रायपुर: छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग अब जल्द बिछड़ जाएंगे. ETV भारत की इस खबर पर संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने मुहर लगा दी है. अमरजीत भगत ने ETV भारत से बातचीत के दौरान बताया कि इन दोनों विभागों के अलग होने से काम में तेजी आएगी. पहले की अपेक्षा बेहतर काम हो सकेगा. उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग अलग-अलग काम करता है.
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मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में यह दोनों विभाग अब तक साथ में थे. जिन्हें अब अलग-अलग किया जा रहा है. इन दोनों विभागों के अलग होने से दोनों विभाग में पहले की अपेक्षा और बेहतर काम होंगे. संस्कृति और कला को लेकर तेजी से काम किया जाएगा. पुरातत्व से जुड़े जगह को खोजने और इतिहास को जानने में बेहतर योजना बन सकेगी.
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जल्द कर सकते हैं घोषणा
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से ही संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग एक साथ एक छत के नीचे काम कर रहा है. जो अब बिछड़ जाएगा. इन दोनों विभागों को अलग-अलग करने तैयारी शुरू कर दी गई है. इसे मुख्यमंत्री की ओर से भी हरी झंडी मिल गई है. अब संस्कृति मंत्री भी विभागों के अलग होने से बेहतरी का आस देख रहे हैं. कयास लगाया जा रहा है कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इसकी घोषणा कर सकते हैं.
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इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र से ETV भारत ने बातचीत की
छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग को अलग-अलग करने की तैयारी को लेकर इतिहासकार डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र से ETV भारत ने बातचीत की. कहा कि छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग को अलग-अलग करने की तैयारी जोरों पर चल रही है. हाल ही के दिनों में संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में जिस तरह से उनके अलग होने को लेकर चहल कदमी चल रही है. दोनों विभाग जल्द ही बिछड़ जाएंगे. रमेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग से अलग होने से स्वाभाविक तौर से लाभ मिलेगा. पुरातत्व विभाग स्वतंत्र रूप से अपने काम को कर सकेगा. संस्कृति विभाग को भी प्रदेश की संस्कृति को आगे बढ़ाने का बेहतर अवसर मिलेगा.
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20 साल से एक छत के नीचे हो रहा दोनों विभागों का संचालन
रमेंद्रनाथ ने कहा कि दूसरे राज्यो में पुरातत्व संस्कृति एवं अभिलेख विभाग अलग-अलग बने हैं. छत्तीसगढ़ में पिछले 20 साल से ये विभाग एक ही बिल्डिंग में संचालित हो रहे हैं. पिछले सालों में देखा जाए तो पुरातत्व विभाग अपेक्षाकृत काम नहीं किया है. अगर बात संस्कृति विभाग की जाए तो वहां ढोलक मजीरा के अलावा भी बहुत कुछ है.
उत्खनन से इतिहास के कई नए पन्ने खुलेंगे
रमेंद्रनाथ ने कहा कि राज्य में बहुत कुछ करने को है. उस दृष्टि कोण से यदि पुरातत्व विभाग अलग होता है, तो निश्चित लाभ मिलेगा. छत्तीसगढ़ में इतने एतिहासिक स्थान हैं. उसका उत्खनन किया जाए तो नई-नई जानकारियां सामने आएगी. इतिहास के कई नए पन्ने खुलेंगे. रमेंद्रनाथ ने कहा कि इसी प्रकार से संस्कृति दृष्टिकोण से अपना विकास करेंगे खासकर स्थानीय प्रतिभाओं को कलाकारों को आगे बढ़ाएं तो बेहतर होगा.
पुरातत्व संग्रहालय ओर परिषद का 28 जिलों में हो गठन
रमेंद्रनाथ ने बताया कि उन्होंने शासन को सुझाव दिया था कि 28 जिलों में 28 पुरातत्व संग्रहालय खोले जाएं. मध्य प्रदेश पुरातत्व परिषद की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में परिषद गठन किया जाए. हर जिला में जिला पुरातत्व संघ का गठन किया जाए. इससे बेरोजगार युवकों को नौकरी मिलेगी. जिला बार संग्रहालय बनेगा. वहां की कला संस्कृति और पुरातत्त्व की चीजें सामने आएंगी.