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बह चुकी है चुनावी बयार, किसकी 'पतवार' लगाएगी बेड़ा पार - राहुल गांधी

अर्थशात्री और राजनीतिक विश्लेषक प्रांजय गुहा ठाकुरता से ईटीवी भारत ने खास बातकर चुनावी मुद्दे और इसके असर के बारे में जानने की कोशिश की.

प्रांजय गुहा ठाकुर
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Published : Apr 10, 2019, 10:31 PM IST

Updated : Apr 11, 2019, 12:04 AM IST

रायपुर: पहले चरण के चुनाव का प्रचार खत्म हो चुका है. गुरुवार को छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट पर वोट डाले जाएंगे. ऐसे में क्या हैं मुद्दे, कैसी है राजनीतिक फिजा इसे जानने के लिए ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक और अर्थशात्री प्रांजय गुहा ठाकुरता से बात की.

प्रांजय गुहा ठाकुर से खास बातचीत
  • सवाल: कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने किसान वोटबैंक को साधने के लिए अपने-अपने तरीके से वादे किए. इन वादों का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा ?
  • जवाब: चुनाव के पहले राजनीतिक दल घोषणा पत्र में बड़े-बड़े वादे करते हैं और चुनाव के बाद भूल जाते हैं. बीजेपी ने अनुदान की बात की, तो कांग्रेस ने न्यूनतम आय की बात कही. सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है. देश के इतिहास में पहली बार देश की आधी आबादी युवाओं की है.
  • सवाल: अगर इस तरह से राजनीतिक दल फ्री की योजनाओं में धन खर्च करते रहेंगे, तो इसका देश की अर्थव्यवस्था क्या असर पड़ेगा ?
  • जवाब: अगर ठीक तरह से इसका प्रबंधन होगा, तो यह अर्थव्यवस्था के लिए ठीक होगा.
  • सवाल: क्या इसका भार मध्यम वर्ग पर नहीं पड़ेगा ?
  • जवाब: मध्यम वर्ग की स्थिति इतनी खराब नहीं है. पिछले पांच साल कच्चा तेल की कीमत गिरने का फायदा मोदी सरकार को मिला. पिछले पांच साल में जीडीपी का करीब दो फीसदी फायदा सरकार को मिला. पिछले पांच साल में सरकार ने कुछ कदम ऐसे उठाए, जिन्होंने अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया. पहला नोटबंदी. दो साल के बाद सरकार नोटबंदी पर बात नहीं कर रही है. एक वक्त प्रधानमंत्री ने कहा था कि इसका असर कालाधन पर पड़ेगा. हम कैशलेस या लेसकैश इकोनॉमी की तरफ जा रहे हैं. आज लोग मोदी की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं. नोटबंदी का सबसे ज्यदा असर आम आदमी पर पड़ा.
  • सवाल: क्या लगता है, इस चुनाव में तीसरे मोर्चे की क्या भूमिका होगी?
  • जवाब: देश में तीसरा मोर्चा तो है ही नहीं. चुनाव के पहले कोई मोर्चा नहीं बनेगा. चुनाव के बाद क्या होगा ये अलग बात है. देश में कई छोटो-छोटे दल हैं, जिनकी अपनी ताकत है.

रायपुर: पहले चरण के चुनाव का प्रचार खत्म हो चुका है. गुरुवार को छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट पर वोट डाले जाएंगे. ऐसे में क्या हैं मुद्दे, कैसी है राजनीतिक फिजा इसे जानने के लिए ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक और अर्थशात्री प्रांजय गुहा ठाकुरता से बात की.

प्रांजय गुहा ठाकुर से खास बातचीत
  • सवाल: कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने किसान वोटबैंक को साधने के लिए अपने-अपने तरीके से वादे किए. इन वादों का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा ?
  • जवाब: चुनाव के पहले राजनीतिक दल घोषणा पत्र में बड़े-बड़े वादे करते हैं और चुनाव के बाद भूल जाते हैं. बीजेपी ने अनुदान की बात की, तो कांग्रेस ने न्यूनतम आय की बात कही. सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है. देश के इतिहास में पहली बार देश की आधी आबादी युवाओं की है.
  • सवाल: अगर इस तरह से राजनीतिक दल फ्री की योजनाओं में धन खर्च करते रहेंगे, तो इसका देश की अर्थव्यवस्था क्या असर पड़ेगा ?
  • जवाब: अगर ठीक तरह से इसका प्रबंधन होगा, तो यह अर्थव्यवस्था के लिए ठीक होगा.
  • सवाल: क्या इसका भार मध्यम वर्ग पर नहीं पड़ेगा ?
  • जवाब: मध्यम वर्ग की स्थिति इतनी खराब नहीं है. पिछले पांच साल कच्चा तेल की कीमत गिरने का फायदा मोदी सरकार को मिला. पिछले पांच साल में जीडीपी का करीब दो फीसदी फायदा सरकार को मिला. पिछले पांच साल में सरकार ने कुछ कदम ऐसे उठाए, जिन्होंने अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया. पहला नोटबंदी. दो साल के बाद सरकार नोटबंदी पर बात नहीं कर रही है. एक वक्त प्रधानमंत्री ने कहा था कि इसका असर कालाधन पर पड़ेगा. हम कैशलेस या लेसकैश इकोनॉमी की तरफ जा रहे हैं. आज लोग मोदी की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं. नोटबंदी का सबसे ज्यदा असर आम आदमी पर पड़ा.
  • सवाल: क्या लगता है, इस चुनाव में तीसरे मोर्चे की क्या भूमिका होगी?
  • जवाब: देश में तीसरा मोर्चा तो है ही नहीं. चुनाव के पहले कोई मोर्चा नहीं बनेगा. चुनाव के बाद क्या होगा ये अलग बात है. देश में कई छोटो-छोटे दल हैं, जिनकी अपनी ताकत है.
चुनाव के इस मौसम में सियासी पार्टियाँ वादों और सौग़ातों की झडी लगा रहे हैं । इन वादों को पूरा करने पर देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा । वर्तमान परिस्थिति में किस तरह के सियासी समीकरण बन सकते हैं। इन तमाम मुद्दों पर ईटीवी भारत से ख़ास बात की वरिष्ठ पत्रकार
और अर्थशास्त्री प्रंजॉय गुहा ठाकुरता से । उन्होंने इस दौरान कहा कि किसानों को ऋण माफ़ी से अर्थव्यवस्था पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा बशर्ते ठीक से प्रबंधन हो । चुनाव के बाद तीसरे मोर्चे की भूमिका हो सकती है ये संभावना व्यक्त करते हुए उन्होंने चुनाव को बेहद कड़ा मुक़ाबला बताया । 

इसकी फ़ीड लाइवयू से भेजी गई है । 
Pranjoy Thakurta interview 



Last Updated : Apr 11, 2019, 12:04 AM IST
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