रायपुर: छत्तीसगढ़ से राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में केटीएस तुलसी और फूलोदेवी नेताम ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में फिर हलचल तेज हो गई है. ऐसा हो भी क्यों न आखिर बस्तर से राज्यसभा जाने वाली पहली महिला सांसद 'बस्तर की शेरनी' कही जाने वाली फूलोदेवी नेताम होंगी. जो राज्यसभा में आदिवासी महिलाओं की हक की आवाज बनेंगी. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ से अब तीन महिलाएं सदन में छत्तीसगढ़ से होंगी. इसमें सांसद सरोज पांडे, छाया वर्मा के साथ अब फूलोदेवी नेताम भी शामिल हैं.
ETV भारत की टीम ने छत्तीसगढ़ महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम से बात की और जानने की कोशिश की कि वे किन मुद्दों के साथ सदन में जाएंगी, जिसपर उन्होंने कहा कि वे आदिवासियों की हक की लड़ाई और विकास को लेकर वे सदन में आवाज उठाएंगी.
सवाल: पहली बार बस्तर से किसी महिला को भेजा जा रहा आप कैसे देखती हैं?
जवाब: गांव में छोटे स्तर पर काम करने वाली बस्तर कार्यकर्ता को इस लायक समझा ये ही मेरे लिए गर्व की बात है. बस्तर से पहली बार आदिवासी समाज की महिला को प्रतिनिधित्तव करने का मौका मिला है.
सवाल: बस्तर की समस्या को लेकर आप सदन में बात रखेंगी?
जवाब: देखा जाए तो बस्तर विकास कर चुका है और धीरे विकास कर रहा है. इसके आलावा बस्तर के लिए जो करना होगा उसके लिए सदन में मैं आवाज उठाऊंगी, ताकि बस्तरवासियों को लाभ मिल सके.
सवाल: बस्तर में कुपोषण और महिलाओं की स्थिति और विकास को लेकर क्या करेंगी ?
जवाब: बस्तर में 15 साल पहले कुपोषण की बड़ी समस्या थी, जो अभी घट चुकी है. ये सब राज्य सरकार की महिला विकास की योजना के कारण हुआ है, फिर भी अगर कोई बात होगी तो उसे मैं जरूर उठाऊंगी.
सवाल: छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में 3 महिला सांसद यानी राजनीति में महिलाओं का स्कोप कैसा है ?
जवाब: भूपेश बघेल के सीएम बनने के बाद सबसे ज्यादा महिलाएं आगे आई हैं. नगर निगम चुनाव से लेकर पंचायत चुनाव में महिलाओं को आगे आने का अवसर मिला है, जो अब हर जगह देखने को भी मिल रहा है.
सवाल: बस्तर की महिलाओं के लिए मैसेज ?
जवाब: बस्तर की महिलाएं जागरूक हो रही हैं, वो पढ़ रही हैं, बच्चे भी स्कूल जा रहे हैं. महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, यदि महिलाओं को प्रतिनिधित्तव करने का मौका मिलता है तो सब आगे बढ़ती हैं.
फूलोदेवी गांधी परिवार की करीबी
फूलोदेवी नेताम केशकाल के आलोर की रहने वाली हैं. फूलो ने कॅरियर की शुरुआत बतौर केशकाल विधायक के तौर पर की थी. इसके बाद वे बस्तर जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं. इस बीच वे सांसद का चुनाव हार गई थीं. इसके बाद झीरम नक्सली हमले में घायल भी हुई थीं. फूलोदेवी इस हमले में बचने वाले नेताओं में से एक हैं. फूलोदेवी की संबंध गांधी परिवार से काफी नजदीक रहे हैं.
बात दें, विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या को देखते हुए फूलोदेवी नेताम के खिलाफ कोई भी विपक्षी नेता चुनाव नहीं लड़ रहा है. ऐसे में उनका निर्विरोध चुना जाना तय हो चुका है.