो हम मरीज की जान बचा सकते हैं.

दांत, मुंह और आंख के सहारे दिमाग तक पहुंचता है फंगस

डेंटिस्ट डॉक्टर अंशुल कांकरिया ने बताया कि ब्लैक फंगस अभी ज्यादा उन लोग में पाया गया है, जिसकी इम्यूनिटी कम हो और शुगर ज्यादा हो. या ऐसे पेशेंट जो लंबे समय से एस्ट्रोराइड ले रहे हैं. कोरोना मरीजों को एस्ट्रोराइड की हैवी डोज लगती है. इम्यूनिटी कमजोर होने से फंगस तेजी से फैल रहा है. यह फंगस कहीं से भी फैल सकता है. लेकिन कोई पेशेंट शिकायत लेकर आ रहा है कि हमारे एक तरफ जबड़े में दर्द है तो हम सस्पेक्ट कर सकते हैं. यह फंगस दातों से आंखों तक पहुंचता है. फिर सीधा ब्रेन तक जाता है. इन सभी कारणों से मौत हो रही है.

सही समय पर इलाज से ठीक हो रहे मरीज

डॉक्टर अंशुल कांकरिया ने आगे बताया कि ब्लैक फंगस के मरीज जनवरी में ज्यादा देखने को मिले हैं. जनवरी-फरवरी में कुछ पेशेंट ऐसे आए थे जिनका शुगर बहुत ज्यादा था. उनके गालो में सूजन आ चुकी थी. पहले हम उन्हें नॉर्मल दवाइयां ही देते हैं. पस दातों में आ रहा था. दवाइयों से सूजन चली गई लेकिन वही पेशेंट फिर से दो हफ्ते बाद वापस आया और फिर से उसके चेहरे पर सूजन थी. उस समय डाउट हुआ और हमने कुछ टेस्ट करवाए. टेस्ट में श्लेष्मा रोग निकला. उसके अनुसार दवाइयां दी गई, अभी वह पेशेंट ठीक है.

Last Updated : May 17, 2021, 4:31 PM IST
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